आओ दिवाली मनाये दिल्ली में।
आमन्त्रण सम्पूर्ण दिल्ली वासियों को जो सुप्रीम कोर्ट के पटाखों के दिवाली उपयोग के निर्णय से व्यथित हैं। और क्रोधित हैं।
सुप्रीम कोर्ट नहीं बंधुओं। हमें उन दुष्ट तथाकथित न्यायाधीशों के मूल निवास पर पटाखों का उपयोग या दीपावली मनाने में विरोध प्रकट किया जाना चाहिए।
ज्ञात रहे लोकतंत्र में विरोध हमारा अधिकार है।
दोषी सुप्रीम कोर्ट नहीं ये तथाकथित न्यायाधीश है।
सत्य तो ये सभी दुष्ट अन्यायाधीश ही प्रमाणित हो रहे है।
जो अपने न्याय के दायित्व के विरुद्ध अन्याय कर रहे है। और अन्याय का संरक्षण कर अपराध को प्रोत्साहित कर रहे है।
ये दण्ड के अधिकारी है। इनका सामाजिक बहिष्कार तथा विरोध अत्यंत महत्वपूर्ण व आवश्यक है।
योजना बनाएं और दिवाली विरोध स्वरूप इन दुष्टों के निवास पर ही भव्यता से मनायी जानी चाहिए।
स्वीकार है तो अपना अपना कार्यक्रम बनाये। औऱ आरम्भ करे विरोध व बहिष्कार इन दुष्टों का अन्यायी न्यायपालिका का।
न्यायपालिका का कार्यपालिका को निर्देश असवैधानिक है। और संसद के दोनों सदनो से पारित कानून को रद्द करने का न्यायपालिका को कोई संविधानिक अधिकार नहीं।
न्यायपालिका अपने मूल दायित्व कानूनों का उपयोग कर अपराध नियंत्रण कर अन्याय और अपराध की स्थापना में सहायता कर अपराधियों का संरक्षण आ प्रोत्साहन कर रही है।
औए मूर्खता की हद देखिए कोई भी हिन्दू समाज न्यायपालिका को कार्यपालिका के कार्यों में हस्तक्षेप पर चेतावनी नही दे रहा। इंदिरा और मनमोहन सरकार ने जब भी न्यायपालिका ने निर्देश दिये स्प्ष्ट कहा कार्यपालिका की सर्वोच्चता व अनाधिकृत हस्तक्षेप नहीं करने दिया औऱ। पूर्ण नियंत्रण में मनमाना उपयोग न्यायपालिका व प्रशासन का किया ।
गोरक्षक तो गुंडे है। चौराहा पर गो काटने वाले हत्यारों पर मौन।
वेमूला अखलाक पर कैसा रूधन।
बर्दाश्त से और समझ से बाहर है।
न्यायपालिका पालिका भ्रष्ट हो चुकी है और अन्याय के स्थापना में अपराधों का संरक्षण करके लोकतंत्र को नस्ट करने के षड़यंत्र में भागीदार बन रही. हे|
अन्याय व्यवस्था जब बन जाये।विद्रोह कर्तव्य बनता है।
स्वीकार करो। कर्तव्यों को, विद्रोह कर्तव्य है। धर्म है पालन करो।
समर भूमि में धर्म स्थापित करने का अवसर मिला हमें। जीवन को धन्य करें जरा।
आओ मेरे वीरों आओ माता का निमंत्रण स्वीकार करो।
आओ मेरे आज़ाद बनो।सुभाष बनों।वीर बनों |
तुम भगतसिंह।चोला वासंती स्वीकार करो।
आओ मेरे वीरों आओ बिद्रोही बनो।
आमन्त्रण बिद्रोह का स्वीकार करो।
रण सजा हुआ, रणभेरी बजी।
राणा बनने का समय हुआ ।
समर भूमि में है राणा रणबीर बनों।बिद्रोह करो।
बिगुल बजा कर अपने साथियों का तुम आमन्त्रण स्वीकार करो।
हर हर महादेव।
मृत्युपथ पर चल मृत्यु को आँख दिखाएँ तो।
रामनीति, वनवास सही ।
कृष्णनीति ह्रदय में धारण कर कौरवों के संहार करें |
न शस्र्त्र की कोई आवश्यकता बस शास्त्रों का उपयोग बहुत।
लेकर फरसा बन परषुराम। प्रकट सनातन परिचय दो तुम वीर रक्त प्रमाण तो दो।
चाणक्यनीति को धारण कर ले केसरिया तुम साम डैम दण्ड भेद का कर अनुसंधान।
बन वीर शिवाजी ,राणा सा महान, निकले बाजीराव से पेशवा महान।
आरंभ हुआ है रणबीर रण करता तेरा आह्वान,|
शत्रु में प्रकाशित कर अपने पूवजों का पुनः वो विजयी कर्म प्रमाण।
अपने ऋण का तू कर भुगतान ।अधिकारी बन स्वर्गलोक का इंद्र समान।
है सिंह समान तू दावा पर सिंघासन का ।
प्रतीक्षा करता तेरी ये मेरा हिंदुस्तान महान।
सिंह की गर्जना मात्र गिर जाते गर्भ शत्रु क मल समान।
हर हर महादेव
बेगराज, जयपुर
छोटी काशी का वासी ।