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मन की बात....

17 जून 2024

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अगले दिन प्रेम सुबह के नौ बजे तक सो रहा होता है कि प्रिया जोर से आवाज लगाती है: "उठ जाओ आलसी, ऑफिस को लेट हो जाओगे वरना।"

प्रेम हड़बड़ाकर उठता है और प्रिया से कहता है: "अरे आज क्या मैं फिर लेट उठा हूं? आज तो पक्का मुझे ऑफिस को लेट हो जाएगा और वो खडूस मुझे देर तक ऑफिस में रखेगा।"

प्रिया: "अरे बस भाई, बस! तुम तो सच में भूल गए कि आज तुम्हारी छुट्टी है। भला इतना कौन डरता है अपने बॉस से?"

प्रेम: "अरे नहीं, मैं बिल्कुल नहीं डरता उस खडूस से। वो तो बस ऐसे ही बोल दिया।"

प्रिया: "अच्छा, जल्दी से नहाकर नीचे आ जाना। ताई जी तुम्हारे लिए आलू के पराठे बना रही हैं।"

प्रेम: "आज तो कमाल ही हो गया, लेकिन ऐसा किस खुशी में हुआ?"

प्रिया: "लगता है ताई को तुम्हारा सरप्राइज़ बहुत पसंद आया।"

तभी प्रेम के फोन पर सागर का मैसेज आता है: "गुड मॉर्निंग प्रेम, तुम्हें याद है कि हमें आज शाम को मिलना है।"

प्रेम सागर का मैसेज देखता है और फिर प्रिया को नीचे जाने को कहता है। प्रिया प्रेम के कमरे से चली जाती है। इसके बाद प्रेम सागर को कॉल करता है।

सागर: "हेलो।"

प्रेम: "हेलो, सर गुड मॉर्निंग।"

सागर: "अगर तुमको सर से बात करनी है तो आज ऑफिस की छुट्टी है, कल बात करेंगे।"

प्रेम: "पहले खुद ही बोलते थे मुझे सिर्फ सर बोला करो, अब बोलता हूं तो मना कर रहे हैं।"

सागर: "प्रेम, तुम समझते क्यों नहीं? सर सिर्फ ऑफिस में चलता है और मैंने तुमको दोस्त बनाया है, तो कैसे दोस्त हो तुम जो दोस्त को सर बोलता है।"

प्रेम: "ठीक है, लेकिन आज हम जाएंगे कहां?"

सागर: "पता नहीं, कहीं भी चले जाएंगे।"

प्रेम: "ठीक है, मैं शाम को तैयार रहूंगा।"

फिर प्रेम कॉल काट देता है और नहा-धोकर नीचे आता है तो देखता है कि उसकी मां ने आलू के पराठे बनाए हैं। वो जल्दी से मां को पराठे देने को कहता है। प्रेम के पापा भी पराठे खा रहे होते हैं।

प्रेम के पापा: "प्रेम, तुम्हें पता है तुम्हारी मां को मेरा दिया हुआ गिफ्ट बहुत पसंद आया था।"

प्रिया: "ताऊ जी, गिफ्ट में क्या दिया था?"

प्रेम के पापा: "कांच की चूड़ियां।"

प्रेम: "तुम्हें तो पता है, प्रिया, मां को कांच की चूड़ियां ही पसंद हैं।"

प्रेम के पापा: "और प्रिया, तुम्हें पता है शादी से पहले मैं और तुम्हारी ताई मेले में जाते थे और तुम्हारी ताई कांच की चूड़ियों की ही ज़िद्द करती थी। फिर शादी के बाद घर-गृहस्थी में इतनी उलझ गई कि सारे शौक भूल गई, प्रेम के मेरे और इस परिवार की खुशियों को ही अपनी खुशी मानने लगी।"

प्रिया: "लेकिन ताऊ जी, यह गिफ्ट देने का आइडिया किसका था?"

