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ख्यालों की दुनियां

21 अगस्त 2024

3 बार देखा गया 3
होटल पहुंचकर सागर रिसेप्शन से कमरे की चाबी लेता है, जिस पर लिखा होता है "आठवीं मंजिल, कमरा नंबर 86"। सागर चाबी लेकर प्रेम से लिफ्ट में चलने को कहता है और फिर दोनों लिफ्ट से अपने कमरे तक पहुंच जाते हैं। फिर सागर प्रेम से कहता है, "चलो, अब तुम अपनी आंखें बंद करो।"
प्रेम: "ये क्या मजाक है? तुम तो ऐसे कर रहे हो जैसे तुमने फिल्मों की तरह कमरा फूलों से सजा रखा है।"
सागर: "अरे, तुम बहुत बोलते हो। पहले मुंह और आंखें दोनों बंद करो।"
प्रेम: "ठीक है, लो कर ली अब।"
सागर चाबी से दरवाजा खोलता है और प्रेम को आंखें बंद करके ही अंदर चलने के लिए कहता है। दोनों कमरे के अंदर आ जाते हैं। फिर सागर प्रेम से कहता है, "अब तुम अपनी आंखें खोल सकते हो।"
प्रेम आंखें खोलकर देखता है और चौंक जाता है क्योंकि कमरे को बहुत सारे सुंदर फूलों से सजाया गया था, और पूरा फर्श लाल और सफेद गुब्बारों से भरा हुआ था। प्रेम यह सब देखकर हैरान हो ही रहा था कि सागर उससे कहता है :"लग रहा है बिलकुल फिल्मों जैसा।"
प्रेम: "हां! सच में ऐसा ही लग रहा है।"
सागर: "तो बताओ, तुम्हें ये सब कैसा लगा?"
प्रेम: "मुझे ये पसंद आया, लेकिन इतना सब क्यों किया?"
सागर: "हम दोनों के लिए।"
प्रेम: "अगर ज्यादा पैसे थे, तो मुझे दे देते। ऐसे बर्बाद करने की क्या जरूरत थी?"
सागर: "तुम मेरे काम की तारीफ नहीं कर सकते? इतनी मेहनत और इतने प्यार से तुम्हारे लिए किया और तुम इसे बर्बाद बता रहे हो!"
प्रेम: "मेरा वो मतलब नहीं था कि मुझे ये पसंद नहीं आया। लेकिन अब बताओ, इन सबका हम करेंगे क्या?"
सागर: "करना क्या है, सब तुम्हारे लिए है, जो करना है करो।"
प्रेम: "पहले मुझे कपड़े बदलने हैं, फिर बाहर घूमने चलेंगे।"
सागर, खिड़की की तरफ इशारा करते हुए: "मुझे नहीं लगता कि आज हम बाहर घूम पाएंगे, थोड़ी देर में बारिश होने वाली है।"
प्रेम: "नहीं होगी कोई बारिश, मैं जल्दी से कपड़े बदल लेता हूँ।"
सागर: "ठीक है, तब मैं नहाकर दूसरे कपड़े पहनता हूँ।"
प्रेम: "अब तुम नहाओगे, तब तो हमें और देर हो जाएगी।"
सागर: "बस दो मिनट दो, यूं गया और यूं आया।"
इतना कहकर सागर अपने कपड़े लेकर बाथरूम में चला जाता है, और प्रेम कमरे में ही अपने कपड़े बदलने लगता है। थोड़ी देर बाद प्रेम बाहर जाने के लिए तैयार हो जाता है, लेकिन सागर अभी तक बाथरूम से बाहर नहीं आता। इस पर प्रेम सागर को आवाज़ लगाता है और कहता है, "और कितना समय लगेगा?"
