डायरी दिनांक २२/०५/२०२२
रात के आठ बजकर बीस मिनट हो रहे हैं ।
आज का दिन अति व्यस्तता भरा रहा ।आज बाबूजी की पुण्य तिथि है। फिर छोटी बहन का आगमन भी आज हुआ। सुबह का समय अति व्यस्तता भरा रहा ।छोटी बहन के ससुर जी मुझसे बहुत स्नेह करते हैं। वह भी साथ आये। लगभग दो घंटे रुककर जीजाजी और पापाजी विदा हो गये।
आज मिस्टी और मिक्की में पर्याप्त दोस्ती हो गयी। दोनों का एक दूसरे के साथ अच्छा मन लग रहा है। अब बड़ी बहन के आगमन की प्रतीक्षा है। उनकी छुट्टी मई के अंत तक होंगीं।
वास्तव में एकाकी जीवन मात्र ढोना ही होता है। वास्तविक जीवन तो सभी के साथ होता है। फिर भाई और बहनों का स्नेह तो बचपन से बुढापे तक रहता है।
जब रिश्तों में प्रेम से अधिक स्वार्थ हावी होने लगता है फिर मजबूत से मजबूत कहे जाते रिश्ते भी कमजोर पड़ने लगते हैं। कहीं कहीं तो माता पुत्र, भाई बहन जैसे रिश्ते भी अपना सम्मान नहीं बचा पाते। उचित है कि कभी भी स्वार्थ एक सीमा से ज्यादा हावी न हो।
अमेजन से वैदेही वनवास का आर्डर किया था। आज वह पुस्तक प्राप्त हुई है। इस पुस्तक को पढ कवि का दृष्टिकोण जानने की परम अभिलाषा थी।
आनलाइन मार्केट से व्यापारियों को निश्चित ही बहुत नुकसान हो रहा है। पर एक सच्ची बात यह भी है कि ज्यादातर दुकानदार विविधता युक्त सामान रखने से परहेज करते हैं। पुस्तकों के विषय में तो निश्चित ही दुकानदारों का अच्छा रवैया नहीं है। यह आनलाइन बाजार की ही देन है कि महान साहित्यकारों की पुस्तकें आसानी से मिल जाती हैं।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।