यह एक तो विषय ही नहीं है जिस पर चर्चा की जा सकती है, यह केवल एकमात्र पश्चिम समय को नष्ट करना है है और युवाओं और समाज को मुख्य विषय और राष्ट्र आवश्यकताओं के हटान है।
यह सिर्फ नींद की शिक्षा और भोजन किस प्रकार किया जय की तरह है। क्या किसी को यह जानने की ज़रूरत है कि कैसे सोना है?
नेताओं और बौद्धिक समाज में और राष्ट्र की जरूरतों और मांगों और गर्म मुख्य मुद्दों में रुचि नहीं रखते हैं .. वे संविधान और शांति और न्याय के प्रस्ताव की रुचि नहीं रखते हैं न ही कानून और व्यवस्था के कर्तव्यों से ..
इसलिए वे विषय से ध्यान हटाना चाहते हैं जो सूट की विषयों को प्रासंगिक विषय नहीं है जिन्हें उन्हें मूल विषय की ओर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है जो कि मुख्य प्रारूप संविधान से तय कर्तव्य और प्रस्ताव हैं .. जैसे ..
हमारे देश को निम्न विषयों को वरीयता व् महत्वता से स्थापित करने की आवश्यकता हे हम अपनी समस्त शक्ति व् संसाधन निम्न विषयों पर केंद्रित करने किए आवश्यकता है. .
1 रोटी
2. कपड़े
3. घर
5. शिक्षा
6. रोजगार
7. त्वरित न्याय
8 नागरिक सुरक्षा
9. भरष्टाचार मुकत शासन प्रशासन का मतलब कानून और व्यवस्था है ..
विषयो की वरीयता के कर्म को संविधान के दायित्व व् आवश्यक कर्तव्यों के सापेक्ष संविधान की मुख्य भावना व् लक्ष्यों की दिशा को भर्मित करने की प्रकिर्या में इस प्रकार के विषयो में देश व् समाज के साधन व् श्रम व् संसाधनों में मानव मन की दिशा को मुख्या विषयों से हटा कर भरष्टाचार में अपराध मुक्त शासन व् संविधान के मुख्य प्रशाशनिक कर्तव्यों की पालना से इस प्रकार के विषयों की आवशयकता ही नहीं रहहेगी \
इस समूह में उपलब्ध क्या कोई येक सदस्य को किसी भी प्रकार की सेक्स एजुकेशन के बिना भी सभी को पुराण सेक्स का क्या ज्ञान नहीं किए भी ऐसे हो तो स्वीकार करे व् समाने आये तो विषय की प्रसंगिकता स्पष्ट होगी. .
क्या किसी को सेक्स एजुकेशन के बिना सेक्स जीवन में किसी प्रकार की शिक्षा की आवश्यकता निजी जीवन में है तभी समाज पर इस प्रकार की चर्च का आचित्य है. . कहिये. .
34 सदस्यों में से एक भी नहीं हे क्या सेक्स की शिक्षा की जिसे निजी जीवन में आवशयकता है या जिसे कोइ सेक्स समस्या आ रही है मित्रों. . .या सभी को विधालयों व् महाविधालयों या परिवार में माता पिता ने बचपन में ही सेक्स की शिक्षा दे दी थी ???
सन्नाटा क्यों हे मित्रों क्यों हम सत्य को स्वीकार नहीं करते क्यों मुर्ख बन रहे हे .. ये मात्र विधालयों में भी सेक्स आचरण को आपके बच्चों में अनावश्यक व् अनधिकृत रूप से अपराध व् व्यभिचार को योजनाबद्ध रूप से स्थापित करने व तीव्र गति से बढ़ाकर देश समाज ही नहीं मुख्या रूप से परिवार नमक संस्था को नष्ट करने का षड़यंत्र मात्रा है.