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डायरी दिनांक ०८/०५/२०२२

8 मई 2022

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डायरी दिनांक ०८/०५/२०२२

  शाम के तीन बजकर पच्चीस मिनट हो रहे हैं ।

  कोई भी काम तभी तक कठिन होता है, जब तक कि उसे करने का प्रयास न किया जाते। प्रयास करने पर प्रायः सफलता मिल ही जाती है। फिर वह अति कठिन सा काम बहुत आसान सा भी लगने लगता है।

   कल शाम से यूट्यूब पर डिजिटल प्रमाणपत्र बनाने की युक्तियां सीख रहा था। यूट्यूब के हालात ऐसे कि कितनी ही विधियां बता दीं। हालांकि मैं मोवाइल से ही डिजिटल सर्टिफिकेट तैयार करना चाह रहा था। फिर कोशिश की और सफलता मिल गयी। उसके बाद एक घंटे से भी कम समय में बहुत सारे प्रमाणपत्र तैयार हो गये। मोवाइल के मामले में share as pdf का आप्शन भी मिलता है। इस तरह बहुत कम मेहनत में सर्टिफिकेट तैयार हो गये।

  आज मैं जीवन में जिस भी जगह हूँ, उसका ज्यादातर श्रेय पूज्य बाबूजी के आशीर्वाद और मम्मी के सहयोग को जाता है। मेरी मम्मी एकदम स्पष्टवादी हैं। गलत को तुरंत टोक देती हैं। पढाई, नौकरी, साहित्य, आचरण, जीवन जैसे हर मामले में वह मुझे सलाह देती रही हैं।

  आदरणीय जयदयाल गोयदंका जी के अनुसार किसी भी मनुष्य द्वारा अधर्म का आचरण करने का प्रमुख कारण उसका अति व्यय करने का स्वभाव है। धनियों की होड़ में कम धनी और मध्यम वर्गीय लोग भी रहन सहन, शादी, दिखावे में अपनी सामर्थ्य से अधिक खर्च करने लगते हैं। फिर उन खर्चों को पूरा करने के लिये केवल धन प्राप्ति ही ध्येय रह जाता है। धर्म और अधर्म बहुत पीछे छूट जाता है। उनके कृत्य से देश और समाज को कितनी हानि होगी, यह भी प्रमुख नहीं रहता।

  नौकरी पेशा और शारीरिक रूप से अशक्त महिलाओं की बात अलग है। पर आजकल घरेलू कामों से महिलाओं का दूर होते जाना एक चिंता का विषय है। यदि घरेलू महिलाएं घर का कार्य स्वयं करें तब भी वह बचत के माध्यम से परिवार की आय बढाती ही हैं। पर स्टेटस सिंबल के कारण भी बहुत से अनावश्यक व्यय होते हैं।

  एक नवव्याहिता जो पति की नियुक्ति स्थल पर पति के साथ रहती है, वह घर का काम खुद करे या नौकरानी से करबाये, यह बहुत बाद के चिंतन का विषय है। मुख्य बात है कि क्या मात्र पति पत्नी के कार्यों के लिये घरेलू सेविका का प्रयोग करना कितना आवश्यक है।

  सही बात तो यह है कि बेफिजूल के खर्च से बचने का प्रयास करना, यह मेरी माता जी की शिक्षा है। शायद इसी शिक्षा के कारण अभी तक मैं कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना कर पा रहा हूँ।

  अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम। 

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