ना तुम आया, ना तेरा पैग़ाम आया
ना तु आया ना ही तेरा पैग़ाम आया,
तेरे नाम का मुझ पर इल्ज़ाम आया ।
लेती हूं नाम तेरा मैंने दिल तुझको दिया,
तेरे लबों पर ना कभी मेरा नाम आया ।
भूले से ही कभी याद कर लो मुझे तुम,
मेरे दिल से सदा तेरे लिए सलाम आया ।
क्या कहूं किस तरह गुजरती है शब मेरी
बदलते हुए करवटें, ना कभी आराम आया।
छुपा के रखें थे अरमान विसाल-ए- यार के,
मगर ना यार आया ना यार का पैग़ाम आया ।
कहते हैं लोग मुझे मोहब्बत है तुमसे
दिया दग़ा तुने तेरे दिल में ना एहतराम आया।
प्यार ना हो रूसवाछुप-छुप कर आंहें भरते थे,
मगर जब यार आया तो सरेआम आया ।