सागर: "अभी तो मैंने नहाना शुरू ही किया है।"
प्रेम: "तुम्हें बीस मिनट हो गए हैं, और कितना समय चाहिए तुम्हें नहाने के लिए?"
दरअसल, सागर बाथरूम में नहाने के बजाय खिड़की से बाहर आसमान देख रहा था कि बारिश कब शुरू होगी।
प्रेम फिर से सागर को आवाज़ देता है, "बारिश होने ही वाली है, लगता है आज बाहर नहीं जा पाएंगे।"
सागर बाथरूम में बैठे-बैठे बारिश का इंतजार कर रहा होता है कि तभी जोर से बारिश पड़नी शुरू हो जाती है। यह देखकर सागर खुश हो जाता है और फटाफट नहाकर और कपड़े पहनकर कमरे में वापस आता है और प्रेम से कहता है, "चलो, मैं तैयार हूं।"
प्रेम सागर का हाथ पकड़कर उसे खिड़की के पास ले जाता है और कहता है, "अब जितना मन हो उतना नहा लो।"
सागर: "मैं तो नहाने ही गया था, बस इतने में बारिश आ गई। इसमें मेरी क्या गलती है?"
प्रेम: "अब यहीं बैठना पड़ेगा।"
सागर: "कोई बात नहीं, यह कमरा इतना भी बुरा नहीं है।"
सागर बोल ही रहा होता है कि इतने में प्रेम फर्श से एक गुब्बारा उठाता है और उसे सागर के कान के पास फोड़ देता है, जिससे सागर चौंक जाता है और भागकर बेड पर चढ़ जाता है।
सागर: "मेरे साथ मजाक करना तुम्हें महंगा पड़ेगा।"
प्रेम: "बहुत हिम्मत है मुझमें, मैं तुमसे डरता नहीं हूँ।"
सागर ये सुनकर प्रेम को पकड़ने के लिए उसके पीछे भागने लगता है, लेकिन प्रेम सागर से बचकर बिस्तर से नीचे उतर जाता है और सागर को बिस्तर पर धक्का दे देता है, जिससे सागर संभल नहीं पाता और बिस्तर पर ही गिर जाता है।
जैसे-तैसे सागर फिर से उठकर प्रेम को पकड़ने के लिए भागता है, लेकिन प्रेम तकिया लेकर सागर के ऊपर फेंक देता है, जिससे सागर फिर से गिर जाता है। सागर की ये हालत देखकर प्रेम जोर-जोर से हंसने लगता है और कहता है, "बोला था, मैं तुमसे डरता नहीं हूँ।"
सागर सर को नीचे किए हुए जोर से चिल्लाता है, "मेरी नाक में लग गई है, शायद खून निकल रहा है। तुम्हें देख तो लेना चाहिए, किसी को लग भी सकती है।"
प्रेम को लगता है कि शायद सागर की नाक में सच में चोट लग गई है, इसलिए वह सागर को देखने के लिए उसके पास जाने लगता है।
जैसे ही प्रेम सागर के पास पहुंचता है, सागर उसे कसकर पकड़ लेता है। प्रेम समझ जाता है कि सागर ने यह बहाना बनाया है और इसलिए प्रेम सागर के पैर पर अपना पैर मार देता है, जिससे सागर को जोर से चोट लगती है और वह लड़खड़ा जाता है, लेकिन फिर भी प्रेम को नहीं छोड़ता।
इसलिए दोनों संभल नहीं पाते और बिस्तर पर गिर जाते हैं।