प्रेम के पापा: "और किसका होगा? प्रेम का ही था।"

प्रिया: "प्रेम भाई, तुम सच में सबकी बहुत फिक्र करते हो और ऐसा भाई तो मुझे जैसे खुशनसीब को ही मिल सकता है।"

प्रेम: "हां, हां, इतना मक्खन मत लगा। मुझे पता है ऐसा क्यों बोल रही हो। ठीक है, करूंगा बात चाची से बाद में, लेकिन अभी मेरे लिए पराठे ले आ।"

प्रिया: "हां, अभी लाती हूं।"

प्रेम ने नाश्ता पूरा करके टोजो को बुलाया और उसके साथ खेलने लगा। जैसे-जैसे समय बीत रहा था, प्रेम को लग रहा था कि समय आज धीरे-धीरे क्यों बीत रहा है। उधर सागर भी अपने कमरे में बैठे यही सोच रहा था कि कब शाम होगी। प्रेम को भी कहीं न कहीं सागर से मिलने का इंतजार था। उसे खुद नहीं समझ आ रहा था कि वो इतना उतावला क्यों हो रहा है?

जैसे-जैसे शाम होने वाली होती है, मौसम खराब होने लगता है। सागर बस यही सोचता है कि बस बारिश न आ जाए। जब शाम हो गई, प्रेम ने आसमानी रंग की टीशर्ट और हल्की काली जींस पहनी और हल्की सुगंध वाला परफ्यूम लगाकर सागर से मिलने के लिए तैयार हो गया।
सागर भी प्रेम से मिलने के लिए बहुत खुश था, इसलिए उसने भी आज टी-शर्ट पहनने का सोचा। उसने महरून रंग की टी-शर्ट और नीली जींस पहनी और तैयार हो गया। फिर सागर जल्दी से कार लेकर प्रेम को लेने गया। रास्ते में सागर ने प्रेम को फोन किया और पूछा:

सागर: "तुम कहां मिलोगे?"

प्रेम: "घर पर लेने मत आना, वरना सब तुमको यहीं रोक लेंगे।"

सागर: "तो तुम एक काम करो, गली के मोड़ तक आ जाओ।"

प्रेम: "ठीक है, मैं आता हूं।"

प्रेम जब सागर की बताई जगह पर पहुंचता है तो देखता है कि सागर की कार वहां खड़ी है। प्रेम कार के पास जाता है। सागर प्रेम को देखकर खुश हो जाता है। उसे प्रेम आज कुछ अलग लग रहा था क्योंकि उसने प्रेम को टी-शर्ट में नहीं देखा था। प्रेम कार का दरवाजा खोलता है और अंदर बैठ जाता है और सागर की तरफ देखता है। प्रेम सागर को देखता ही रह जाता है।

सागर: "क्या हुआ, ऐसे क्या देख रहे हो?"

प्रेम: "कुछ नहीं, बस मैंने तुम्हें कभी नॉर्मल कपड़ों में नहीं देखा इसलिए चौंक गया। वैसे अच्छे लग रहे हो तुम।"

सागर: "तुम भी कुछ कम नहीं लग रहे हो। और तुमने जो परफ्यूम लगाया है, लगता है आज कोई न कोई गर्लफ्रेंड जरूर बना लोगे।"

प्रेम: "और आप कब बनाओगे?"

सागर: "ये क्या बोल रहे हो, मैं और गर्लफ्रेंड! मेरे पास इतना समय कहां है?"

प्रेम: "क्यों झूठ बोल रहे हो, सच बताओ कि तुम्हें प्यार से डर लगता है।"

सागर: "तुम क्या बकवास लेकर बैठ गए हो।"

प्रेम: "तो बता क्यों नहीं देते कि गर्लफ्रेंड कौन है?"

सागर: "मैं सच बोल रहा हूं, मैं अकेले ही रहना पसंद करता हूं।"

प्रेम: "तो तुम मेरे पीछे क्यों पड़े हो?"

सागर: "इसका क्या मतलब है?"

प्रेम: "मेरा मतलब यह है कि जब मैंने भी बोल दिया कि मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है और न मुझे अभी बनानी है, तो क्यों बोलते रहते हो?"

