तन्हाइयों में,अकेले में
गमों के मेले में
खो ना जाऊं मैं कहीं
जिन्दगी के झमेले में
जीवन के हर मोड पे
तुम मेरा नाम लो
ऐ हमदम, ऐ हमराही
मेरा हाँथ थाम लो ।
हो यौवन का प्यार
या प्रौढा की तकरार
बसंत सा जीवन हो
या पतझड सा संसार
जीवन देहरी पर
जब ढलती शाम हो
ऐ हमदम, मेरे हमराही
मेरा हाँथ थाम लो।