#कोरोना त्रासदी । #मजदूरों का #पलायन
#मोदी_सरकार_की_विफलता
संविधान की शक्तियों का उपयोग करें।
नागरिकों की जान माल स्वास्थ्य व कोरोना की राष्ट्रीय त्रासदी में सुप्रीम कोर्ट व जनता कि नाराजगी कोई मोल लेने का दुस्साहस नहीं करेगा किंतु इच्छाशक्ति तो मोदी साहिब को ही दिखानी होगी।
विपक्षी आचरण नॉकरशाही का बहाना 6 साल काफी हुआ।
राजदण्ड का भय या राजधर्म का पाप सब राजा की जिम्मेवारी है।
शत्रुओं का चरित्र व भावना को जानकर भी समुचित प्रतिक्रिया व योजनाओं का अभाव इच्छाशक्ति को ही प्रदर्शन करता है।
कश्मीर, धारा 370, राम मंदिर का पुण्य आपका यश तो ये अपयश व दुर्दशा का भयानक पाप व असफलता भी आपकी ही है।
ईश्वर भी अवसर देता है । लाभ लेना न लेना तो आपकी योग्यता व भावना व चरित्र पर ही रहेगा।
मूल मंत्र एक ही है।
लोकतंत्र चुनाव बहुमत 5 साल के लिये अधिकार अवसर व परफॉर्मेंस या अपनी कार्यक्षमता का प्रदर्शन व सिद्धि ही तय करता है।
ये अलग बात है कि नागरिकों को आपका कोई विकल्प नहीं है तो एस्प पुनः शासन पायेगें व नागरिकों को उपलब्ध श्रेस्ठ को ही चुनना होगा।
किंतु नेतृत्व का मूलमंत्र व तो ये है कि या तो आपको ज्ञान नहीं है एस्प जानते नही है।
तो ये विशेषज्ञों कि सेवाओ की उपलब्धता व प्रशिक्षण प्राप्त किया जा सकता है।दूसरा आपको आता तो है किंतु आप वो विकल्प व चयन यर्स सेवा देने ही नही चाहते तो ।
नागरिकों को समझना होगा आपको विचार करना होगा।
सोचिए कितना आसान था जैसे 20 फरवरी के साथ ही सभी मोबाइल काल पर कोरोना की चेतावनी सूचना व रिकॉर्ड सन्देश सभी को दिया गया।
इन्ही फ़ोन सुविधाओं को कॉल सेंटर की व्यवस्था से नागरिकों से संवाद बनाकर धरातल की सही स्थिति व सेवाओं की व्यवस्था व सरकारी कार्यक6योजनाओं पर सटीक नियंत्रण किया जा सकता था।
अनपढ़ व मजदूर व ग्रामीण भी विना किसी स्मार्टफोन के सामान्य फोन पर अपनी सीधी बात मांग व संवाद से योजनाओं का निर्णय व संचालन केंद्रीय रूप से राज्य सरकारों पर नियंत्रण व निर्देशन से व पुलिस व अर्ध सैन्य बलों के उपयोग से सहज व सरलता से किया जा सकता था।
कोई तबलीगी कोरोना संक्रमन को फैलाने में सक्षम नहीं होता व मजदूरों की भिनकोउ समस्या नही होती व विपक्षी व गैर भाजपा राज्यों की सरकारों के मंसूबे धरे रह जाते।
थोड़ी सख्ती व अर्ध सैन्य बलों का उपयोग भी सुप्रीम कोर्ट व नागरिक स्वीकार करते हैं प्रशंसा करते।
अभी तक देशभर से कोरोना समाप्त हो जाता।
विपक्ष व तबलीगी व राष्ट्र विरोधी हाथ मलते रहते।
नागरिक सुरक्षित व देश सुरक्षित व न्यूनतम प्रयास व संसाधनों व मानवों को कोरोना प्रभावित कर पाता कोई धन व स्वास्थ्य व पुलिसकर्मियों की कष्टकारी दृश्य नही बनते।
तबलीगी अपने अपने स्थानों पर स्वंय ही या तो समाप्त हो जाते या सरकार व प्रशासन की शरण मे स्वास्थ्य विभाग की सेवाएं मांग व स्वीकार करते।
निष्पक्ष व ईमानदारी से सत्य स्वीकार कीजिये।
जय हिंद जय भारत।।