ओ जिंदगी मेरे घर आना,
अकारण ही मौत के घाट
उतार दी जाने वाली हर लड़की को,
हर औरत को,
हर बच्ची को ,
और हर स्त्री गर्भ को तुम बचानाl
ओ जिंदगी मेरी घर आना,
जींस पहनने पर बेटी को मार दे,
ऐसे बाप को तुम सबक सिखाना
ओ जिंदगी मेरे घर आना
इतनी उत्कृष्टसंस्कृति, योग, अध्यात्म, ज्ञान विज्ञान जिसका संपूर्ण विश्व लोहा मानता हो, ऐसे देश में जब कपड़ों को लेकर हत्याएं हो
और जब ऐसे खोखले विचारधारा के समाचार विदेशी पृष्ठभूमि पर पहुंचते हैं तो उनके जेहन में भारतीयों की निकृष्ट छवि बनना स्वाभाविक हैl
कितने और कितने खोखले हैं हम और हमारे विचार कितना दोगलापन हमारी सोच मे भरा हुआ हैl
भारत में स्त्रियों को देवीकी तरह पूजा जाता है एक ऐसी देवी जो पुरुष रूपी ईश्वर के समक्ष उसकी हर इच्छाओं, भावनाओं को तुष्ट करने के लिए सदैव बलिवेदी पर रखी गई होl
भारत में औरतों की स्थिति केवल बली बकरे के जैसी है बलि देने से पहले इसे विधिवत पूछा जाता है फिर
अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए... कभी गर्भ में कभी जिस्म की आग बुझाने के लिए, कभी अपने सम्मान के लिए और कभी उसके वस्त्रों के लिए बिना किसी संकोच के
सहर्ष बलिदान कर दिया जाता है
और यह समाचार सुनकर ,पढ़कर हर बार हम और हमारा समाज मौन रह जाता हैl कोई फर्क नहीं पड़ता किसी को न हीं ऐसी घटनाओं के लिए कोई आंदोलन करता न हीं धरने पर बैठताl
परंतु ऐसी घटनाएं पढ़, सुनकर मेरी आत्मा फट जाती है,
कुछ पल के लिए ऐसा लगता है कि परशुराम की तरह फरसा उठाकर धरती सभी कुत्सित मानसिकता वाले पुरुषों से विहीन कर दूंl परंतु मेरी यह सोच भी श्मशान वैराग्य की तरह ही है, कुछ देर बाद मैंभी सब कुछ भूल जाती हूं और अपने काम करने लग जाती हूl
क्योंकि मैं जानती हूं मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती
जीवन के इस क्षेत्र में मैं हर बारस्वयं को अकेला पाती हूं हूं, मैं जानती हूं कि लीक से हटकर चलने वाले को समाज में कोई स्थान नहीं मिलता हैl सच बोलने वाला सच के लिए लड़ने वाला हमेशा समाज में दबाया और प्रताड़ित किया जाता हैl या संदेह के घेरे में जकड़ कर घुटने के लिए मजबूर कर दिया जाता हैl
फिर चाहे सरकार हो या आम जनता अपने खिलाफ बोलने वाले को अपनी मुट्ठी के शिकंजेमें कसकर जकड़ देना चाहती हैl अंततः मजबूरन सभी किंकर्तव्यविमूढ़ की भांति सब कुछ देख सुनकर मौन साधना में लीन रहने में ही अपनी भलाई समझते हैंl
पर क्या यह जिंदगी वास्तव में कोई जिंदगी है खुद के लिए खाना, खुद के लिए कमाना,खुद के लिए जीना और 1 दिन नाली के कीड़े की तरह मर जानाl
यह सोच कर मैं अक्सर अपराध बोध से ग्रस्त रहती हूंl और जिंदगी से कहती हूं "ओ जिंदगी मेरे घर आना"!