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डर

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विजयभान की नजर लल्लू पर पड़ी तो लल्लू के हावभाव अचानक से बदल गए, उसने अपनी जीभ बाहर निकाल ली और कुत्ते की तरह अपनी दुम हिलाने लगा. उसकी आँखे गोल गोल घूमने लगी और अपने लहराते बदन के साथ वो विजयभान के स

अमावस की एक अंधेरी रात में एक घने जंगल के बीच खतरनाक जानवरों की आवाजें गूंज रही थी। सन्नाटें को चीरती भेड़ियों के गुर्राने की आवाजें और कीट पतंगों की चित्कारें जंगल के माहौल को और अधिक खौफनाक बना रही थ

गतांक से आगे:-जैसे ही ठाकुर महेन्द्र प्रताप घर पहुंचे बड़ी बहू आंगन में झाड़ू लगा रही थी ससुर को इतनी जल्दी नित्य कर्म से हो कर आता देखकर हैरान रह गयी। ठाकुर साहब खंखार करके अपने कमरे में आ गये बहू भग

गतांक से आगे...           दरवाजे पर हुई दस्तक से मन एक बार को कांप गया कही वो तो...।पर जब दरवाजा खोला तो सामने पिता जी खड़े थे ।आज शायद जल्दी आ गये थे।छोटी मां के जाने के

गतांक से आगे.….                     जल्दी-जल्दी कदम बढ़ा कर ठाकुर साहब उसी चबूतरे पर पहुंचे जहां कनक से उस की आपबीती जानने का वादा कर के आये थे।

गतांक से आगेजैसे ही ठाकुर साहब ने उसके जुडे़ हुए हाथ देखे उस को इशारे से अपने पास बुलाया। वो एक क्षण में उनके सामने खड़ी थी। "लाली ये तो मुझे पता चल गया कि तू कोई रुकी हुई आत्मा है मुझ से क्या चाहती ह

गतांक से आगे:-रोने   की आवाज की तरफ चलते हुए ठाकुर साहब ने देखा एक उन्नीस बीस साल की लड़की उनके दलान(पहले के जमाने में मुख्य द्वार के बाद एक कमरा सा होता था जिसे दालान कहते थे अजनबी अतिथि वह

यह कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित है। लेकिन पात्रों के नाम व पृष्ठभूमि को बदल दिया गया है।हो सकता है परिवेश का नाम काल्पनिक हो इसे अन्यथा ना ले। धन्यवाद।राजस्थान का छोटा सा गांव सुजानगढ़।भोर हो गयी थी

पिछले अंक की कहानी भूतिया चक्की में आपने पढ़ा कि किस प्रकार दिनेष दिल्ली से अपने गांव आया तो उसके दादाजी ने अपने बचपन की कहानी सुनाई जिसमें गांव की चक्की में उनका एक भूत से सामना हुआ। यह कहानी सुनकर अग

नॉक नॉक !! प्रसाद जी बार बार कानों में पड़ती आवाज से आखिर बिस्तर छोड़कर उठ गए, उठते ही दो क्षण को बिस्तर पर बैठे बैठे ही अंदाजा लगाया कि आवाज बाहर के दरवाजे से आ रही है| फिर वही आवाज नॉक...नॉक.... “हाँ

धरती पर टिके रहने वाला उससे नीचे नहीं गिरता है। नदी पार करने वाला ही उसकी गहराई समझता है ।। सही वक्त पर बददुआ भी दुआ का काम कर जाता है । वक्त आने पर छोटा पत्थर बड़ी गाड़ी पलटा देता है।। शेर पर

आखिर मुरलीधर जी अचानक कहाँ गायब हो गए। आइये आगे कि रचना में देखतें हैं अब आगे,,,,,,,, अमर मुरलीधर जी को वहाँ ना पाकर और भी ज्यादा घबरा गया था। और इधर उधर मुरलीधर जी को खोजते हुए आवाज लगा रहा

शहर से बाहर जाने वाले रास्ते पर  एक ढाबा था। शहर से अच्छी खासी दूरी पर वो ढाबा था, तक्रिबंन १५ किलोमीटर की दूरी पर था , विक्रांत - विक्रांत ढाबा, ढाबे का नाम था। आने जाने वाले वाहन ट्रक आदि

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राहुल हर दिन की तरह अपने काम पर जाने के लिए अपने घर से निकलता है, जैसे ही राहुल जाने के लिए हमेशा के रास्ते पर पाव रखता ता है, उसके सामने से अचानक एक काली बिल्ली गुजरती है, उसका रास्ता काट देती 

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कहतें है दिल्ली दिल वालों का शहर है, अब रमन भी दिलवालों के शहर पहोच गया था देखतें है, रमन का स्वागत दिल्ली शहर कैसा करता है, क्या रमन को दिल्ली रास आयेगी या उसका दिल देहला देगी! दिल्ली के प्लेटफॉर्म

गर्म पानी से झुलसा कुत्ता ठण्डे पानी से भी डरता है। चूने से मुँह जले वाले को दही देखकर डर लगता है।। रीछ से डरा आदमी कंबल देखकर डर जाता है। दूध का जला छाछ को फूँक-फूँक कर पीता है।। ईश्वर से न ड

मित्रो आज इस कहानी में आपको इन आत्माओ का पूरा सच पता चल जायेगा और आप जानेंगे के इस बाड़े का क्या रहस्य है इस लिए कहानी को पढ़ते रही है। जिन्होंने इस कहानी को प्रारम्भिक स्थिति से नहीं पढ़ा है वो कृपया

अब तक आपने पढ़ा के कैसे मंदार ने सार्थक का शरीर पाकर कितनी हत्याएं कर दी थी कैसे वो बाड़े को पाने के लिए सार्थक के शरीर का शैतान की तरह फायदा उठा रहा था। इधर पल्लवी उसे इस मुसीबत से निजात दिलाने के लिए

भाग 36 बाबा त्रिलोकी नाथ दो नींबू को आधा कटकर  उसमे सिंदूर भरते है ,फिर हवन कुंड की थोड़ी राख डालते हैं और उसके बाद फिर उस नींबू को मंत्र पढ़कर उस काने  प्रेत के ऊपर फेकते हैं ,और फिर ग

भाग  35बाबा त्रिलोकी नाथ मंत्रोच्चार कर के us मुर्गे की गर्दन रेतने लगते है तो प्रेत करन चीखने लगता है ,उसका हाथ अगर नही मिला होता तो इतनी आसानी से यह नही आता पर हाथ मिल जाने के कारण वह फस गया और

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