सागर: "अरे, तुम तो गुस्सा हो गए। अच्छा बाबा, अब नहीं बोलूंगा। तुम तो ऐसे लड़ रहे हो जैसे तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो।"

प्रेम: "इतने बुरे दिन नहीं आए हैं मेरे।"

सागर: "चलो अब मूड मत खराब करो, और वैसे भी मौसम भी खराब है।"

प्रेम: "ठीक है, अब ये बताओ जाना कहां है?"

सागर: "क्लब, डिस्को, रेस्टोरेंट या बार?"

प्रेम: "क्या बकवास जगहें बताई हैं, कहीं ऐसी जगह चलो जहां शांति मिले दिमाग को।"

सागर: "ऐसी जगह चलोगे मेरे साथ, मुझे पता है।"

प्रेम: "चलो।"

सागर दो घंटे कार चलाकर शहर से बाहर एक पहाड़ी के रास्ते से ऊंचाई पर जाता है और फिर प्रेम से कहता है: "लो हम आ गए।"

प्रेम कार से उतरकर बाहर आता है और सागर भी बाहर आकर नजारा देखता है।

प्रेम: "सागर, यहां मैं पहली बार आया हूं लेकिन यहां से नजारा कितना अच्छा दिखता है, पूरा शहर दिख रहा है।"

सागर: "प्रेम, यहां मैं आता रहता हूं।"

प्रेम: "क्यों, यहां आस-पास तुम्हारा कोई जानने वाला रहता है क्या?"

सागर: "नहीं, कोई भी नहीं रहता।"

प्रेम: "तो क्यों आते हो इतनी दूर?"

सागर: "जब भी अकेले रहने का मन करता है तो यहीं आ जाता हूं, अपने आपसे बातें करता हूं और जब दिल हल्का हो जाता है, तो फिर उसी दुनिया में वापस चला जाता हूं।"

प्रेम: "लेकिन तुम अकेलापन महसूस क्यों करते हो?"

सागर: "देखो, हवा में ठंडक है। लगता है बारिश भी आएगी। चलो, पास में ही एक बेंच है बैठने के लिए।"

दोनों वहां जाकर बैठ जाते हैं। फिर प्रेम बोलता है: "अब मेरे सवाल का जवाब दो कि क्यों तुम अकेलापन महसूस करते हो?"

सागर: "प्रेम, तुम बहुत लकी हो। तुम्हारा परिवार कितना प्यारा है, सब एक साथ कितने खुश रहते हैं। लेकिन मेरे साथ ऐसा नहीं है। मेरे पापा के पास न अपने परिवार के लिए समय है और न मेरे लिए। उनको बस अपने काम से प्यार है और मेरे चाचा-चाची, वो तो हमारे साथ रहते ही नहीं। दादी को पापा ने ऑल्ड एज होम में भेज दिया है, यह कहकर कि घर पर कोई उनका ध्यान रखने वाला नहीं है।"
प्रेम: "सागर, ये तो गलत बात है।"

सागर: "पता है प्रेम, पापा ने शुरू से मुझे बस बिजनेसमैन बनाने की सोची। कभी मुझसे ये नहीं पूछा कि मुझे क्या पसंद है और क्या नहीं। बस हमेशा अपने हिसाब से मुझे चलाया है। मैं ये नहीं कह रहा कि उन्होंने मेरे साथ गलत किया है, लेकिन उन्होंने बस अपना फायदा देखा।"

प्रेम: "देखो सागर, मुझे नहीं पता तुम्हारे पापा कैसे हैं, लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि तुमने खुद भी कभी अपनी जिंदगी खुलकर जीने की कोशिश नहीं की।"

सागर: "कैसे करता? मुझे शुरू से सिखाया गया कि कैसे चलना है, किससे कैसे बात करनी है, अपने रुतबे के हिसाब से काम करना है। यहां तक कि कैसे कपड़े पहनने हैं। पापा के सामने मैं टी-शर्ट और जींस भी नहीं पहन सकता। उनको लगता है कि ये उनके रुतबे के लिए ठीक नहीं है। उन्हें चाहिए कि उनका बेटा हमेशा कोट पहनकर ही रहे।"

प्रेम: "तो तुम कब तक यहां आते रहोगे और अपना दुख अपने आप को ही सुनाते रहोगे?"

