एक देशज गीत......
“रंग चढ़वा ल”
रंग चढ़वा ल हो रंग चढ़वा ल
भौजी नथुनिया पे रंग चढ़वा ल.......
सरसो फुलाइल चमैली फुलाइल फुलल रहरिया हो अंग मलवा ल......भौजी नथुनिया पे रंग चढ़वा ल
साँझ सबेरे छमकि जाले पायल
लहूरा देवरवा भइल बा रे घायल
घूँघता उठा ल हो नथ नथवा ल..... भौजी नथुनिया पे रंग चढ़वा ल
कोर कोर चोली पसार नहीं लहँगा
गोर गोर गोरी सुनार भइल महँगा
चमके चुनरिया हो लैस लगवा ल.....भौजी नथुनिया पे रंग चढ़वा ल
लाल रंग डालूँ पियर रंग डालूँ
श्याम सबुज रंग लगे जस भालू
होठ सुंदर बतिसी हो दंत दबा ल.....भौजी नथुनिया पे रंग चढ़वा ल
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी