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डर

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नॉक नॉक !! प्रसाद जी बार बार कानों में पड़ती आवाज से आखिर बिस्तर छोड़कर उठ गए, उठते ही दो क्षण को बिस्तर पर बैठे बैठे ही अंदाजा लगाया कि आवाज बाहर के दरवाजे से आ रही है| फिर वही आवाज नॉक...नॉक.... “हाँ

धरती पर टिके रहने वाला उससे नीचे नहीं गिरता है। नदी पार करने वाला ही उसकी गहराई समझता है ।। सही वक्त पर बददुआ भी दुआ का काम कर जाता है । वक्त आने पर छोटा पत्थर बड़ी गाड़ी पलटा देता है।। शेर पर

आखिर मुरलीधर जी अचानक कहाँ गायब हो गए। आइये आगे कि रचना में देखतें हैं अब आगे,,,,,,,, अमर मुरलीधर जी को वहाँ ना पाकर और भी ज्यादा घबरा गया था। और इधर उधर मुरलीधर जी को खोजते हुए आवाज लगा रहा

शहर से बाहर जाने वाले रास्ते पर  एक ढाबा था। शहर से अच्छी खासी दूरी पर वो ढाबा था, तक्रिबंन १५ किलोमीटर की दूरी पर था , विक्रांत - विक्रांत ढाबा, ढाबे का नाम था। आने जाने वाले वाहन ट्रक आदि

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राहुल हर दिन की तरह अपने काम पर जाने के लिए अपने घर से निकलता है, जैसे ही राहुल जाने के लिए हमेशा के रास्ते पर पाव रखता ता है, उसके सामने से अचानक एक काली बिल्ली गुजरती है, उसका रास्ता काट देती 

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कहतें है दिल्ली दिल वालों का शहर है, अब रमन भी दिलवालों के शहर पहोच गया था देखतें है, रमन का स्वागत दिल्ली शहर कैसा करता है, क्या रमन को दिल्ली रास आयेगी या उसका दिल देहला देगी! दिल्ली के प्लेटफॉर्म

गर्म पानी से झुलसा कुत्ता ठण्डे पानी से भी डरता है। चूने से मुँह जले वाले को दही देखकर डर लगता है।। रीछ से डरा आदमी कंबल देखकर डर जाता है। दूध का जला छाछ को फूँक-फूँक कर पीता है।। ईश्वर से न ड

मित्रो आज इस कहानी में आपको इन आत्माओ का पूरा सच पता चल जायेगा और आप जानेंगे के इस बाड़े का क्या रहस्य है इस लिए कहानी को पढ़ते रही है। जिन्होंने इस कहानी को प्रारम्भिक स्थिति से नहीं पढ़ा है वो कृपया

अब तक आपने पढ़ा के कैसे मंदार ने सार्थक का शरीर पाकर कितनी हत्याएं कर दी थी कैसे वो बाड़े को पाने के लिए सार्थक के शरीर का शैतान की तरह फायदा उठा रहा था। इधर पल्लवी उसे इस मुसीबत से निजात दिलाने के लिए

भाग 36 बाबा त्रिलोकी नाथ दो नींबू को आधा कटकर  उसमे सिंदूर भरते है ,फिर हवन कुंड की थोड़ी राख डालते हैं और उसके बाद फिर उस नींबू को मंत्र पढ़कर उस काने  प्रेत के ऊपर फेकते हैं ,और फिर ग

भाग  35बाबा त्रिलोकी नाथ मंत्रोच्चार कर के us मुर्गे की गर्दन रेतने लगते है तो प्रेत करन चीखने लगता है ,उसका हाथ अगर नही मिला होता तो इतनी आसानी से यह नही आता पर हाथ मिल जाने के कारण वह फस गया और

भाग 34प्रोफेसर मंत्रोचार करना शुरू करते है , और धीरे धीरे कर एक एक कर उस पर सरसो डालने लगते हैं ,*"!! समीक्षा और प्रणय जैसे ही अंतिम झरोखे पर दिया रखने जाते हैं ,तभी उसमे से अचानक दो हाथ बाहर आते

अब तक आपने पढ़ा के कैसे सार्थक घर से बहार निकल जाता है।  कैसे उसके अंदर मंदार सूबेदार की आत्मा कब्ज़ा कर लेती है। और यह सब वो उस बाड़े को पाने के लिए कर रहा है। क्या राज़ छिपा था, उस बाड़े में क्यों वो पूर

अब तक आपने पढ़ा के कैसे अमन ने अपनी माँ के साथ मज़ाक किया, कैसे अमन को अपनी माँ से डांट खानी पड़ी।  उधर सार्थक के सामने पूरे बाड़े का परिवार एक साथ खड़ा था।  अब क्या होगा क्या सार्थक और बाड़े मै रह रहा एलेक

अब तक आपने पढ़ा के सरिता और एलेक्स ने वो बाड़ा भोजवानी से खरीद लिया और वो वहां शिफ्ट भी कर गए वहां  सामान लगा रहे थे। इधर सार्थक को कुछ आवाज़े आ रही थी अब इस कहानी मोड़ लेने ही वाली थी कहानी अब दिलचस्प

उधर भोजवानी अपने सभी इन्वेस्टर फ्रेंड्स के साथ वहां पहुँच जाता है और जब बाड़े की हालत देखता है तो उन सब के पैरो से जमीन सार्क जाती है ये साइट ऐसे क्यों दिख रही है भोजवानी चिल्लाया यह तो अब तक टूट ज

इधर वो बाड़ा बन कर तैयार था उधर मिस्टर भोजवानी की चिंता बढ़ गयी थी भोजवानी परेशान था के कहीं मैंने उस जगह पर पैसा फंसा कर नुक्सान तो नहीं कर लिया। और उसकी चिंता भी जायज थी पहिले अमित और अब सार्थक भी अब

सार्थक का बचना अब बेहद मुश्किल था अब अब तक आपने पढ़ा के कैसे सार्थक उस बाड़े में बचने के लिए जद्दो जेहद कर रहा था पर मौत जैसे उसके सामने ऐसे खड़ी हो जाती जैसे उसने लाल कपडे पहन रखे हो और बैल उसके पीछे

अब तक आपने पढ़ा के कैसे सार्थक उस वीरान बाड़े के तहखाने में फंस जाता है, और कैसे भी अब उधर से बाहर निकल जाना चाहता है, क्योकि वो अब पूरी रात उस तहखाने में नहीं काटना चाहता था, किसी तरह उसे एक गोल दरवाज़ा

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