सागर: "पता नहीं।"

प्रेम: "यही तो मैं कहता हूं। तुम्हारी लाइफ में कोई ऐसा इंसान जरूर होना चाहिए जिससे तुम अपनी दिल की सारी बात बता सको।"

सागर: "तुम बताओ, तुम्हें कभी किसी बात ने परेशान किया है?"

प्रेम: "हां, किया है।"

सागर: "क्या है, बताओगे?"

प्रेम: "मैं जैसा दिखता हूं, मैं वैसा तो बिलकुल भी नहीं हूं।"

सागर: "मतलब?"

प्रेम: "पता है, जब मैं आठ साल का था, तब मेरा एक छोटा भाई था और उसका नाम तेजस था। वो शुरू से ही बहुत प्यारा था और मैं भी उसको बहुत प्यार करता था। एक दिन मां, मैं और तेजस ऊपर वाले कमरे में थे और मुझे तेजस के साथ खेलना था, तो मैंने मां से बहुत ज़िद की कि मैं तेजस को नीचे ले जाऊंगा। मां के मना करने पर भी मैंने ज़िद करके तेजस को उठाकर नीचे लाने लगा। लेकिन जब मैं सीढ़ियों से उतर रहा था, तब मैं खुद को संभाल नहीं पाया और तेजस मेरी गोद से गिर गया। उसके गिरने के बाद पूरा परिवार भाग कर आया और थोड़ी देर बाद मुझे पता चला कि मेरी वजह से तेजस नहीं रहा। मेरे परिवार ने तब भी मुझे कुछ नहीं कहा, लेकिन रिश्तेदार, स्कूल के बच्चे और पड़ोस के लोगों ने मुझे हत्यारा बुलाना शुरू कर दिया। जिससे मैं अंदर से टूट चुका था। और यह बात मुझे हमेशा परेशान करती थी। लेकिन जब टोजो हुआ, तो मुझे लगा कि इसको मैं अपनी जान से ज्यादा प्यार करूंगा और करता भी हूं। इसलिए मैंने ज़िद करके टोजो का नाम तेजस ही रखवाया।"

सागर: "मतलब टोजो का नाम भी तेजस ही है? तो टोजो क्यों बुलाते हो?"

प्रेम: "वो तो उसको प्यार से बुलाते हैं।"

सागर: "और तुम्हें प्यार से क्या बुलाते हैं?"

प्रेम: "नहीं, मैं नहीं बताऊंगा।"

सागर: "मत बताओ, मैं आंटी से खुद पूछ लूंगा।"

प्रेम: "अच्छा, एक बात बताओ। तुमने आज मुझे मिलने को क्यों बुलाया? मेरा मतलब है कि कोई खास बात है क्या?"

सागर: "कोई खास बात नहीं है, बस मुझे तुम्हारे साथ समय बिताना अच्छा लग रहा है।"

प्रेम: "तुम कुछ छुपा रहे हो, क्योंकि जब तुम कुछ छुपाते हो, तो तुम्हारे चेहरे से साफ पता चल जाता है। बताओ, क्या बात है?"

सागर: "कोई बात नहीं है और अगर होगी, तो तुम्हें बता दूंगा।"

प्रेम: "देख लो, अभी तुम और मैं अकेले हैं और दुबारा ये मौका मिले या नहीं। इसलिए जो हो, बोल दो, देखा जाएगा।"




बाकी अगले भाग में......
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रचनाएँ
प्रेम का सागर
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ये कहानी एक प्रेम कहानी है जो अन्य सभी कहानी की तरह ही है लेकिन इसके किरदार सामान्य नहीं हैं। इस कहानी में एक ऐसे मुद्दे के बारे में बात की गई है जिसके बारे में ना ही कोई बात करना चाहता है और न कोई लिखना। ये कहानी समलैंगिक प्रेम पर आधारित है और इस कहानी का उद्देश्य समलैंगिकता के प्रति गलत मानसिकता को खत्म करना है । जो भी व्यक्ति इस पुस्तक को अपनी लाइब्रेरी में जोड़े कृपया अपना नाम कॉमेंट में या समीक्षा में अवश्य लिख दे जिससे मुझे प्रोत्साहन मिले
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परिचय.....

