#आरक्षण एक षडयंत्र आरकक्षण
आरक्षण की व्यवस्था मात्रा स्वर्ण व् हिन्दू समाज को बढ़ाने और देश को खंड खान खंड करने के लिए ही बनाया गया हे | आज जिस भी समाज को आरक्षण का लाभ मिल रहा हे वः तो ऐसे क्यों छोड़ेगा मुस्लिम समाज को भी अल्पसंख्यक बनाकर वित्तीय लाभ मिलते हे वो भी क्यों अपना लाभ नहीं छोड़ेगे. तो ये समस्या मात्रा सामान्य स्वर्ण समाज की ही हे तो समाधान भी सामान्य स्वर्ण समाज को ही दूदना होए बिना रॉय तो मन भी बच्चे को दूध नहीं पिलाती तो सरकारों और नेताओ और दुराग्रही लाभार्थी आरक्षित समाज से आशा रखना ही मूर्खता होगी.
अब तो स्तिथि यह हे की या तो भीख मागणी होगी या मर जाओ अन्यथा अपने आने वाले पीडिओ बच्चों के हक़ की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हो जाओ और मैदान में शक्ति प्रदशन कर दबाब बना कर आर्कषण ले लो. या सरक्षण ही हासिल करो.
तथ्यों पर विचार करे तो 1947 में जो स्वर्ण समाज सरकारी नौकरी में था वह पूरा का पूरा सेवा निवृत होकर सिस्टम से बहार आ चूका हे जिसके कारन सवर्ण समाज का लोर भी प्रतिनिधि अब सिस्टम व्यवस्था में नहीं हे | और अब आयु अवसर और परीक्षा शुल्क के बहाने से प्रवेश मार्ग बांध कर दिया गया हे | विशेष भर्ती अभिया के तहत आरक्षण मार्ग से ही आरक्षित ही सेवा में आये हे | सवर्ण समाज का कोई प्रतिनिधि नहीं न तो राजनीती में नहीं नौकरशाही में कौन सुने कोइ हो तो ही सुने हमारी आवाज उड़ने वाला कोई नहीं | जो राजनीत में सामान्य समाज ही उनहे भी तो वोट हमसे लेते हे और सेवा आरक्षित समाज ही की | अब तो निजी नौकरियॉं में भी आरक्षण की वकालत होने लगी हे. . प्रमोशन में बह आरक्षण ही चाहिए. .| बड़ा कठिन समय आने वाला हे सोच कर ही भय लगता हे. ..
मूल रूप से ब्राह्मण राजपूत व् अन्य सामान्य समाज को नष्ट करने ही के लिए सविधान में आरक्षण बनाया गया हे सांविधानिक रूप से नागरिक अधिकारों से वंचित दलित समाज | भविष्य मात्र धीरे धीरे स्वर्ण समाज अपने आप ही समाप्त हो जायेगा,
अब यदि हम आरक्षण को लेकर ऐसे खत्म करने की कोशिश करते हे तो देश में ग्रहयुद्धा की स्तिथि हो जाएगी ऐसी कारन कोई भी नेता आरक्षन को समाप्त करने की हिम्मत नहीं कर सकता मधि मोदी जैसा नेता भी नहीं कोई भी भरम न पीला आशा न रखा | इस ग्रहयुद्धा को निमत्रण देने जैसा ही होगा |
आरक्षन के दुष्परिणाम :
1. शिक्षा में गुणबत्ता में कमी जिस के परिणामस्वरूप शिक्षा महंगी हो गई और गरीब की पहुंच से दूर हो गए | सरकारी अधयापक आरक्षित समुदाय से होने के कारण मात्रा वेतन लेते हे वच्चों की पड़ने के योग्य तो हे ही नहीं कितनी ही बार न्यूज़ चैनलों पर कितने ही राज्यों की खबरे साक्ष्य हे. | परिणाम स्वरूप सरकारी विधलया में कोई भी अपने वच्चों को पड़ना ही नहीं चाहता है .
2. अस्पतालों में अयोग्य डॉक्टर व् कर्मचारियों के कारन मरीज को बीमारी तो जेकाम की होती हे और मर वो मलेरिया से जाता हे | बीमारी कोई इलाज कोई | परिमाण असमय मौते या हत्या | यदि सवाल उड़ाए तो दलित समुदाय से होने के कारन दुर्भावना का आरोप लगाकर पीड़ित परिवार ही जेल कोर्ट के चककर काटा रहे. आरक्षित डॉक्टर य कर्मचारी को कोई आंच भी नहीं आएग उलटे मरीज या समाज सवर्ण समाज ही दंड पायेगा | पूर्ण आपराधिक सुरक्षा |
नेताओ सुर अधिकारीयों को सब मालूम हे तो वे विदश में इलाज करते हे उन्हें कोई फरक नहीं आवश्यकत भी नहीं. .
