जय नव दुर्गा ^^ जय - जय माँ आदि शक्ति -, वज़्न-- 1222 1222 122, अर्कान-- मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन, क़ाफ़िया— आया (आ स्वर की बंदिश) रदीफ़ --- कहाँ से....... ॐ जय माँ शारदा.....! 1 मुहब्बत अब तिजारत बन गई है 2. मै तन्हा था मगर इतना नहीं था
"गज़ल"
नजारों को सजा जाता कहाँ से
बंद थी राह औ महफ़िल गली की
इशारों को चुरा लाता कहाँ से।।
उड़ाकर ले गया सपना हमारा
नयन में नींद भर देता कहाँ से।।
बताकर दिल चुराता क्या लुटेरा
कहो इंसान को लाता कहाँ से।।
हिलाकर हाथ चलती डगर दुनिया
पकड़ कर मैं किसे लाता कहाँ से।।
बहुत नादान बनते हो समझकर
दिले बइमान को भाता कहाँ से।।
जमाने की दिवाली देखता हूँ
नई है रोशनी नाता कहाँ से।।
नहीं गौतम अकेला जा बताओ
किताबों बिन ग़ज़ल गाता कहाँ से।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी