सागर ने मुस्कुराते हुए कहा : "क्या हुआ? अब चुप क्यों हो गए? बताओ कौन अंधा है? लेकिन पहले तुम कार में जल्दी बैठो, नहीं तो और भीग जाओगे।"
प्रेम: नहीं सर आप जाओ मैं चला जाऊंगा।
सागर : लगता है तुम ऐसे नहीं मानोगे अच्छा बताओ कैसा रहेगा कल भी तुम देर तक ऑफिस में काम करो तो?
प्रेम: सर आप मुझे ब्लैकमेल कर रहे हो क्या ?
सागर: अरे अब बैठ जाओ मैं आगे की तरफ ही जा रहा हूं तो तुमको छोड़ दूंगा ।
प्रेम: ठीक है सर जैसा आप कहें। प्रेम सागर के बगल वाली सीट पे बैठ जाता है।
अब प्रेम यही सोच रहा था की कही ये मुझे फिर से कल के लिए की काम न बता दे। इतने में सागर कार चलाते हुए बोलता है : अच्छा प्रेम आज का दिन तुम्हारा कैसा गया मुझे ऐसा लगता है की आज का दिन सच में खराब था तुम्हारे लिए।"
प्रेम ने हँसते हुए कहा, "आपको कैसे पता?"
सागर ने गम्भीर होकर कहा, "तुम्हारे चेहरे से सब पता चल रहा है। देखो खुद का चेहरा ऐसा लग रहा है जैसे जेल से छुटके आए हो । लेकिन चिंता मत करो, हर दिन ऐसा नहीं होता।
प्रेम सोचता है की अगर रोज अगर ऐसा ही दिन होता तो मैं कैसे रहता इसके साथ। सागर: क्यूं तुमको मेरे साथ काम करने में कोई परेशानी होती है क्या?
प्रेम: आप ऐसा क्यों पूछ रहे हो सर?
सागर : नहीं मुझे ऐसा लगा बस।
सागर कहीं न कहीं प्रेम के हाव भाव को जानने और समझने लगा था की किस समय वो क्या सोचता है।और प्रेम यही सोचकर परेशान रहता था की आखिर सागर को मेरे दिमाग की बात पता कैसे चलती है। जहां सागर प्रेम की छोटी से छोटी बात पर ध्यान देने लगा था वही प्रेम अभी भी उसको खडूस ही समझता था।
थोड़ी देर बाद, सागर ने प्रेम से पूछा, "प्रेम, तुम्हारा घर कहाँ है? तुम्हें छोड़ दूं।"
प्रेम ने संकोच करते हुए कहा, "सर, मेरा घर पास में ही है। आप मुझे यहीं छोड़ दीजिए, मैं पैदल चला जाऊंगा।"
सागर ने ज़ोर देकर कहा, "नहीं, आज मैं तुम्हें घर तक छोड़ूंगा। बारिश में भीगकर बीमार हो जाओगे तो ऑफिस कौन आएगा?"
प्रेम ने मुस्कुराते हुए सागर को पता बताया। रास्ते में सागर ने प्रेम से पूछा, "प्रेम, तुम्हें सच में यह काम पसंद है या तुम सिर्फ मजबूरी में कर रहे हो?"
प्रेम ने थोड़ी देर सोचकर कहा, "सर, सच कहूं तो मुझे यह काम पसंद है। लेकिन कभी-कभी डर लगता है कि कहीं मैं असफल न हो जाऊं।"
सागर ने समझाते हुए कहा, "डर सबको लगता है, लेकिन उसी डर को हराकर ही हम आगे बढ़ सकते हैं। तुममें काबिलियत है, बस अपने आप पर भरोसा रखो
प्रेम: तो सर आप किस डर को हरा नहीं पा रहे हो क्यूं?
सागर प्रेम की यह बात सुनकर सोचने लगा की प्रेम का यह कौन सा रूप है? जो इंसान अपनी दुनिया में खुश रहता है उसको मेरे डर की क्यूं पड़ी है। प्रेम: सर मैं जानता हूं सबकी लाइफ अलग अलग होती है और सबको अपने हिसाब से जीने का हक होता है ।
सागर: हां तुम सही कह रहे हो प्रेम लेकिन अगर हम अपनी मर्जी से तो जी नहीं सकते हमको सबके लिए उस डर के साथ जीना होता है।
प्रेम : तो क्या आप ऐसी लाइफ नहीं चाहते थे जी आप अभी जी रहे हो?
सागर : शायद नहीं।
प्रेम: मुझे लगा था की आपके पास सब कुछ है तो आप अपनी लाइफ से खुश होंगे लेकिन मुझे ऐसा कुछ भी नहीं पता था।
सागर : पता है प्रेम तुमसे पहली बार मिलने पर मुझे ऐसा लगा था की काश मै तुम्हारी जगह होता ।
प्रेम : उसके लिए आपको मेरे साथ समय बिताना होगा तब आप जानोगे लाइफ कैसे जी जाती है ।
इतने में प्रेम को छींक आ जाती है और वो लगातार चार बार छींकता है।
सागर : मुझको लगता है बारिश में भीगने की वजह से तुमको सर्दी लग गई है घर जाकर दवाई ले लेना । तभी प्रेम का फोन बजता है "लड़की ब्यूटीफुल कर गई चुल" इस बार सागर खुल कर हंसता है सागर को हंसते हुए देखकर प्रेम भी हंस जाता है प्रेम कॉल उठता है ।
प्रेम: हेलो हां प्रिया बता।
कॉल का जवाब देते हुए प्रेम : हां ठीक है ऐसा ही करते हैं तुम किसी को अभी कुछ मत बताना वरना शादी के लिए कोई नहीं मानेगा।
सागर सोच में पड़ जाता है किसकी शादी और यह प्रिया कौन है?
थोड़ी देर में वे प्रेम के घर के पास पहुंच गए।
प्रेम ने सागर का धन्यवाद करते हुए कहा, "थैंक यू सर। आपने आज मेरी बहुत मदद की।"
सागर ने मुस्कुराते हुए कहा, "कोई बात नहीं। अब जाओ, आराम करो
प्रेम ने कार से उतरकर सागर को गुड बाय कहा और घर की ओर बढ़ा। फिर सागर प्रेम के कॉल पर हुई बात को सोचते हुए चला गया।
शेष अगले भाग में.......