सागर और प्रेम कुछ पल के लिए एक-दूसरे को देखते रहते हैं। सागर के लिए जैसे समय रुक सा गया था, और यह पहली बार था जब प्रेम को सागर के साथ किसी तरह की कोई असहजता महसूस नहीं हुई। इसलिए प्रेम ने उठने का प्रयास नहीं किया। सागर अपनी ही दुनिया में खो सा गया था; उसे ऐसा लग रहा था जैसे चारों ओर ठंडी-ठंडी हवाएं चल रही हों और वह प्रेम के साथ पहाड़ों में हो। यह पहली बार था जब दोनों ने एक-दूसरे को इतनी देर तक देखा था।

दोनों अपनी ही ख्यालों में खोए हुए थे कि तभी फर्श पर पड़ा हुआ एक गुब्बारा फूट जाता है, जिससे प्रेम और सागर चौंक जाते हैं और अपनी ख्यालों की दुनिया से बाहर आ जाते हैं। प्रेम देखता है कि सागर ने उसे अभी भी कसकर पकड़ रखा है, जिसे देखकर प्रेम कहता है, "ये सही नहीं है।"
सागर हड़बड़ाते हुए प्रेम को छोड़ देता है और कहता है, "हां, तुम सही कह रहे हो।"
प्रेम: "मैंने क्या सही कहा?"
सागर: "जैसा तुम सोच रहे हो, मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था।"
प्रेम बात को घुमा देता है और कहता है, "एक मिनट रुको, मेरा मतलब यह है कि तुमने नाक पर चोट लगने का बहाना बनाया, लेकिन तुम्हारा क्या मतलब था और तुम कौन से इरादे की बात कर रहे हो?"
सागर: "झूठ मैं बोलूंगा नहीं, और सच तुम सुन नहीं पाओगे, इसलिए रहने दो।"
प्रेम: "अगर ऐसी बात है, तो अच्छा है रहने दो।"
सागर: "तुम ये बताओ, बाहर तो नहीं जा सकते, तो खाना यहीं करना है। तुम क्या खाओगे?"
प्रेम: "जो भी हो, तुम मंगा लो।"
सागर कॉल करके खाना ऑर्डर कर देता है, जिसे आने में कम से कम एक घंटा लगेगा। यह बात जब सागर ने प्रेम को बताई, तो प्रेम ने कहा, "तब तक हम दोनों क्या करेंगे?"
सागर: "चलो, जब हमारे पास समय भी है और हम दोनों अकेले भी हैं..."
प्रेम मजाकिया अंदाज में: "मतलब क्या है तुम्हारा?"
सागर: "अरे, तुम ही तो बोल रहे थे कि हमें एक-दूसरे को अच्छे से जानना चाहिए। तो चलो, बैठते हैं और बात करते हैं।"
प्रेम: "अच्छा प्लान है, लेकिन कुछ अलग तरीके से।"
सागर: "क्या अलग तरीका?"
प्रेम: "एक सवाल तुम पूछना, और एक मैं। जवाब देने के बाद एक गुब्बारा तुम फोड़ना और एक मैं।"
सागर: "ठीक है, चलो खिड़की के पास बैठते हैं।"

फिर दोनों खिड़की के पास बैठ जाते हैं। बाहर बारिश की कुछ बूंदें बालकनी पर गिर रही थीं और मंद-मंद हवा चल रही थी।


बाकी का अगले भाग में.......

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रचनाएँ
प्रेम का सागर
5.0
ये कहानी एक प्रेम कहानी है जो अन्य सभी कहानी की तरह ही है लेकिन इसके किरदार सामान्य नहीं हैं। इस कहानी में एक ऐसे मुद्दे के बारे में बात की गई है जिसके बारे में ना ही कोई बात करना चाहता है और न कोई लिखना। ये कहानी समलैंगिक प्रेम पर आधारित है और इस कहानी का उद्देश्य समलैंगिकता के प्रति गलत मानसिकता को खत्म करना है । जो भी व्यक्ति इस पुस्तक को अपनी लाइब्रेरी में जोड़े कृपया अपना नाम कॉमेंट में या समीक्षा में अवश्य लिख दे जिससे मुझे प्रोत्साहन मिले
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परिचय.....

22 जनवरी 2023
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यह कहानी है दो लडकों की एक का नाम प्रेम और दूसरे का सागर दोनो एक दूसरे से अंजान थे दोनो अपनी जिंदगी को अपने ढंग से जी रहे थे लेकिन तब तक जब तक वो मिले नहीं और जिस दिन मिले तब से दोनो की जिंदगी जीने का

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पहली मुलाकात.....

