डायरी दिनांक ३०/०५/२०२२
शाम के चार बजकर पचास मिनट हो रहे हैं ।
मनुष्य जिन बातों को भूलने का प्रयास करता है, वे ही बातें अलग अलग तरीकों से मनुष्य को ज्यादा व्यथित करती हैं। वैसे जीवन संघर्ष का ही दूसरा नाम है। पर कभी कभी संघर्ष वास्तव में उकताने भी लगते हैं।
विभिन्न धार्मिक कथाओं को सत्य या कल्पित मानना सभी की अलग अलग राय हो सकती है। फिर भी लगता है कि ये कथाएं मनुष्य को संघर्षरत रहने की प्रेरणा देती हैं। सत्य व्रती महाराज हरिश्चंद्र के संघर्ष, राजा रंतिदेव के संघर्ष, महाराज रघु के संघर्ष, पांडवों के संघर्ष पढने के बाद यह भी लगने लगता है कि वास्तव में अभी हमने संघर्ष किये ही नहीं हैं। फिर इनमें से कुछ कथाएं तो सतयुग की हैं। जब उन धर्म युग में धर्म का आचरण करने बालों को इतने कष्ट सहन करने हुए तो यह सत्य ही है कि धर्म का मार्ग हमेशा से संघर्षों का मार्ग रहा है। जीत अंत में धर्म की ही होती है, फिर भी धर्म हमेशा एक बड़ा बलिदान मांगता है।
मई महीने के अंतिम दिन चल रहे हैं और भगवान सूर्य प्रचंड रूप में गर्मी कर रहे हैं। फील्ड और आफिस दोनों ही जगह चैन नहीं है। बिजली की कटौती भी बहुत ज्यादा बढ चुकी है। ऐसे में नेटवर्क संबंधी समस्याओं में भी बृद्धि हो रही है।
आज के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।