3. पुलिस प्रशासन में अयोग्य आरक्षित अधिकारि अपराध की रोकथाम में असफल होते हे और ब्रश्ताचर में लिपट रहकर रिश्वत लेने और चापलूसी में ही व्यस्त रहते हे परिणाम सामान्य समाज में भय और अपराधियों की मौज | लूट ब्लातकार की बाड|
4. देश दी प्रतिभा के सम्मान व् स्थान नहीं होने के कारन प्रतिभा पलायन जो की अमेरिक और युरोपिया देशो के विकास में योगदान देती हे साथ ही साथ देश के विकाश में अवरुद्ध करने का साधन |
5. निष्कर्ष रूप में आरक्षण का लाभ आरक्षित समाज को भी नन्ही मिल पाया क्यिंकि आरक्षण पर कुछ ही आरक्षित लोगो ने कब्ज़ा कर रखा हे जिस कारन लालू यादय , मुलायम यादव जीतन राम मांझी राम विलास पासवान मायावती व न जाने कितने ही गिने चुने लोग पीड़ी दर पीड़ असीमित करोडो की सम्पत्ति होने के वावजूद आरक्षण कर काबिज हे जबकि सेष आरक्षित समाज अभी भी उसी स्तिथि में हे : लाखो करोडो कमाने वाले टेक्स देने वालो आरक्षित समाज जो की क्रीमी लेयर के रूप में आरक्षण का लाभ उदा कर बाबा आंबडेकर के की सपने और सविधान का दुरूपयोग कर रहे हे. स्थिति इस हे की 100% आरक्षण भी यदि कर दे तो कोई सुधार नहीं संभव हे, |
6. कम से कम जो आरक्षित परिवार टेक्स जमा करता हे | और जो परिवार एक बार आरक्षण के तहत लाभ ले चूका हो शी पीड़ी दर पीढ़ी आरक्षण के लाभ से वंचित करना ही चाहिए. | इ शका भी लाभ आरक्षित समाज के ही उन लोगो को मिलेगा जिन्हे अभी तक आरक्षण क्या होता हे मालूम ही नहीं हे. ..
7. शेष वंचित अनारक्षित समाज को भी परीक्षा शुल्क शिक्षा सहयोग आयु में लाभ बह देने की व्यवस्था की ही जनि चाहिए जिसमे किसि भी समाज को आपत्ति भी नहीं हे और सांविधानिक बाधा भी नहीं हे | अन्यथा देश को ग्रहयुद्धा से कोई भी नहीं बचा सकता भगवान भी नहीं |
8. सुरक्षा रक्षा व्यवथा में भी अयोग्य कर्मचारी हे जिनके कारन देश समाज का अस्तित्तव् ही संकर में हनजर आता हे नही तो सीमाओं को पार कर कानून वव्यस्था के सक्षम होने पर भी बांग्लादेश से 5 लाख घुसपैठियें हमारे ही संसाधनों का अनाधिकार पूर्वक उपयोग कर ही रहे हे और अब लगभग 2 लाख रोहिग्यान मुसलमांन भी हमारा हक़ चीन ही रहे हे कानून और सविधान ने की कर लिया सोचकर देखो.. कितना कड़वा सच |
समाधान मात्रा सामान्य सवर्ण समाज को अपने हक़ की आवाज खुद ही उड़ानी पड़ेगी | वर्तमान स्वर्ण राजनेता जो किसी भी राजनैतिक पार्टी में हे इनका भी विश्वास नहीं करके इन्हे समाज से बहिष्कार करना ही समाधान हे. .. और स्मरण रहे इस चुनाव से चुनाव तक ही सिमित नहीं हे | यद नित्य दिन प्रतिदिन की लड़ाई हे | सडको पर उतरना ही पड़ेगा हर शहर दर शहर. ..
वर्तमान स्वर्ण राजनेता जो किसी भी राजनैतिक पार्टी में हे इनका भी घेराव करना पड़ेगा इनसे हिसाब मग्न ही पड़ेगा नित्य दिन प्रतिदिन दबाब बनाने का समय हे यही शक्ति हे | परिणाम अपने आप शीघ्र आ जायेगे यदि सामान्य समाज जाव गया और अपने अधिकार की मांग करे तो समीक्षा की शुरुआत हो जाएहि. ...
