डायरी दिनांक १५/०५/२०२२
शाम के पांच बजकर बीस मिनट हो रहे हैं ।
आज का दिन बड़े आराम से बीता। दिन भर घर में आराम किया। अच्छा पठन पाठन भी हुआ। धारावाहिक गीता के दो भाग भी आज लिखे । इस बार सभी भाग जरा छोटे छोटे रख रहा हूँ।
मनुष्य को चाहिये कि वह एक बार को सहायता मांगने बाले की सहायता न करे पर उसका संसार के सामने मजाक न बनाये। सहायता मांगने बाले को नीचा न दिखाये। पर यथार्थ में ऐसा बहुत बार नहीं होता है। कभी कभी सामने सहायता करने बाला भी पीठ पीछे ऐसे गुल खिलाता है कि उन्हें सोचकर ही आश्चर्य होने लगता है।
डाक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा द्वारा आयोजित परीक्षा में एक सप्ताह में ही दूसरा प्रश्नपत्र आउट होने के कारण परीक्षा को निरस्त किया गया है। पहले बीएससी तृतीय वर्ष गणित का प्रश्नपत्र आउट हुआ था तो अब बीएससी द्वितीय वर्ष रसायन विज्ञान का प्रश्नपत्र आउट हुआ है। मेहनत करने बाले छात्रों का मन निराश होता है। कई बार कम योग्य बच्चे योग्य बच्चों से आगे हो जाते हैं। फिर परीक्षा निरस्त होने पर भी होनहार छात्र ही अधिक प्रभावित होते हैं।
एटा जनपद में रात में खेत पर फसल की रखबारी करने बाले एक बुजुर्ग की हत्या हो गयी। पुलिस की जांच में उस बुजुर्ग का पुत्र ही हत्यारा बताया जा रहा है। वह बुजुर्ग से जमीन अपने नाम करने की जिद कर रहा था। जीते जी बुजुर्ग ऐसा करने को तैयार न था।
मैं सोच रहा हूँ कि उस समय उस बुजुर्ग की क्या मनोदशा रही होगी। क्या उसे अनुमान था कि उसका पुत्र ही उसकी हत्या कर सकता है। वाद विवाद अलग बात है। पर संभवतः रात में पुत्र को नजदीक देख उसे यही विचार आया होगा कि बेटा उसकी चिंता में ही रात को खेत पर आया है। हो सकता है कि उसके मन में आशा जगी हो कि बेटा एकांत में उससे अपने व्यवहार की माफी मांगने आया है। निश्चित ही उसके विचारों में बेटे का यह पाशविक रूप तो न होगा।
सचमुच क्रतघ्नता और अवसरवादिता में मनुष्य संसार के सभी जीवों से बहुत आगे है। पशु तो व्यर्थ ही बदनाम हैं। शायद जितनी पशुता इंसानों के भीतर बसी हुई है, पशुओं में उसका एक अंश भी नहीं है।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।