shabd-logo

अंक-1 : पहला गर्भांक

27 जनवरी 2022

34 बार देखा गया 34

राजा और मंत्री का प्रवेश

राजा : (चिन्ता सहित) यही तो बड़ा आश्चर्य है कि इतने राजपुत्र आए पर उनमें मनुष्य एक भी नहीं आया। इन सबों का केवल राजवन्श में जन्म तो है पर वास्तव में ये पशु हैं। जो मैं ऐसा जानता तो अपनी कन्या को ऐसी बड़ी प्रतिज्ञा न करने देता पर अब तो उसे मिटा भी नहीं सकता। अब निश्चय हुआ कि हमारी विद्या की विद्या केवल दोषकारिणी हो गई। हाँ, क्यों मंत्री तुम कोई उपाय सोच सकते हो।
मंत्री : महाराज आप जो आज्ञा करते हैं सो सच है। लक्ष्मी और सरस्वती दोनों एक स्थान पर नहीं रहतीं। इससे ऐसा भाग्यशाली वर मिलना अत्यंत कठिन है। इन दिनों मैंने सुना है कि कांचीपुर के राजा गुणसिन्धु का पुत्र सुन्दर युवराज अत्यन्त सुन्दर अनेक शास्त्रों में शिक्षित और बड़ा कवि है और उसने अनेक पंडितों को शास्त्रार्थ में जीता है।
राजा : क्या गुणसिन्धु राजा को ऐसा गुणवान् पुत्र हो और उसका समाचार हम अब तक न जानें।
मंत्री : महाराज मैंने निश्चय सुना है वह अपूर्व सुन्दर और अद्वितीय पंडित है। इससे मैं अनुमान करता हूँ कि जिसने संसार की सब विद्या पाई है वही हमारी राजकुमारी विद्या को भी पावेगा। यद्यपि ईश्वर की इच्छा और होनहार अत्यन्त प्रबल है तथापि हमको निश्चिन्त होके बैठ रहना उचित नहीं है। इस कहने का अभिप्राय यह है कि आप कांचीपुर में किसी को समाचार लेने के हेतु भेजिए।
राजा : ठीक है, तो विलम्ब क्यों करते हो। शीघ्र ही वहाँ किसी को भेजना चाहिए। (द्वार की ओर देखकर) कोई है! गंगा भाट को अभी बुला लाओ।
प्रतिहारी आकर
प्रतिहारी : जो आज्ञा महाराज। (जाता है)
राजा : (खेदपूर्वक) विद्यावती का केवल यह अदृष्ट है कि अब तक कहीं विवाह नहीं ठहरता। देखें क्या होता है।
मंत्री : महाराज आज तक कोई कन्या क्वांरी नहीं रही। सीता और द्रौपदी इत्यादि जिनके बड़े कठिन प्रण थे उनका तो विवाह हो ही गया। जब ईश्वर कन्या उत्पन्न करता है तो उसका वर भी उसी के साथ उत्पन्न कर देता है। अतएव आपको सोच करना न चाहिए।
(प्रतिहारी के सहित गंगा भाट का प्रवेश)
गंगा भाट : वीरसिंह महाराज की दिन दिन ही जय होय।
तेज बुद्धि बल बढ़ै शत्रु रहै नहिं कोय।।
राजा : कविराज अब तक तुमने अनेक देशों में भ्रमण किया और अनेक राजपुत्रों को यहाँ ले आए परन्तु उनमें सुपात्र एक भी न आया। अब हम सुनते हैं कि कांचीपुर के राजा गुणसिन्धु के पुत्र सुन्दर ने अनेक विद्या उपार्जित की है। इससे हम सोचते हैं कि वही हमारी विद्या के योग्य भी होगा। इससे तुम शीघ्र वहाँ गमन करो और राजपुत्र को अपने साथ ही लेते आओ तो अति उत्तम हो जिसमें विलम्ब न हो क्योंकि राजकन्या विवाह योग्य हो चुकी है।
भाट : महाराज यह कौन बड़ी बात है। मैं अभी जाता हूँ। (जाता है)
राजा : (मंत्री से) गुणसिन्धु राजा को एक पत्र भी देना उचित है। तुम यह सब वृत्तान्त इस रीति से लिख दो कि जिसमें हमारा सब कार्य सिद्ध हो जाय और गंगा भाट की यात्रा की सब वस्तु शीघ्र ही सिद्ध कर दो जिसमें उसे विलम्ब न हो। अब बेला ढल चली, हम भी रनिवास को जाते हैं।
मंत्री : जो आज्ञा।

