“नवगीत”
सावन की पुरुवाई, घटा घिरि आई सजनी
बादल की तरुनाई, अदा चित छाई सजनी
साजन घर तरु ओरी, नदी उतिराई छलकी
पाहुन की पहुनाई, निशा लहराई सजनी......सावन की पुरुवाई, घटा घिरि आई सजनी
आपन मनन मिताई, नैन भिगाई सजनी
चातक चहक चिराई, सुबा निराई सजनी
सोहर सगुन सुनाई, खुशी मनाई अँचरा
झूला ललन झुलाई, पलंग सुलाई सजनी.....सावन की पुरुवाई, घटा घिरि आई सजनी
पावक धधक थिराई, हिया लगाई सजनी
छप्पन भोग मिठाई, पिया जिमाई सजनी
मेंहदी हाथ रचाई, पाँव महावर अँगना
मंद मंद मुसुकाई, चौक पुराई सजनी....... सावन की पुरुवाई, घटा घिरि आई सजनी
महातम मिश्र ‘गौतम’ गोरखपुरी