“गज़ल”
सब्ज सपने हलाल मत करना
सजन अब तो मलाल मत करना
क्या खुशी है इस पल नैनों में
लूट कर दिल सवाल मत करना॥
आज फिर से हवा चली आयी
धार अंधड़ बवाल मत करना॥
प्यार चाहत चुरा न लेना तुम
आँख फरके उबाल मत करना॥
यदि पड़ी नजर किरकिरी कोई
रगर आँखें गुलाल मत करना॥
बे फिक्र डगर मतलबी छाहें
गैर गम्मत बहाल मत करना॥
घुंघुना नहिं खुद बजता गौतम
आसमानी खयाल मत करना॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी