छन्द- वाचिक
प्रमाणिका (मापनीयुक्त मात्रिक) वर्णिक मापनी - 12 12 12 12 अथवा - लगा लगा लगा
लगा, पारंपरिक सूत्र - जभान राजभा लगा (अर्थात ज
र ल गा) विशेष : प्रमाणिका 'मापनीयुक्त वर्णिक छंद' है,
जिसमें वर्णों की संख्या
निश्चित होती है अर्थात किसी गुरु 2 के स्थान पर दो लघु 11 प्रयोग करने की छूट
नहीं होती है। ऐसे छंद को 'वर्ण वृत्त' भी
कहा जाता है। जब इस छंद में उच्चारण के अनुरूप एक गुरु/गा के स्थान पर दो लघु/ल
प्रयोग करने की छूट ली जाती है तो इसका स्वरूप मात्रिक हो जाता है और तब इसे वाचिक
प्रमाणिका (मापनीयुक्त मात्रिक) छंद कहते हैं। जहाँतक मात्रापतन की बात है, अभ्यास में मात्रापतन की छूट ली जा सकती है किन्तु बाद
में इससे बचने का ही प्रयास करें।
“छंद, वाचिक प्रमाणिका”
लगा उड़ा लगा उठा
पहाड़ का धुआँ उठा
न आग है न राख़ है
विचार का धुआँ उठा॥
लगा पता कि क्या
उठा
हवा कहाँ कि छा उठा
कभी गए जहाँ नहीं
बता कहाँ धुआँ उठा॥
क्यों मानते जला
उठा
मकां बिना लगा उठा
गिरा न आँख से हया
दिखा कहाँ धुआँ
उठा॥
निशां न देखता उठा
लगा जुबां न जा उठा
बंद जो किवाड़ है
खुला कि आ धुआँ
उठा॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी