करवाचौथ चांद का दीदार
अनोखा आज फ़लक का चांद आएगा , करूंगी चांद का दीदार,
यकीं है मुझे ना वो बहुत इंतजार कराएगा।
इश्क का आनन्द तभी आएगा , जब चांद का चांद सा मुखड़ा नज़र आएगा ,
साजन सजनी को अपने हाथों से दो कौर खिलाएगा ,
सफेद दूध - धुली चांदनी में आज हर आशिक क़ाफिर बन जाएगा ।
हर प्रेमी अपनी प्रेमिका को चांदनी से नहलाएगा ,
कर के चांद का दीदार महबूब की बाहों में खो जाएगा ।
लेकर इश्क के हिलोरे हुस्न भी खुद पर इतराएगा,
हज़ारों सितारों को निचोड़ कर एक चांद बनाया , हज़ारों चांद की रोशनी आज मेरा चांद दिखाएगा ।
हो चौथ या ईद , करें सब चांद का दीदार , चांद एक और ताकने वाले हज़ार ,
एक चांद सब पर अपनी शीतलता बरसाएगा ,
करके आज दीदार चांद का , चांद मेरा भी इतराएगा ।
फ़लक के दिल में है चांद का बसेरा , चकोर की आंखों में चांद का डेरा,
हो अमावस या पुर्णिमा का चांद मांगे वो पूरी रात ,
सब पर वो चांद अपनी चांदनी का अमृत बरसाएगा ।
सजनी संग साजन भी आज करें देखो चांद का दीदार ,
देख कर आज मेरा चांद अर्श का चांद भी शरमा जाएगा ।
होगा जब दीदार चांद का बहका बहका साजन होगा ,
संगेमरमर सा बदन मेरा चांदनी में और निखर जाएगा ।
झूलते हुए बाहों में साजन की , खो जाऊंगी आंखों में उसकी,
लबों से जब मेरे वो लाली चुराएगा,
इश्क का इजहार होगा , इकरार होगा , प्यार के वादों का इन्फाज़ ( express ) आएगा ।
होगा जब चांद का दीदार इश्क का मज़ा तब आएगा ।
मौलिक एवं स्वरचित
प्रेम बजाज, जगाधरी ( यमुनानगर )