अन्याय व्यवस्था जब बन जाये।
विद्रोह कर्तव्य बनता है।
स्वीकार करो, कर्तव्यों को।
विद्रोह कर्तव्य है। धर्म है पालन करो।
समर भूमि में धर्म स्थापित करने का अवसर मिला हमें।
जीवन को धन्य करें जरा।
आओ मेरे वीरों आओ माता का निमंत्रण स्वीकार करो।
आओ मेरे आज़ाद बनो।सुभाष बनों।
वीर बनों तुम भगतसिंह।
चोला वासंती स्वीकार करो।
आओ मेरे वीरों आओ बिद्रोही बनो।
आमन्त्रण बिद्रोह का स्वीकार करो।
रण सजा हुआ, रणभेरी बजी।
राणा बनने का समय हुआ ।
समर भूमि में है राणा रणबीर बनों।
बिद्रोह करो। बिगुल बजा कर अपने साथियों का तुम आमन्त्रण स्वीकार करो।
हर हर महादेव।
मृत्युपथ पर चल मृत्यु को आँख दिखाएँ तो।
रामनीति, वनवास सही । कृष्णनीति ह्रदय में धारण कर ।
कौरवों के संहार करें न शस्र्त्र की कोई आवश्यकता बस शास्त्रों का उपयोग बहुत।
लेकर फरसा बन परषुराम। प्रकट सनातन परिचय दो तुम वीर रक्त प्रमाण तो दो।
चाणक्यनीति को धारण कर ले केसरिया तु साम दाम दण्ड भेद का कर अनुसंधान।
बन वीर शिवाजी, राणा सा महान, निकले बाजीराव से पेशवा महान।
आरंभ हुआ रण है रणबीर करता तेरा आह्वान।
शत्रु में प्रकाशित कर अपने पूवजों का पुनः वो विजयी कर्म प्रमाण।
अपने ऋण का तू कर भुगतान ।अधिकारी बन स्वर्गलोक का इंद्र समान।
है सिंह समान तू दावा कर सिंघासन का ।
प्रतीक्षा करता तेरी ये मेरा हिंदुस्तान महान।
सिंह की गर्जना मात्र गिर जाते गर्भ शत्रु के मल-मूत्र समान।
हर हर महादेव
वेदांश।
छोटी काशी, जयपुर।