मैं तुमसे मोहब्बत करता हूं
मैं तेरे पास रहूं या रहूं दूर तुझसे, तेरी यादों के साए संग रहते हैं, जब भी चलती है हवा, तेरे बदन की खुशबू को महसूस करता हूं।
धड़कता है दिल तेरा ही नाम लेते हुए, लब बातें तेरी किया करते हैं, लेता हूं सांसें मैं जब-जब तेरी सांसों की गर्मी महसूस करता हूं।
नहीं कोई पल ऐसा जब तुझे भूला हो ये दिल, नस- नस में मेरी तुम लहू बन कर बहती हो, जब भी विसाल-ए-यार की तलब हो, आइना देख लिया करता हूं।
मयखाने का रूख क्यों करूं मैं, झांक कर दिल में तेरी आंखों के नशे में झूमा करता हूं, देख अपनी परछाई को तुझे संग महसूस किया करता हूं।
शब-ए-हिज्रा नहीं तड़पती मुझे, लेकर तकिए को आगोश में तुझे महसूस किया करता हूं, सपनों में करता हूं प्यार तुझसे, तेरी अंग-अंग से खेला करता हूं।
कभी ख्यालों में तेरे बालों में गजरा लगाता हूं, कभी हटाकर आंचल तेरा, तेरे सीने पे रख कर सर सो जाया करता हूं, कभी कस्तूरी पे तेरी लबों से अपने मैं इश्क लिखा करता हूं।
तुम पूछती हो मुझसे इन बातों का मतलब क्या है, मुझे तुमसे मोहब्बत है, मैं सरेआम ऐलान ये करता हूं, हां मैं तुमसे मोहब्बत करता हूं।
प्रेम बजाज ©®
जगाधरी ( यमुनानगर)