22 जनवरी 2023
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प्रेम और सागर की पहली मुलाकात सागर के ऑफिस में हुई थी। प्रेम जो एक नौकरी की तलाश कर रहा था वो उस दिन उसी कम्पनी में इन्टरव्यू के लिए जा रहा था जो सागर के पिता की थी। प्रेम सही समय पर ऑफिस पहुंच गया था

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नौकरी का पहला दिन

28 मई 2024
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प्रेम की मां : प्रेम जल्दी उठ जा ऑफिस को लेट हो जाएगा और वैसे भी आज ऑफिस का पहला दिन है उठ जा बेटा ।प्रेम: बस मां दो मिनट और सोने दो अभी आठ भी नहीं बजे मां। प्रेम की मां: तू आठ बोल रहा है सही से

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घर तक का सफर

28 मई 2024
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सागर ने मुस्कुराते हुए कहा : "क्या हुआ? अब चुप क्यों हो गए? बताओ कौन अंधा है? लेकिन पहले तुम कार में जल्दी बैठो, नहीं तो और भीग जाओगे।"प्रेम: नहीं सर आप जाओ मैं चला जाऊंगा। सागर : लगता है त

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प्रेम की पहली मीटिंग

9 जून 2024
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प्रेम घर आकर अपने कमरे में बैठा था और सागर के साथ हुई बातचीत के बारे में सोच रहा था। उसे यह अहसास हो रहा था कि सागर सिर्फ एक सख्त बॉस नहीं है, बल्कि उसके अंदर भी संवेदनशीलता और भावनाएं हैं। उधर, सागर

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खीर का स्वाद

12 जून 2024
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अगली सुबह प्रेम जल्दी उठ जाता है और मां के पास जाकर कहता है, "मां, आपको आपके जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई! आप हमेशा खुश रहो और मेरा हमेशा ध्यान रखो।"प्रेम की मां कहती हैं, "बेटा, मैं कब तक तेरा ध्यान रखू

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खाने का बुलावा

17 जून 2024
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प्रेम की मां बाहर आकर देखती हैं कि प्रेम के साथ कोई आया है। प्रेम की मां प्रेम से पूछती हैं: "ये तुम्हारे सागर सर हैं क्या?" प्रेम: "हाँ, वही हैं।" सागर: "आंटी जी, नमस्ते और हाँ! आपको आपके जन्मदि

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मन की बात....

17 जून 2024
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अगले दिन प्रेम सुबह के नौ बजे तक सो रहा होता है कि प्रिया जोर से आवाज लगाती है: "उठ जाओ आलसी, ऑफिस को लेट हो जाओगे वरना।"प्रेम हड़बड़ाकर उठता है और प्रिया से कहता है: "अरे आज क्या मैं फिर लेट उठा हूं?

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अनकहे किस्से

18 जून 2024
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सागर: मैं डरता हूं कि अगर बता दूंगा तो तुम्हें खो दूंगा।प्रेम: मतलब?सागर: अभी इस बात का सही समय नहीं है। जब सही समय आएगा तब बता दूंगा।प्रेम: सागर, तुम तो ऐसे बोल रहे हो जैसे कोई लड़का किसी लड़की से यह

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अनकहे किस्से भाग _2

19 जून 2024
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प्रेम: इसका मतलब हुआ कि मुझे पीटी टीचर अच्छे लगते थे।सागर: मतलब तुम भी...प्रेम: नहीं, मेरा उनके प्रति बस एक खिंचाव था।सागर: मतलब?प्रेम: वो अच्छे थे, उनसे बात करना मुझे पसंद था। लेकिन उनके लिए कुछ ज़्य

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वृद्धाश्रम में दादी

23 जून 2024
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अगली सुबह होती है। प्रेम और सागर गहरी नींद में सो रहे थे। थोड़ी देर बाद प्रेम की आंख खुलती है। प्रेम सागर को अपने बगल में सोता हुआ देखता है। प्रेम लेटे हुए ही सागर को देखता रहता है और सोचता है कि सागर

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प्रेम का दूसरा इंटरव्यू

30 जून 2024
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अगली सुबह हुई, सोमवार का दिन था। प्रेम समय से ऑफिस पहुंच गया। मिली भी ऑफिस पहुंच गई थी। प्रेम ने मिली को देखा और उसके पास जाकर बोला: "गुड मॉर्निंग मिली।"मिली: "वैरी गुड मॉर्निंग प्रेम।"प्रेम: "कैसी हो

