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डर

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शक्तिहीन होने के कारण चुड़ैल गुफा में बंद असहनीय पीड़ा से गुजर रही थी, उसका रोना, चिल्लाना और उसके आंसू को देखने वाला कोई न था, लल्लू लाल भूत ने उसे ऐसे गुनाह की ऐसी भयानक सजा दी थी, जो उसे अपनी सोच, अप

तभी चुड़ैल खतरा भाँप कर अपने असली चुड़ैल का रूप धारण कर लेती है, ८ फ़ीट बड़ी एक दम काला चेहरा बाड़े नुकीले नाख़ून, बड़े खुनी दांत और उसके लहराते लम्बे बाल उसे बहुत भनक रूप देते है, ऐसा रूप आज तक उसने कभी न द

तभी लल्लू चुड़ैल से बोलता है - तू ये सोच रही होगी की मैंने कलुये को क्यों मारा, तो इसका जवाब ये है की वो विजयभान के आगे अपना  मुँह खोलने वाला था, की बजरंगी पहलवान मर् चूका है, हमारा सारा किया कराय

प्रश्न एक था सबका लेकिन, हल सौ हल हार गए रिश्ते नाते सभी थे झूठे, जो आड़े फिर आ गए प्रश्नों की उलझन को अब ना भेदा जाता है हर एक नए प्रश्न से डर अब मुझको लगता है... देख उसे उस चौराहे

गतांक से आगेकनक गला फाड़कर रो रही थी ,"ददू !यही फर्श के नीचे मेरा पार्थिव शरीर गढ़ा है। मुझे मुक्ति दिला दो ददू मेरे सैफ मेरा इंतजार कर रहे हैं।"ठाकुर साहब की आंखों में अविरल आंसू बह रहे थे जाप न

गतांक से आगे…     ठाकुर साहब का आज मन बहुत भारी था कनक की दुःख भरी दास्तां सुनाने के बाद बरबस आंखों से आंसू आये जा रहे थे।आज ठाकुर साहब ने कुल्ला करके नाश्ता भी नहीं किया ।भारी मन

गतांक से आगे.…            जिसका डर था वहीं बात बनी ।छोटी मां और कालू मुझे ऐसे ढूंढ रहे थे जैसे खोजी कुत्ते सुराग़ ढूंढते हैं।कालू ने मुझे पहचान लिया था।वो भुखे शेर की तरह

इसके बाद चुडैल बोली, अब मैं अपनी शक्तियों के बारे में बताती हूं कि मैं क्या कर सकती हूं। मैं किसी भी ओरत का रूप बना सकती हूं, किसी को सम्मोहित करके कुछ भी करवा सकती हूं, अपनी तेज आवाज से किसी को भी मा

गतांक से आगे..  भगवान सिंह के बोलने पर ठाकुर साहब उसकी ओर देखते हुए बोले,"बता भगवाने कै बात है क्यूं तावल मचा रहिया है।"भगवान सिंह ने गनपत की हवेली के कागजात ठाकुर के सामने रखते हुए कहा,"पिताजी ज

गतांक से आगे...  "ददू मेरी तो जान ही निकल गई जब मैंने रमा के मुंह से ये बात सुनी।"कनक की आत्मा पत्ते की तरह कांप रही थी वो पगली क्या जानती थी कि अब क्यों कांप रही है अब तो उस जगह पर थी वह जहां उस

गतांक से आगे.…        मां पिता जी के कमरे में दहाड़ती हुई पहुंची मेरा दिल धड़क धड़क कर रहा था बस यही लग रहा था कि मैंने तो कोई ऐसी" खता" भी नहीं की जो मां ऐसा व्यवहार कर रही है पर

विजयभान की नजर लल्लू पर पड़ी तो लल्लू के हावभाव अचानक से बदल गए, उसने अपनी जीभ बाहर निकाल ली और कुत्ते की तरह अपनी दुम हिलाने लगा. उसकी आँखे गोल गोल घूमने लगी और अपने लहराते बदन के साथ वो विजयभान के स

अमावस की एक अंधेरी रात में एक घने जंगल के बीच खतरनाक जानवरों की आवाजें गूंज रही थी। सन्नाटें को चीरती भेड़ियों के गुर्राने की आवाजें और कीट पतंगों की चित्कारें जंगल के माहौल को और अधिक खौफनाक बना रही थ

गतांक से आगे:-जैसे ही ठाकुर महेन्द्र प्रताप घर पहुंचे बड़ी बहू आंगन में झाड़ू लगा रही थी ससुर को इतनी जल्दी नित्य कर्म से हो कर आता देखकर हैरान रह गयी। ठाकुर साहब खंखार करके अपने कमरे में आ गये बहू भग

गतांक से आगे...           दरवाजे पर हुई दस्तक से मन एक बार को कांप गया कही वो तो...।पर जब दरवाजा खोला तो सामने पिता जी खड़े थे ।आज शायद जल्दी आ गये थे।छोटी मां के जाने के

गतांक से आगे.….                     जल्दी-जल्दी कदम बढ़ा कर ठाकुर साहब उसी चबूतरे पर पहुंचे जहां कनक से उस की आपबीती जानने का वादा कर के आये थे।

गतांक से आगेजैसे ही ठाकुर साहब ने उसके जुडे़ हुए हाथ देखे उस को इशारे से अपने पास बुलाया। वो एक क्षण में उनके सामने खड़ी थी। "लाली ये तो मुझे पता चल गया कि तू कोई रुकी हुई आत्मा है मुझ से क्या चाहती ह

गतांक से आगे:-रोने   की आवाज की तरफ चलते हुए ठाकुर साहब ने देखा एक उन्नीस बीस साल की लड़की उनके दलान(पहले के जमाने में मुख्य द्वार के बाद एक कमरा सा होता था जिसे दालान कहते थे अजनबी अतिथि वह

यह कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित है। लेकिन पात्रों के नाम व पृष्ठभूमि को बदल दिया गया है।हो सकता है परिवेश का नाम काल्पनिक हो इसे अन्यथा ना ले। धन्यवाद।राजस्थान का छोटा सा गांव सुजानगढ़।भोर हो गयी थी

पिछले अंक की कहानी भूतिया चक्की में आपने पढ़ा कि किस प्रकार दिनेष दिल्ली से अपने गांव आया तो उसके दादाजी ने अपने बचपन की कहानी सुनाई जिसमें गांव की चक्की में उनका एक भूत से सामना हुआ। यह कहानी सुनकर अग

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