आरकक्षण में सुधार या समीक्षा
1. जो बच्चे 10+2 तक सरकारी विद्यालयों व बाद में सरकारी महाविद्यालयों में ही पढ़े हों, सिर्फ उन्हें ही आरक्षण मिले, प्राइवेट स्कूलों में पढ़े हुए बच्चों कोनहीं।
सरकारी स्कूल में पढ़े बच्चे वास्तव में ही गरीब होते हैं, अमीर के बच्चे तो प्राइवेट विद्यालयों में पढ़ेंगे।
2. जिस परिवार में तीन से अधिक बच्चे हों, उस परिवार के किसी बच्चे कोआर्थिक आरक्षण नहीं मिलेगा क्योंकि आरक्षण की मदद उनके लिए होती हैजिन पर जिंदगी बोझ हो, उनके लिए नहीं जो देश पर बोझ हों।
3. अगर एक बार भी विधायक, सांसद या किसी अन्य सरकारी लाभ के पदपर रहे हो या क्लास 3 या इससे ऊपर की सरकारी नौकरी तक गए हो तोआर्थिक आरक्षण के दायरे से बाहर हो गए।
4. जिसके माता या पिता पहले से ही आरक्षण का लाभ पाकर सरकारी नौकरीमें कार्यरत हो उनके बच्चे को भी आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।
5. अति उपजाऊ भूमि में 5 एकड़ से कम, मध्यम उपजाऊ भूमि में 15 एकड़ सेकम व रेगिस्तानी भूमि में 25 एकड़ से कम वाले छोटे व गरीब किसानों केबच्चों को ही आरक्षण मिलेगा।
6. निजी उपयोग हेतु कभी खुद का चार पहिया वाहन न रहा हो और शहर मेंअपना मकान न हो, सिर्फ उन्हीं गरीबों के बच्चों को आर्थिक आधार परआरक्षण दिया जाये।
अभी के लिए इतना काफी है, आर्थिक आरक्षण मिलने के बाद कहीं से गलतसेंध लगे, उसकी समीक्षा करके वो रास्ते बन्द किये जाते रहें।
शपथ लेकर अपने बच्चों की अपने बच्चों के भविष्य के लिए जागो और लड़ों अपने अधिकार की लड़ाई. ....
आरक्षण नहीं संरक्षण ,
संरक्षण में। प्रथम चरण में अनारक्षित सवर्णों के आर्थिक रूप से असमर्थ वर्गों को सामाजिक न्याय सहायता व सहयोग के रूप मे नये सिरे से मिशन आरम्भ किया जाए।
संरक्षण और अस्तित्व बचाओ की भावना इसे आरक्षित वर्ग व सविधनिक बाधा से बचाएगी।
व सरकारी नॉकरी में कोई प्रकार की मांग करने के कारण आरक्षित वर्ग के हित प्रभावित नहीं होगें, इसी कारण कोई भी सामाजिक विद्वेष औऱ विरोध उत्पन्न नही होगा।
मूलतः कोई भी राजनीति क दल सवर्णों के आर्थिक रूप से असमर्थ लोंगो के आरक्षण के खिलाफ नहीं है ऐसी कारण इन स्थितियों का लाभदायक उपयोग किया जा सकता हैं।
1,प्रतियोगी परीक्षाओं में शुल्क से मुक्ति या न्यूनतम किया जाये।
2,छात्रवृत्ति के रूप मे सरकारी सहयोग का आरम्भ, जब पेंशन योजना व हज सब्सिडी व अनेक प्रकार की सब्सिडी इतने भारी वितीय घाटे भार उठाकर जारी रख सकते है। तो ये भी किया जाना उतना ही अतिउपयोगी व अतिआवश्यक है।
नरेगा, भोजन का अधिकार के सफेद हाथी समान निरर्थक वित्तीय मदद या सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम जारी रखे जा सकते है।तो यह न्यायोचित मांग में संविधान तथा न्यायालय की बाधा भी नही होगी।
3,आयुसीमा में वृद्धि कर अवसरों की सीमा का लाभ भी मांग जाए।
4,प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रशिक्षण की भी सहयोगी व्यवस्था नियमित सरकारी संसाधनों के समुचित उपयोग से की जा सकती हैं।
5,सवर्ण समाज के क्रीमी लेयर को इन सभी लाभों में सम्मिलित न किया जाए। क्रीमी लेयर की सीमा 5से6लाख रखी जा सकती हैं।
उपरोक्त कार्यक्रम प्रथम चरण के लक्ष्य तय किये जायें तथा सवर्णों का सम्मलित प्रयास कार्यक्रम अभी से आरंभ किया जाये।
सभी आरक्षण प्रकोष्ठों बिभिन्न सवर्ण सामाजिक संगठनों को संरक्षण मिशन के एक मंच पर लक्ष्य आधरित समरूपता आ एकता का परिचय भी दिया जाए।