वर्षो की गुलामी से भय मुक्त हुए एक समान बनने को हम तैयार हुए रखकर अपने कदम वैश्विक हर पहलू पर देखो हम लोकतंत्र के रूप में प्रतिष्ठित हुए 395 अनुच्छेद 12 अनुसूची और 25 भाग में विभाजित होकर विश्व क
लबो पर एहसास ए ज़िक्र का इंतज़ार है आंखों में गहराई का इंतज़ार है दूर से ही सही पर समझ आता है की उनके जज्बातो को भी हमारा इंतज़ार है मन तो हमारा भी व्याकुल है उनसे मिलन का पर प्रेम की ऋतु का इंतज़ार ह
बहती पानी की धारा, जब सिर को भिगोती है । दूर कहीं पहाड़ों पर, जब एकांत में आंखे बंद होती है । पक्षियों की चहचहाट के बीच पानी की गिरती कल कल की आवाज़, जब मन को शांत कर देती है । दुनिया की फिक्र से
Name Abhishek jain Insta @ajain_words रेतीला अरमान अरमानों की तर्ज पर एक घर हमनें भी बनाया है पसीनों की बूंद को, रेत में मिला एक रेतीला ख्वाब सजाया है विशाल समंदर किनारे ढलती शाम