मुझ में रम जाओ
जान-जान कह के क्यों इस तरह जान मेरी लेते हो,
इतना तो बताओ क्यों इस कदर तड़पाया करते हो
थम जाती धड़कन जब इस कदर प्यार से बुलाते हो।
छू जाती है जब हवाएं तेरी ओर से आती हुई मुझको,
उठती है उमंगों की लहरें , सरसराहट सी बदन में
दौड़ती है, तपिश तेरे अहसास की मुझे जला देती है।
अरमानों का उफान अपनी जवानी का जोश लिए,
अहसासो की सरगम सुनाई देती है, जब फिजाओं में
तेरे बदन की खुशबू महक उठती है।
जितना काबू करती हूं खुद पर मन उतना ही तेरे लिए
मचलता है, देख कर तेरी नशीली आंखों में बिन पिए
ही ये दिल झूमने लगता है।
यूं सरेआम मुझे इशारे से बुलाया ना करो, देख लेगा
जमाना यूं प्यार दर्शाया ना करो, भूले से ग़र हो गई
ख़ता हमसे, कर देगा रूसवा ज़माना, मेरी गली तुम
यूं आया ना करो।
आंखों में ना रहो, चोरी छिपे मेरे दिल में बस जाओ तुम,
इस दिल की धड़कन बन जाओ तुम, दमे- आखिर हो
और तेरी याद हो, ज़ुबां पर तेरा नाम हो, इस कदर
मुझ में रम जाओ तुम।
प्रेम बजाज ©®
जगाधरी ( यमुनानगर)