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दिल की बातें....एक राज़।

9 जुलाई 2024
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सागर के पापा गुस्से में: सागर तुम यहाँ क्या कर रहे हो?सागर: पापा, वो लंच कर रहा हूँ।प्रेम: वो मैंने ही जोर दिया था।सागर के पापा: प्रेम, तुमसे बात पूछी मैंने, और सागर, तुम्हें पता है मुझे ये सब पसंद नह

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प्यार की शुरुआत

10 जुलाई 2024
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प्रेम घर जाकर बाइक आंगन में खड़ी कर रहा होता है कि प्रेम की मां, जो प्रेम का इंतजार कर रही थी, उसे आता देख बाहर आ जाती है और पूछती है, "आज तुम देर से घर आ रहे हो, काम ज्यादा था क्या?"प्रेम: "हां मां।"

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रूठना मनाना

14 अगस्त 2024
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थोड़ी देर बाद सागर के पापा भी ऑफिस आ जाते हैं और अनुज से पता चलता है कि प्रेम आज सागर सर के साथ उनकी कार में ऑफिस आया था। इतना सुनने के बाद वे गुस्से में सागर के पास जाते हैं, जहां प्रेम पहले से ही मौ

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बिखरी खुशियां

14 अगस्त 2024
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प्रेम: "तो चलो मिली, आज मेरे घर चलो। मेरी माँ के हाथ का खाना खाओ, तुम्हें मज़ा आ जाएगा।"सागर: "हाँ मिली, आंटी बहुत अच्छा खाना बनाती हैं, तुम्हें ज़रूर चलना चाहिए।"मिली: "लेकिन..."प्रेम: "लेकिन-वेकिन क

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मीटिंग का दिन

20 अगस्त 2024
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अगली सुबह प्रेम जल्दी उठ जाता है और नासिक जाने के लिए तैयार होता है। उधर सागर भी तैयार होकर प्रेम को फोन करता है। प्रेम फोन उठाकर: "हां सागर, बोलो।"सागर: "नासिक चलने के लिए तैयार हो?"प्रेम: "हां, बिल्

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ख्यालों की दुनियां

21 अगस्त 2024
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होटल पहुंचकर सागर रिसेप्शन से कमरे की चाबी लेता है, जिस पर लिखा होता है "आठवीं मंजिल, कमरा नंबर 86"। सागर चाबी लेकर प्रेम से लिफ्ट में चलने को कहता है और फिर दोनों लिफ्ट से अपने कमरे तक पहुंच जाते हैं

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खेल खेल में......

25 अगस्त 2024
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दोनों ने सवालों का खेल शुरू किया।सागर: "तो, पहले तुम सवाल पूछो।"प्रेम: "ठीक है, लेकिन याद रखना, सब सच बोलना होगा। न कोई सवाल बदला जाएगा और न ही जवाब देने से मना किया जाएगा।"सागर: "चलो ठीक है, पूछो।"प्

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प्यार का इजहार

28 अगस्त 2024
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प्रेम अब अच्छे से समझ चुका था कि वह सागर के प्रति अपने प्यार को जबरदस्ती रोक रहा था, जबकि सागर उसे सच्चे दिल से प्यार करता है। इसलिए, प्रेम ने अब मन बना लिया था कि वह सागर से अपने प्यार का इज़हार करके

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नासिक का दूसरा दिन

2 अक्टूबर 2024
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अगली सुबह सागर की आँख खुलती है। वह देखता है कि प्रेम उसके पास सो रहा है। यह देखकर सागर के मन में एक अनोखी खुशी होती है। वह देखता है कि अब बारिश रुक चुकी है और खिड़की से सुबह की सूरज की किरणें प्रेम के

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ऑफिस में वापसी

4 अक्टूबर 2024
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सुबह सात बजे तक दोनों प्रेम के घर वापस आ जाते हैं। प्रेम देखता है कि उसकी मां खाना बना रही थी, और चाची पूजा करके तुलसी के पौधे में जल चढ़ा रही थीं। प्रेम और सागर को देख कर प्रेम की मां खुश हो जाती हैं

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