न्यायपालिका का कार्यपालिका को निर्देश असवैधानिक है। और संसद के दोनों सदनो से पारित कानून को रद्द करने का न्यायपालिका को कोई संविधानिक अधिकार नहीं।
न्यायपालिका अपने मूल दायित्व कानूनों का उपयोग कर अपराध नियंत्रण कर अन्याय और अपराध की स्थापना में सहायता कर अपराधियों का संरक्षण आ प्रोत्साहन कर रही है।
औए मूर्खता की हद देखिए कोई भी संघी और सरकार या भाजपा तथा हिन्दू समाज न्यायपालिका को कार्यपालिका के कार्यों में हस्तक्षेप पर चेतावनी नही दे रहा। इंदिरा और मनमोहन सरकार ने जब भी न्यायपालिका ने निर्देश दिये स्प्ष्ट कहा कार्यपालिका की सर्वोच्चता व अनाधिकृत हस्तक्षेप नहीं करने दिया औऱ। पूर्ण नियंत्रण में मनमाना उपयोग न्यायपालिका व प्रशासन का किया । मोदी जी की बुद्धि और जिव्हा को क्या लकवा मार गया है।
गोरक्षक तो गुंडे है। चौराहा पर गो काटने वाले हत्यारों पर मौन।
वेमूला अखलाक पर कैसा रूधन।
बर्दाश्त से और समझ से बाहर है।
बेगराज
जयपुर वासी
छोटी काशी