नकाब
दुनियां की नज़रों से हम डरा करते हैं,
इसलिए ख्वाब में भी नकाब किया करते हैं।
कोई देखे ना हमें आपकी ख्वाबगाह में आते हुए,
हमें आपसे सरेआम इश्क लड़ाते हुए।
जानती हूं ख़्वाब में ना किसी की दखलअंदाजी है,
इसलिए हमने लगाई ख़्वाबों में दिल की बाज़ी है।
हर पल रहते हो नींद की आगोश में, लिए हसरत निगाहें-जमाल की,
बेचैन रहते हैं हम भी, हमें हसरत है दीदार-ए-यार की।
दुल्हा बन जब तुम मेरे दर आओगे, ले हाथ मेरा अपने
हाथों में संग अपने ले जाओगे, दुल्हन बन हम भी
इतराएंगे, जब तुम नकाब अपने हाथों से हटाओगे,
बा-खुदा किस कदर हम पे प्यार लुटाओगे,
हम भी तब हया से पलकें झुकाएंगे, तब तुम चेहरा
हमारा अपने हाथों से उठाओगे।
मेरी नथनी पर बस एक हक तुम्हारा होगा,
तुम्हारे हाथ करेंगे अठखेलियां मेरी कस्तूरी से, जिस्म
पर मेरे लिखोगे प्यार लबों से, कमरबंद पर मेरी,
नाचेंगी उंगलियां तुम्हारी, सीने पर तेरे मैं आंखें मूंद
सपनों में खो जाऊंगी, तुम शाने पर मेरे रख कर सर
सो जाओगे चैन से।
इबादत सा वो समां होगा, बुतकदा इश्क में मस्जिद
बना होगा,
चांद हमारी आगोश में होगा, सितारे मांग में धरे होंगे,
इश्क पर हक हमारा होगा, ये हुस्न बिन नकाब तुम्हारा होगा।
प्रेम बजाज ©®
जगाधरी ( यमुनानगर )