जवनिका गिरती है। 

10
रचनाएँ
विद्यावती
0.0
उनकी रचनाओं ने भारत में गरीबी और विदेशी प्रभुत्व और उपनिवेशवाद के सदियों के बारे में उनकी गहन भावनाओं को व्यक्त किया। हरिश्चंद्र का प्रभाव व्यापक था। उनकी साहित्यिक कृतियों ने हिंदी साहित्य की रीती अवधि के अंत और भारतेंदु अवधि के प्रारंभ पर मोहर लगाई।
1

अंक-1 : पहला गर्भांक

27 जनवरी 2022
1
0
0

राजा और मंत्री का प्रवेश राजा : (चिन्ता सहित) यही तो बड़ा आश्चर्य है कि इतने राजपुत्र आए पर उनमें मनुष्य एक भी नहीं आया। इन सबों का केवल राजवन्श में जन्म तो है पर वास्तव में ये पशु हैं। जो मैं ऐसा जा

2

दूसरा गर्भांक

27 जनवरी 2022
0
0
0

सुन्दर आता है सुन्दर : (स्वगत) वर्द्धमान की शोभा का वर्णन मैंने जैसे सुना था उससे कहीं बढ़कर पाया। आह कैसे सुन्दर सुन्दर घर बने हैं, कैसी चौड़ी-चौड़ी सुन्दर स्वच्छ सड़कें हैं, वाणिज्य की कैसी वृद्ध

3

तीसरा गर्भांक

27 जनवरी 2022
0
0
0

सुंदर और हीरा मालिन आती है सुं. : रनिवास का समाचार सब मैंने सुना। तो मौसी राजा को क्या केवल एक ही कन्या है। ही. मा. : हां बेटा केवल एक ही कन्या है पर वह कुछ सामान्य कन्या नहीं है मानो कोई देवता की

4

चौथा गर्भांक

27 जनवरी 2022
0
0
0

विद्या बैठी हुई है डाली हाथ में लिए हीरा मालिन आती है। ही. मा. : (हंसकर) राजकुमारी कहां हैं (सामने देखकर) अहा यहां बैठी हैं। आज मुझको इस माला के गूंथने में बड़ी देर लगी इससे मैं दौड़ी आती हूं। यह म

5

अंक-2 : प्रथम गर्भांक

27 जनवरी 2022
0
0
0

स्थान-विद्या का महल (विद्या बैठी है और चपला पंखा हांकती है और सुलोचना पान का डब्बा लिए खड़ी है)। सुलोचना : (बीड़ा दे कर) राजकुमारी, एक बात पूछूं पर जो बताओ। वि. : क्यों सखी क्यों नहीं पूछती, मेरी ऐ

6

दूसरा गर्भांक

27 जनवरी 2022
0
0
0

(विद्या और मालिन बैठी है) वि. : कहो उन के लाने का क्या किया, लम्बी चैड़ी बातैं ही बनाने आती हैं कि कछु करना भी आता है? मा. : भला इस में मेरा क्या दोष है मैंने तो पहिले ही कहा था कि यह काम छिपाकर न

7

तृतीय गर्भांक

27 जनवरी 2022
0
0
0

(विद्या अकेली बैठी है और सुन्दर आता है) वि. : आज मेरे बड़े भाग्य हैं कि आप सांझ ही आये। सुं. : (पास बैठकर) प्यारी, मुझे जब तेरे मुखचन्द्र का दर्शन हो तभी सांझ है। वि. : परन्तु प्राणनाथ, यह दिन सव्

8

तीसरा अंक : प्रथम गर्भांक

27 जनवरी 2022
0
0
0

(विमला और चपला आती हैं) विमला : वाहरे वाहरे कैसी दौड़ी चली जाती है देख कर भी बहाली दिये जाती है। चपला : (देखकर) नहीं बहिन नहीं मैंने तुम्हें नहीं देखा क्षमा करना। विम. : भला मैंने क्षमा तो किया पर

9

दूसरा गर्भांक

27 जनवरी 2022
0
0
0

विद्या सोच में बैठी है। चपला और सुलोचना आती हैं। च. : (धीरे से) सखी, मुझ से तो यह दुःख की कथा न कही जायगी तू ही आगे चलकर कह। सुलो. : तो तुम मत कहना पर संग चलने में क्या दोष है जो विपत्ति आती है स

10

तीसरा गर्भांक

27 जनवरी 2022
0
0
0

राजा सिंहासन पर बैठा है। (मंत्री पास है और कुछ दूर गंगा भाट खड़ा है।) राजा : मंत्री, गंगा भाट ने जो कहा सो तुम ने सुना? मंत्री : महाराज, सब सुना। रा. : तब फिर उनको चोर जान कर कारागार में भेज देना

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए