डायरी दिनांक ०६/०५/२०२२
शाम के छह बजकर चालीस मिनट हो रहे हैं ।
जरा सी असावधानी बड़ी परेशानी खड़ी कर देती है। आज बर्तनों में पानी नहीं भरा। फिर अचानक समर की फिटिंग में फाल्ट आ गया। टंकी में बिलकुल भी पानी नहीं था। गृहस्वामी के घर भी ऐसी ही स्थिति थी। बिजली बाले ने आने में दो तीन घंटे ले लिये। तब तक घर में परेशानी ही रही।
आज आपको मैं अपने नवीन मित्र से मिलाना चाहता हूं।
अभी हमें इस घर में आये हुए मात्र दो दिन हुए हैं, इतने समय में गृहस्वामी की पामेलियन कुतिया मिक्की मुझसे और मम्मी से बहुत घुल मिल गयी है। जैसे ही मैं आफिस से घर आया, मिक्की भी मेरे पीछे ऊपर आ गयी। अभी वापस गयी है।
ज्ञान की कोई थाह नहीं। जितनी जानकारी करते रखो , कम ही रहती है। आज एक आवश्यक साहित्यिक कार्य लेपटोप पर करने बैठा तो पाया कि किसी भी वर्ड फाइल में हिंदी फांट नहीं खुल रहे हैं। जबकि लेपटोप में सारे हिंदी फोंट मौजूद थे। बहुत देर तक प्रयास करने पर भी सफलता नहीं मिली। गूगल महाराज ने बहुत से रास्ते बताये पर मेरी समस्या किस तरीके से दूर होगी, समझ नहीं आ रहा था। आखिर बहुत देर बाद समस्या दूर हुई।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।