जय नव दुर्गा ^^ जय - जय माँ आदि शक्ति - छंद, शिल्प विधान, 10, 8, 12 मात्रा पर यति, प्रथम दो यति पर सम तुकांत, व प्रथम द्वितीय चरण का सम तुकांत....... ॐ जय माँ शारदा.......!
शारदीय नवरात्रि के पावन अवसर पर माँ जगत जननी नवदुर्गा के 51 शक्तिपीठ को नमन करते हुए आप सभी को हार्दिक बधाई, ॐ जय माता दी!
"चवपैया छंद"
हे माँ जग जननी, तुम्हरी अवनी, नाम रूप जगदंबा।
शक्ति पीठ बावन, अतिशय पावन, नमन करूँ माँ अंबा।।
अति निर्मल काया, महिमा माया, कल-कल बहती गंगा।
हे कात्यायनी, रौद्र रूपिनी, मातु कालिके बंगा।।
जय माँ कामाख्या, शक्ति आद्या, विनती शेरावाली।
हे माँ कल्याणी, शिव इंद्राणी, ब्रम्हा विष्णु बहाली।।
जय शेरावाली, जग प्रतिपाली, कृपा करो महारानी।
हे रोग नाशिनी, शक्ति दायिनी, क्षमा करो वरदानी।।
हे माँ कामाख्या, कीर्ति दाया, विमला भुवनेश्वरी।
मुख मंगल लाली, बहुला काली, ललिता विश्वेश्वरी।।
मातु कात्यायनी, त्रिपुरमालिनी, माँ सर्वानन्दकरी।
कर क्षमा कालिका, मंगल चंडिका, हे माँ यशोरेश्वरी।।
हे महालक्ष्मी, विशालाक्षी, सर्वाणि नारायणी।
सावित्री युगाद्या, मातु अंबिका, कालिका दाक्षायणी।।
श्री मातु सुंदरी, नमन भ्रामरी, हे अवंती शिवानी
जय जय महादेवी, हे वाराही, महामाया निन्दनी।।
जय मातु सिद्धिदा, जयति सुनंदा, जय माँ त्रिपुरसुंदरी
माँ महालक्ष्मी, हे शोणाक्षी, जय हो मातु भ्रामरी।।
महिषासुरमर्दिनी, मातु भवानी, गायत्री हितकारी।
हे माँ पफुल्लरा, शोभित चँवरा, जयदुर्गा सुखकारी।।
अवंती गायत्री, मातु कुमारी, हिंगलाज महतारी।
हे माँ इंद्राक्षी, नमन गंडकी, देवगर्भा दुलारी।।
नमन भीमरूपा, रूप अनूपा, जय हो मातु अपर्णा।
जय जयति जयंती, माँ दुखहंती, मोहक रूप सुवर्णा।।
गौतम गुण गाता, तुमको ध्याता, हे माँ दुख निवारिणी
कर जग कल्यानी, सुत वित दानी, हे माँ विंध्य वासिनी।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी