shabd-logo

आत्मकथा

hindi articles, stories and books related to aatmakatha


यहां कहानी बहुत ही ज्यादा नई नहीं है परन्तु बहुत ज्यादा पुरानी भी नहीं है। आज से नहीं जब से मानवजाति  का इतिहास में इतिहासकार ने जो लिखा है तब से आज तक हमने  अपने बुजुर्ग से नानी से या दादी

featured image

Story एक लड़का था। जो खुशी खुशी अपनी मस्त जिंदगी जी रहा था । ना कोई टेंसिन ना ही कोई दुख । उसकी बहुत अच्छी जिंदगी गुजार रही थी ।और घर में इकलौता होने के कारण लाडला भी था। वो क्लास 10th में पढ़ रहा था

कुछ तो थाकुछ तो था तेरे पास मेराजो मेरा होते - होते रह गयातू बना था किसी और के लिएबस मेरा होते - होते रह गया!लगता तो था चांद से बुलाया गया तूज़मीं पे मेरे लिए उतारा गया थानैनों में कई ख़्वाब सजाएमुझे

इस दीवाली शोक, निराशा, बरबादी थी झोली में।हाथों  से  रज,आंखों  से  आंसू  बरसे  रंगोली  में।।...बेटी का संसार लुट गया, दीपों का त्योहार लुट गया।बेबस थे सब, कर न सके क

जो समझते हैं कि मैं झुक जाऊंगा, रहमो-करम से,है गलतफहमी उन्हें, मैं नीम की डाली नहीं हूं।हूं नरम दिल से मगर, हूं दृढ़ हमेशा उसूलों पर,खोखले उन्माद में, बज जाय वो ताली नहीं हूं।।...जो समझते हैं कि मैं र

मैं ज़मीन से जुड़ा, अकिंचन, अविरत हूं, अनुप्रास नहीं हूं,जैसा   हूं   अक्षरशः  वैसा,  अनुपूरक   सम्भाष  नहीं  हूं।।कर्मण्येवाधिकारस्ते,  में 

तेरा साथ है तो, है हर मोड़ मंजिल,ये राहों के  कंकड़  सताते  नहीं  हैं।जो है हाथ में हाथ तेरा सफर में तो, कभी दुःख के बादल भी छाते नहीं हैं।।न मैं दे सका तुझको जीवन सुनहरा,न तू

हर्फ चुन-चुन के, सजाने की रस्म बाकी है।लिखी गई ना अभी तक, वो नज़्म बाकी है।।...सफे   सियाह   हुए,   हसरतें   भुनाने   में।नजर से दूर है जो, अहले - चमन

जो  मेरे  साथ  हमेशा, मेरा  सहारा  है।सदा समीप ही पाया, कि जब पुकारा है।।...मिल के गुजरे हैं साथ जिसके ये चालीस बरस।सिर्फ  हमसाया  नहीं, हमसफर  हमारा  है।।

आप चाहों तो मेरी जिंदगी में दुख और दर्द का भंडार लिख देनाबस इतनी सी दया करना हमपेउस दुख और दर्द को सहने की . शक्ति दे देना ।🤗💪🏻✍🏻रितिका🌹❣️

ना मै किसी को अपना आदि बनाना चाहती हूँ और ना हीकिसी की बनना चाहती हूं। . जब आप किसी के आदि हो जाते हो और वो आपसे दूर जाता है तो बड़ा दुख होता है । मुझे ज्यादा दुख ना हो किसी के जाने का इसलिए मै ना ही

एहसान फरामोश मौकापरस्तमतलब परस्त बदतमीजबद दिमाग बेमुरव्वतबेरहम बेहयाबेहिसबा -मुलाइजाबा -अदबरितिका सिंह तसरिफ ला रहीं हैं . . . . .रुकिये - रुकिये ज्यादा मत सोचिए🤔आपलोग सोच रहे हो

मेरा नाम प्रविंद्र कुमार है मैं झज्जर हरियाणा का रहने वाला हूं । मेरा जन्म रोहतक जिले के एक एक गांव में हुआ था जो कि अब झज्जर जिले का हिस्सा है ।बचपन बहुत अच्छे से गुजरा फिर किशोर अवस्था में आते ही अप

बेटियां ही नहीं बेटे भी पराए होते हैं। बेटियां ही नहीं बेटे भी घर छोड़ कर जाते है उठकर पानी तक ना पीने वाले,,,,। आज अपने कपड़े खुद ही धो लेते हैं,वह जो कल तक घर के लाडले थे आज अकेले में रोते हैं ! सिर्

    पापा जी घर आए लेकिन उन्होंने किसी को कुछ भी नहीं बताया । ना मेरी दादीजी को ,ना बुआ जी को और ना दादा जी को ही । मेरी नानी जी ने किसी के यहाँ जाकर टेलीफोन से फोन किया और बताई कि मेरी दादी

जो मेरे 4 मिनट छोटी है ।😊💞जब जन्म प्रमाण पत्र बनवाने का कार्य शुरू हुआ । तब नर्स ने नाम पूछा  तो मेरी मम्मी ने जल्दी ही नाम बता दिया , क्योंकि वो तो पहले से हि हम दोनों बहनों का 

मेरा बचपन बहुत आश्चर्यजनक रहा। मेरे जीवन मे कुछभी अचानक से हो जाता है। पहले से किसी बात की जानकारी नहीं होती है । मेरा जन्म हथुआ के बंगाली लाइन में डॉ अमरेश कुमार के यहाँ हुआ था। मेरे ज

इन दिनों गुमसुम सी है कुछ चहचहाटें , बेरंग सी लगती है ये धूप जिनमें कभी इंद्रधनुष के सातों रंग नृत्यरत हो उठते थे । दिन का दोलन जो दरियाई फितरत रखता था पहाड़ सा सध गया हो जैसे । कुछ आवाज़ें जिनमें जीवन

 विश्व  एक बहुत बड़ी महामारी से गुजर रहा हैं इसके चलते हमारे शहर में भी धारा 144 लगी हैं ,चार साथी एक जगह इकठ्ठा नहीं हो सकते ।  जरूरत पड़ने पर बाहर जाने की अनुमति है, वरना अनुमति नहीं है

भजन​​ – दीनानाथ मेरी बात छानी कोणी तेरे से लिरिक्स दीनानाथ मेरी बात, छानी कोणी तेरे से, आँखड़ली चुराकर बाबा, जासी कठे मेरे से || खाटू वाले श्याम तेरी, शरण में आ गयो, श्याम प्रभु रूप तेरो,

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए