अंधकार भरे इस जंगल से,
ले चलो उस पार,
प्रियतम ले चलो उस पारl
वहां जहां संगम होता है,
धरती और गगन का l
वहां जहां मौसम होता है,
खुशियों और चमन का l
बादलों के पार,
जहां न हो कोई बंधन,
जहां न हो कोई द्वेष कलुसता l
हर पल खुश हो जीवन l,
जहां नहीं हो टूटे दिल,
उसी क्षितिज के आंगन l
ना हो कोई लोभ प्रलोभन,
मैं हूं और मेरे साजन l
वहां जहां कलियां खिलती हों,
भंवरी जहां मंडराते l
जन्नत भरी सुबह जहां हो,
महकी महकी राते l
और नहीं कुछ मांगू तुझसे,
मांगू महका जीवन l
तेरे लिए है जीवन अर्पण,
यकीन मानो मेरे मन l