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तीसरा गर्भांक

27 जनवरी 2022

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सुंदर और हीरा मालिन आती है

सुं. : रनिवास का समाचार सब मैंने सुना। तो मौसी राजा को क्या केवल एक ही कन्या है।
ही. मा. : हां बेटा केवल एक ही कन्या है पर वह कुछ सामान्य कन्या नहीं है मानो कोई देवता की कन्या श्राप से पृथ्वी पर जनमी है और राजा रानी दोनों उसको वैसा प्यार भी करते हैं। घर में सब से विशेष उनको वही प्यारी है। यहां तक कि उसको प्राण से भी अधिक समझते हैं।
सुं. : भला मौसी वह राजकन्या कैसी है।
ही. मा. : बेटा उसकी कथा कोई एक मुंह से नहीं कह सकता। (गाती है)
राग सोरठा तिताला कहौ यह वैसे बरनै रूप।
नख सिख लौं सब ही बिधि सुंदर सोभा अति ही अनूप । 1 ।
नैन धरे को कौन सुफल जो नैन न देख्यौ वाहि।
कोटि चंदहू लाज करत है तनिक बिलोकत जाहि । 2 ।
घुंघरारे सटकारै कारैं बिथुरे सुथरे केस।
एड़ी लौं लांबे अति सोभित नव जलधर के भेस । 3 ।
लचकीली कटि अति ही पातरी चालत झोंका खाय।
अति सुकुमार सकल अंग वाके कवि सो नहिं कहि जाय । 4 ।
दिन दिन जोबन बढ़त उमंग अति पूरि रहे सब गात।
लाज भरी चितवन चित चोरति जब मुसुकाई जंभात । 5 ।
तरुनाई अंगराई अंग अंग नैन रहत ललचाय।
मनु जग जुवजन जीतन एकहित बिधिना रची बनाय । 6 ।
सुं. : हां मौसी यह सब बात तो हम जानते हैं पर हम चाहते हैं कि एक बेर राजसभा में जाकर विद्या के विद्या की परीक्षा करैं। जो जीत गए तो काम सिद्ध भया और जो हार गए तो कुछ लाज नहीं क्योंकि हमें इस नगर में कोई पहिचानता नहीं। भला एक दिन मौसी हमारे हाथ की गूँथी माला तू वहां ले जा सकती है।
ही. मा. : (हंसकर) वाह बेटा तुम क्या माला बनाने भी जानते हौ। तुम लोगों का तो यह काम नहीं है। क्या माला गूंथ कर राजकन्या के गले के हार हुआ चाहते हौ।
सुं. : नहीं मौसी हम केवल एक ही माला गूंथना जानते हैं जिसे तुम देख लेना जो अच्छी बने तो राजकन्या के पास ले जाना।
ही. मा. : (हंसकर) अच्छा, कल तुम माला गूंथना देखें कैसी बनती है। अब रात बहुत गई उठो और कुछ भोजन करके सो रहो।
जवनिका गिरती है। 

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रचनाएँ
विद्यावती
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उनकी रचनाओं ने भारत में गरीबी और विदेशी प्रभुत्व और उपनिवेशवाद के सदियों के बारे में उनकी गहन भावनाओं को व्यक्त किया। हरिश्चंद्र का प्रभाव व्यापक था। उनकी साहित्यिक कृतियों ने हिंदी साहित्य की रीती अवधि के अंत और भारतेंदु अवधि के प्रारंभ पर मोहर लगाई।
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अंक-1 : पहला गर्भांक

27 जनवरी 2022
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राजा और मंत्री का प्रवेश राजा : (चिन्ता सहित) यही तो बड़ा आश्चर्य है कि इतने राजपुत्र आए पर उनमें मनुष्य एक भी नहीं आया। इन सबों का केवल राजवन्श में जन्म तो है पर वास्तव में ये पशु हैं। जो मैं ऐसा जा

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दूसरा गर्भांक

27 जनवरी 2022
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सुन्दर आता है सुन्दर : (स्वगत) वर्द्धमान की शोभा का वर्णन मैंने जैसे सुना था उससे कहीं बढ़कर पाया। आह कैसे सुन्दर सुन्दर घर बने हैं, कैसी चौड़ी-चौड़ी सुन्दर स्वच्छ सड़कें हैं, वाणिज्य की कैसी वृद्ध

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तीसरा गर्भांक

27 जनवरी 2022
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सुंदर और हीरा मालिन आती है सुं. : रनिवास का समाचार सब मैंने सुना। तो मौसी राजा को क्या केवल एक ही कन्या है। ही. मा. : हां बेटा केवल एक ही कन्या है पर वह कुछ सामान्य कन्या नहीं है मानो कोई देवता की

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चौथा गर्भांक

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विद्या बैठी हुई है डाली हाथ में लिए हीरा मालिन आती है। ही. मा. : (हंसकर) राजकुमारी कहां हैं (सामने देखकर) अहा यहां बैठी हैं। आज मुझको इस माला के गूंथने में बड़ी देर लगी इससे मैं दौड़ी आती हूं। यह म

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अंक-2 : प्रथम गर्भांक

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स्थान-विद्या का महल (विद्या बैठी है और चपला पंखा हांकती है और सुलोचना पान का डब्बा लिए खड़ी है)। सुलोचना : (बीड़ा दे कर) राजकुमारी, एक बात पूछूं पर जो बताओ। वि. : क्यों सखी क्यों नहीं पूछती, मेरी ऐ

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दूसरा गर्भांक

27 जनवरी 2022
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(विद्या और मालिन बैठी है) वि. : कहो उन के लाने का क्या किया, लम्बी चैड़ी बातैं ही बनाने आती हैं कि कछु करना भी आता है? मा. : भला इस में मेरा क्या दोष है मैंने तो पहिले ही कहा था कि यह काम छिपाकर न

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तृतीय गर्भांक

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(विद्या अकेली बैठी है और सुन्दर आता है) वि. : आज मेरे बड़े भाग्य हैं कि आप सांझ ही आये। सुं. : (पास बैठकर) प्यारी, मुझे जब तेरे मुखचन्द्र का दर्शन हो तभी सांझ है। वि. : परन्तु प्राणनाथ, यह दिन सव्

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तीसरा अंक : प्रथम गर्भांक

27 जनवरी 2022
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(विमला और चपला आती हैं) विमला : वाहरे वाहरे कैसी दौड़ी चली जाती है देख कर भी बहाली दिये जाती है। चपला : (देखकर) नहीं बहिन नहीं मैंने तुम्हें नहीं देखा क्षमा करना। विम. : भला मैंने क्षमा तो किया पर

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दूसरा गर्भांक

27 जनवरी 2022
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विद्या सोच में बैठी है। चपला और सुलोचना आती हैं। च. : (धीरे से) सखी, मुझ से तो यह दुःख की कथा न कही जायगी तू ही आगे चलकर कह। सुलो. : तो तुम मत कहना पर संग चलने में क्या दोष है जो विपत्ति आती है स

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तीसरा गर्भांक

27 जनवरी 2022
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राजा सिंहासन पर बैठा है। (मंत्री पास है और कुछ दूर गंगा भाट खड़ा है।) राजा : मंत्री, गंगा भाट ने जो कहा सो तुम ने सुना? मंत्री : महाराज, सब सुना। रा. : तब फिर उनको चोर जान कर कारागार में भेज देना

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