22 जनवरी 2023
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यह कहानी है दो लडकों की एक का नाम प्रेम और दूसरे का सागर दोनो एक दूसरे से अंजान थे दोनो अपनी जिंदगी को अपने ढंग से जी रहे थे लेकिन तब तक जब तक वो मिले नहीं और जिस दिन मिले तब से दोनो की जिंदगी जीने का

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पहली मुलाकात.....

22 जनवरी 2023
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प्रेम और सागर की पहली मुलाकात सागर के ऑफिस में हुई थी। प्रेम जो एक नौकरी की तलाश कर रहा था वो उस दिन उसी कम्पनी में इन्टरव्यू के लिए जा रहा था जो सागर के पिता की थी। प्रेम सही समय पर ऑफिस पहुंच गया था

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नौकरी का पहला दिन

28 मई 2024
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प्रेम की मां : प्रेम जल्दी उठ जा ऑफिस को लेट हो जाएगा और वैसे भी आज ऑफिस का पहला दिन है उठ जा बेटा ।प्रेम: बस मां दो मिनट और सोने दो अभी आठ भी नहीं बजे मां। प्रेम की मां: तू आठ बोल रहा है सही से

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घर तक का सफर

28 मई 2024
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सागर ने मुस्कुराते हुए कहा : "क्या हुआ? अब चुप क्यों हो गए? बताओ कौन अंधा है? लेकिन पहले तुम कार में जल्दी बैठो, नहीं तो और भीग जाओगे।"प्रेम: नहीं सर आप जाओ मैं चला जाऊंगा। सागर : लगता है त

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प्रेम की पहली मीटिंग

9 जून 2024
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प्रेम घर आकर अपने कमरे में बैठा था और सागर के साथ हुई बातचीत के बारे में सोच रहा था। उसे यह अहसास हो रहा था कि सागर सिर्फ एक सख्त बॉस नहीं है, बल्कि उसके अंदर भी संवेदनशीलता और भावनाएं हैं। उधर, सागर

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खीर का स्वाद

12 जून 2024
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अगली सुबह प्रेम जल्दी उठ जाता है और मां के पास जाकर कहता है, "मां, आपको आपके जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई! आप हमेशा खुश रहो और मेरा हमेशा ध्यान रखो।"प्रेम की मां कहती हैं, "बेटा, मैं कब तक तेरा ध्यान रखू

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खाने का बुलावा

17 जून 2024
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प्रेम की मां बाहर आकर देखती हैं कि प्रेम के साथ कोई आया है। प्रेम की मां प्रेम से पूछती हैं: "ये तुम्हारे सागर सर हैं क्या?" प्रेम: "हाँ, वही हैं।" सागर: "आंटी जी, नमस्ते और हाँ! आपको आपके जन्मदि

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मन की बात....

17 जून 2024
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अगले दिन प्रेम सुबह के नौ बजे तक सो रहा होता है कि प्रिया जोर से आवाज लगाती है: "उठ जाओ आलसी, ऑफिस को लेट हो जाओगे वरना।"प्रेम हड़बड़ाकर उठता है और प्रिया से कहता है: "अरे आज क्या मैं फिर लेट उठा हूं?

