जिंदगी रुक सी गई
मंजर ठहर सा गया हैl
दूर से जो दिख रहा,
क्या वह नया आसमां है?
क्या नयी हवा वहां,
क्या नई उमंग है?
जिंदगी को सजा दे फिर से,
क्या वो नए रंग हैं?
स्वप्न देखती रही
स्वप्न देखती रही
एक नए जहाँ न की,
रोशनी से भरे
नए आसमान की
फिर जो टूटा ख्वाब था,
फिर जो टूटा ख्वाब था
रंग थी ना रोशनी,
न नया आसमान थाl
मुश्किलों से भरा
फिर वही जहान था
जहर था हवाओं में,
नफरत फिजाओं मेंl
जलता हर शहर था,
कुदरत का कहर थाI
जल रही थी मैं भी कहीं,
द्वेषऔर दाह सेl
तकती थी मैं भी सबको,
भेद की निगाह सेl
अब जो खुली आंख है,
अब जो खुली आंख है ।
चारों तरफ राख हैl
राख को समेट लूं,
नेह से फिर सींच दूँ l
पल्लवन हो फिर नया,
नया आसमान होl
नेह से भरा हुआ,
एक नया जहान होl
नेह से भरा हुआ
इक नया जहांन हो