डायरी दिनांक २९/०५/२०२२
शाम के पांच बज रहे हैं।
एटा में मैडीकल अस्पताल की बहुमंजिला इमारत का निर्माण चल रहा है। नवीन इमारत हमारे घर से सीधे दृष्टिगत होती है। कल शाम इमारत की पांचवी मंजिल की दीवार पर बहुत छोटा बच्चा बैठे देखा। संभवतः किसी मजदूर का पुत्र होगा। गरीब परिवार अपने काम में व्यस्त होगा और नादान बेटा दीवार पर बैठ नीचे झांकता रहा। अच्छी बात रही कि किसी तरह की कोई दुर्घटना नहीं हुई।
वास्तव में चिंता का विषय है कि निर्धन लोगों के बच्चों के साथ ही दुर्घटना क्यों होती हैं। अक्सर इन्हीं के बच्चे बोरबेल में गिरकर मृत्यु को प्राप्त होते हैं। मुझे लगता है कि संभवतः पेट भरने की जुगत में बच्चों पर समुचित ध्यान ही नहीं दिया जाता। संभवतः ध्यान दे पाना संभव ही नहीं होता। बहुत से लोग तो हर दिन मृत्यु से दो हाथ कर जीते हैं और उनके विषय में किसी को पता ही नहीं होता।
अवकाश होने पर भी आज कुछ देर के लिये आफिस गया। अभी घर वापस आया हूँ। वैसे घर और आफिस के मध्य दूरी भी नहीं है।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।