दर्द हो जब दिल भराकाँटों की क्या जरुरत हैअगर साथ है दिल अपनातो औरों की क्या जरुरत हैजिस कविता में कवी का रहम होउसमे पेन की क्या जरुरत हैजिस डॉक्टर के दिल में हो भरी दर्दउसको ब्लेड की क्या जरुरत हैअगर
( मातृ दिवस पर )रात दिन मां काम कर कर के घर में खटती है,थक तो जाती वो ,मगर उफ़ कभी ना करती है।जाने कब आराम करती है मां, देखा नहीं,रात दिन वो दिल से बस काम करते दिखती है।वो कभी तकलीफ़ अपनी बताती भी
मैं पेड़ की टूटी हुई वोह टहनी हु जो जब गिरता हु तोह खुद पेड़ बन जाता हु ....!!!
अगर चाहे संपूर्ण विकास तोकमजोरी ढूंढना छोड़ दोप्रयासरत रहे निजी विकास मेंदूजे से लड़ना छोड़ दोप्रतिस्पर्धा हो विकास कीलेकिन छल कपट का न हो नामप्रयास भरसक कीजिएपर याद रखें किसीका ना हो अपमानफिर देखिए स
नौकरीदो दिलों को पागल कर दिया ये प्रदेश की नौकरी वोह भी उधर पागल हुई मैं भी इधर पागल हुआ !!!घर के लोगों के हर बात के ताने उसे यूँ ही पागल कर दिया प्रदेश की ये नौकरी मुझे यूँ ही कुछ कहने लगी
सोहरतकौन सारे अपसाने देखता हैकौन सितम कौन तारे देखता हैन कोई सितम बस ये शिकायत हैभरी जवानी में आपकी ये&nb
भूले भूले हम भूले भूल चुके है जगभूले मगर पराये भूले भूल चुके है हम अपनेइन पैसे मोह माया ने भुला
गम क्या कुछ गम हैजो अब तक छुपाये बैठे होकह दो न इनमे,क्यों मुस्कराये से तुम बैठे होशायद अब यह चाहमेरी अब यह पसंद बन गयी हैकवि न होते हुए , अब मै कविवर बन गया हुक्या है दिल में,दिल से यही एक आवाज
दुनिया की कोई ऐसी रीती रिवाज नहीं है जो मुझे मेरे मंजिल से रोके वहा जाने सेमैं कोई ऐसा वैसा नहीं जो पैर कही पर रख दू .मैं खुद का दीवाना हु जो आग में भी जलकर चल सकता हु !!!
तुम मिली मैं मिला खुदा ने मिला दियाये सौभाग्य मेरा है की तुम मुझे मिलीवरना दुनिया मुझे झेल पाए ऐसी कोई पैदा भी न हुई अब तकसुनो मेरे दिल की धड़कनो को आए मेरे सनम ,तुम मेरे हो तो समझ जाओगे गर किसी के और
कितनी अजीब है न ज़िन्दगी ,कितनी गरीब है न ज़िन्दगीकितने सौक कितने रिश्ते रुस्वा किये है हमनेये तो हमी से पूछो हाल आए दिल सनम !!
महफ़िलयादों की महफ़िल में ज़िन्दगीमेरी ज़िन्दगी एक चिता बन गयीसोच सोच कर मेरी खोपड़ीएक सील सिला बन गयीशायद ज़िन्दगी&
भूलेभूले भूले हम भूले भूल चुके है जगभूले मगर पराये भूले भूल चुके है हम अपनेइन पैसे मोह माया ने भुला&
मैंने देखा है लोगो को बेटी की शादी में कर्जदार होते लेकिन मैं तो खुद की शादी में कर्जदार हो गया ....
चाँद अब तू भी बता तू कौन से मजहब से है ईद भी तेरी और करवाचौथ भी तेराइस जहा में इंसानों ने सब कुछ तो बाँट दिया हैईश्वर बांटे बाँट दिया जानवर बाँट दिया संसारऐ चाँद अब तू भी बता तू कौन से मजहब से हैख्वाब
हमदमआ जाओ आ जाओ मेरे पास मेरे हमदमआ जाओ आ जाओ मेरी सांसों में बिखर जाओबन के रूह मेरे जिस्म में उतर जाओआ जाओ आ जाओ मेरे पास मेरे हमदमकिसी रात सर रख कर सो जाऊ तेरी गोद मेंफिर उस रात के बाद कभी सुबह न हो
तुम नाराज न होनादुनिया रूठे लेकिन तुम नाराज न होनातुम नाराज न होना मेरी पहली मोहब्बत हो तुमइस तरह मुझसे नाराज न होना ,मैं रुठु हर बार मना तुम लेना मुझकोलेकिन दुनिया रूठे मुझसे तुम नाराज न होनामेरी ज़िन
तुमसे मुलाकात होगीकभी मेरी तुमसे मुलाकात होगीकभी मेरी तुमसे मुलाकात होगीतुम बैठोगी सामने मेरे ,मुझे शर्म बहुत आएगीकभी मेरी तुमसे मुलाकात होगी !मैं चाहकर भी तुम्हे छू न पाउगा लेकिनछूना है मुझे चा
मेरी मान मेरी धड़कनचिलम के अंगारे जैसे तेरे गुलाबी होठ ,इंद्रा धनुष के रंग जैसे तेरे गाल ,सुराही में पानी छलकता जैसे तेरी कमर ,आस्मां में चमकते सितारेजैसे तेरे बाल ,मुस्कान तेरी जैसे सुबह के सूरज का नि