समग्रता पहले की अपेक्षा आज सूचनाएं ज्यादा प्राप्त हो रही है। आज इतनी सारी जानकारी हमे एक साथ मिलती है कि हम तनाव में आ जाते है। ऑफ़िस जाना है वहाँ की कई ऑनलाइन व ऑफलाइन काम पेंडिग है। बच्चो की फीस
विपत्ति का निखार हम ये सोचते है कि हम पर कोई दुख का पहाड़ ना टुटे। कोई समस्या ना आए। सोचो यदि हमे कोई कार्य न करना पड़े तो हमारे शरीर से कोई काम ना होगा मासपेशी दुर्बल हो जायेगा जब हम किसी पार्
आज हमे अपने पर्यावरण के प्रति विचार मंथन करने की ज़रूरत है। जिस पृथ्वी पर हम रहते हैं वह नष्ट होने के कगार पर है।हमने तो अपने घर को साफ सुथरा व सजाकर रखा है।पर उसका नीव ही कमजोर हो तो मकान कब तक साथ
सफलता और असफलता सफलता और असफलता जीवन में आती जाती रहती है। आप एक विद्यार्थी है और एग्ज़ाम पास कर लिए आप फ़र्स्ट डिवीजन से पास हुए आपने सोचा या लक्ष्य निर्धारित किया था कि मैं इस वर्ष फ़र्स्ट डि
एक बार की बात है गुरु द्रोणाचार्य ने पांडवो को धनुर्विद्या सिखाने के पहिले परीक्षा ली। सभी लोगो को एक पेड़ पर ले जाकर पूछा आप लोगो को क्या दिखाई दे रहा है उस चिडियाँ पर निशाना लगाना है ।सभी लोगो ने
जिसको जीवन कहते वो जीवन नही हम लोग ये कहते है कि हम जीवन जी रहे है। क्या यह सही है? क्या सचमुच में हम जीवन जी रहे हैं? मनुष्य जन्म लेता है बचपन आता फिर जवानी आती है फिर बुढापा। ये तो क्रमश: घटि
माइन्ड (मन) मन को समझना बहुत जरूरी है क्योंकि कहा गया है मन के हारे हार है मन के जीते जीत।मन एक ऐसा शख़्स है जो अपनी जाल से हमे उलझाकर खुद मालिक बन बैठता है। मन अपनी चाल कब चलता है पता नही चलता।
गोल्डन समय सभी लोगो के मुख से आप लोगो ने ये बात सुनी होगी कलयुग का जमाना है। ये कलयुग है जरा बच के रहना यहाँ झूठ का बोलबाला है।सच कही अस्त हो गया है। लोगो की बातो को सुनते सुनते हम उसे सच मा
छोड़ गाँव की अल्हड़ मस्ती,खुद को समझता शहरी हस्ती।सोच ब्रांडेड पर चींजे सस्ती,बातें जन-जन कीं अब डसती।।छूट गया ये रक्षाबंधन।टूट गया सपना तरु चंदन।।अब लगता नहीं मन किसी मोह में।यौवन गुजरे उहापोह मे
🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹 *‼️ भगवत्कृपा हि केवलम् ‼️*🎄🎈🎄🎈🎄🎈🎄🎈🎄🎈🎄🎈*श्रीरामचंरितमानस में तुलसीदास जी महाराज ने उत्तरकांड के लेखन में अंतर्मन के विकारों का बहुत विस्तृत वर्णन किया है |उसके अनुसार अंतर्मन के विकार निम्नवत् है :---**काम , क्रोध , लो