डायरी दिनांक ०९/०५/२०२२
शाम के पांच बजकर पैंतालीस मिनट हो रहे हैं ।
आज का दिन कुछ व्यस्तता भरा रहा। आज डाक्टर को दिखाने जाना था। आफिस जाने से पूर्व उन्हें दिखाने गया। इस तरह आज आफिस के लिये कुछ देर हो गयी। दिन में दो बार ओनलाइन मीटिंग भी अटेंड की।
एक साहित्यिक मंच द्वारा एक छोटी सी प्रतियोगिता में मुझे निर्णायक नियुक्त किया है। हालांकि मैं खुद उस मंच पर बहुत अधिक सक्रिय नहीं रहता हूँ। पर मंच के संचालक महोदय के अनुरोध को मैंने स्वीकार कर लिया। प्रतियोगिता का विषय भी मैंने निर्धारित किया है - हार में जीत ।
फेसबुक पर किसी परम ज्ञानी का लंबा चोड़ा पोस्ट पढा। महोदय कह रहे थे कि कबूतरों को दाना देना सही नहीं है। अपनी बात सिद्ध करने के लिये उनके पास अजीब तर्क थे। कुछ जो याद हैं, वे इस प्रकार हैं।
(१) किसी पक्षी विशेषज्ञ के आधार पर महोदय कह रहे हैं कि बिना मेहनत पेट भरने के कारण कबूतर शिकार नहीं कर पा रहे।
(२) कबूतर गंदगी करते हैं। जिस कारण असाध्य बीमारियां होती हैं।
(३) कबूतर अन्य पक्षियों को नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिये इनकी संख्या नियंत्रण में रखना आवश्यक है।
(४) कबूतर बहुत ज्यादा अन्न खा जाते हैं।
इसी तरह के और भी तथ्य उन्होंने दिये। जिसपर भर भरकर कमैंट आ रहे थे।
ये सारे तथ्य पूरी तरह से तथ्यहीन हैं। यथार्थ में कबूतर एकमात्र पूर्ण शाकाहारी पक्षी है। जो छोटे दानों से ही अपना पेट भरता है। शिकार की कोई भी अवधारणा किसी भी कबूतर की प्रवृत्ति नहीं है। इसीलिये कबूतरों को चुगाना अति पुण्य का कार्य है। कबूतर की बीट एक बेहतरीन खाद है। कबूतरों के कारण किसी भी तरह की बीमारी नहीं फैलती। कबूतर पीपल और बरगद के बीजों के अंकुरित होने के बाहक होते हैं। एक पीपल के पेड़ से इतनी आक्सीजन मिलती है जो किसी भी पेड़ से संभव नहीं। कबूतर शांति प्रिय पक्षी है। कबूतरों के कारण अन्य पक्षियों का जीवन संकट में पड़ जायेगा, ऐसी कल्पना पूरी तरह तथ्यहीन है। साथ ही कबूतर बहुत ज्यादा अन्न खा जाते हैं, पूरी तरह काल्पनिक तथ्य है। सच्ची बात है कि कबूतर हर तरीके का अन्न खा ही नहीं सकते। उनकी चोंच सभी पक्षियों की तुलना में कमजोर होती है। कठोर अन्न खा पाना कबूतरों के वश की बात नहीं। इसीलिये कबूतरों को अधिकतर बाजरा और भीगे हुए चाबल ही चुगाये जाते हैं।
आज हम भूल रहे हैं कि हमारी संस्कृति की अधिकांश बातें विज्ञान से संबंधित हैं। तथा प्रत्येक बात के पीछे कुछ आधार है।
कल से मैंने नवीन धारावाहिक गीता लिखने की शुरुआत की है। इस धारावाहिक के अभी तक के दोनों भाग कुछ छोटे हैं। इस बार छोटे छोटे भागों में धारावाहिक लिखने का विचार है। हालांकि आवश्यकतानुसार कुछ भाग बड़े भी हो सकते हैं।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।