पैग़ाम
ए चांद मेरे महबूब को मेरा पैग़ाम देना,
कर उसके नाम मेरी सुबह-शाम देना।
कहीं नज़र आए मेरा चांद जो तुमको,
तुम उस को मेरा कह सलाम देना।
कह देना विसाले-यार तड़पते हैं,
तुम हाल मेरा उसे बता तमाम देना।
इंतजारे-यार में शब-भर जागा करते हैं,
ये संदेशा मेरा उसको बार-बार देना।
तुझसे मिलता है मुखड़ा मेरे चांद का,
कर उसपे अपनी चांदनी तुम निसार देना।
ग़म की परछाई भी ना छू सके दिलबर को,
ए खुदा खुशियां मेरी कर उसके नाम देना।
सांसें लेती है *प्रेम* प्यार की पवन में,
पहुंचा उस तक मेरे प्यार की बयार देना।
प्रेम बजाज ©®
जगाधरी ( यमुनानगर)
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