दर्द और प्यास में
अपनो की तलाश में
जिन्दगी कहाँ रुकती है
जीत और हार में
नफरत और प्यार मे
जिन्दगी कहाँ रूकती है
वर्षा और बाढ में
सूखे की मार में
जिन्दगी कहाँ रुकती है
चलती रहती है यह
आखिरी साँस तक ।
आखिरी आस तक ।
खुशियों के संयोग मे
अपनो के वियोग में।
टूटती है बिखरती है
फिर वह सवंरती है
जिन्दगी कहाँ रुकती है
पीछे छोड़ जाती है
कुछ अनमोल रिश्ते
कुछ भूले बिसरे चेहरे
कुछ मीठी कडवी यादें
कुछ आधे अधूरे वादें