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अनकहे किस्से

18 जून 2024
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सागर: मैं डरता हूं कि अगर बता दूंगा तो तुम्हें खो दूंगा।प्रेम: मतलब?सागर: अभी इस बात का सही समय नहीं है। जब सही समय आएगा तब बता दूंगा।प्रेम: सागर, तुम तो ऐसे बोल रहे हो जैसे कोई लड़का किसी लड़की से यह

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अनकहे किस्से भाग _2

19 जून 2024
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प्रेम: इसका मतलब हुआ कि मुझे पीटी टीचर अच्छे लगते थे।सागर: मतलब तुम भी...प्रेम: नहीं, मेरा उनके प्रति बस एक खिंचाव था।सागर: मतलब?प्रेम: वो अच्छे थे, उनसे बात करना मुझे पसंद था। लेकिन उनके लिए कुछ ज़्य

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वृद्धाश्रम में दादी

23 जून 2024
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अगली सुबह होती है। प्रेम और सागर गहरी नींद में सो रहे थे। थोड़ी देर बाद प्रेम की आंख खुलती है। प्रेम सागर को अपने बगल में सोता हुआ देखता है। प्रेम लेटे हुए ही सागर को देखता रहता है और सोचता है कि सागर

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प्रेम का दूसरा इंटरव्यू

30 जून 2024
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अगली सुबह हुई, सोमवार का दिन था। प्रेम समय से ऑफिस पहुंच गया। मिली भी ऑफिस पहुंच गई थी। प्रेम ने मिली को देखा और उसके पास जाकर बोला: "गुड मॉर्निंग मिली।"मिली: "वैरी गुड मॉर्निंग प्रेम।"प्रेम: "कैसी हो

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दिल की बातें....एक राज़।

9 जुलाई 2024
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सागर के पापा गुस्से में: सागर तुम यहाँ क्या कर रहे हो?सागर: पापा, वो लंच कर रहा हूँ।प्रेम: वो मैंने ही जोर दिया था।सागर के पापा: प्रेम, तुमसे बात पूछी मैंने, और सागर, तुम्हें पता है मुझे ये सब पसंद नह

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प्यार की शुरुआत

10 जुलाई 2024
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प्रेम घर जाकर बाइक आंगन में खड़ी कर रहा होता है कि प्रेम की मां, जो प्रेम का इंतजार कर रही थी, उसे आता देख बाहर आ जाती है और पूछती है, "आज तुम देर से घर आ रहे हो, काम ज्यादा था क्या?"प्रेम: "हां मां।"

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रूठना मनाना

14 अगस्त 2024
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थोड़ी देर बाद सागर के पापा भी ऑफिस आ जाते हैं और अनुज से पता चलता है कि प्रेम आज सागर सर के साथ उनकी कार में ऑफिस आया था। इतना सुनने के बाद वे गुस्से में सागर के पास जाते हैं, जहां प्रेम पहले से ही मौ

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बिखरी खुशियां

14 अगस्त 2024
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प्रेम: "तो चलो मिली, आज मेरे घर चलो। मेरी माँ के हाथ का खाना खाओ, तुम्हें मज़ा आ जाएगा।"सागर: "हाँ मिली, आंटी बहुत अच्छा खाना बनाती हैं, तुम्हें ज़रूर चलना चाहिए।"मिली: "लेकिन..."प्रेम: "लेकिन-वेकिन क

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मीटिंग का दिन

20 अगस्त 2024
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अगली सुबह प्रेम जल्दी उठ जाता है और नासिक जाने के लिए तैयार होता है। उधर सागर भी तैयार होकर प्रेम को फोन करता है। प्रेम फोन उठाकर: "हां सागर, बोलो।"सागर: "नासिक चलने के लिए तैयार हो?"प्रेम: "हां, बिल्

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ख्यालों की दुनियां

21 अगस्त 2024
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होटल पहुंचकर सागर रिसेप्शन से कमरे की चाबी लेता है, जिस पर लिखा होता है "आठवीं मंजिल, कमरा नंबर 86"। सागर चाबी लेकर प्रेम से लिफ्ट में चलने को कहता है और फिर दोनों लिफ्ट से अपने कमरे तक पहुंच जाते हैं

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खेल खेल में......

25 अगस्त 2024
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दोनों ने सवालों का खेल शुरू किया।सागर: "तो, पहले तुम सवाल पूछो।"प्रेम: "ठीक है, लेकिन याद रखना, सब सच बोलना होगा। न कोई सवाल बदला जाएगा और न ही जवाब देने से मना किया जाएगा।"सागर: "चलो ठीक है, पूछो।"प्

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प्यार का इजहार

28 अगस्त 2024
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प्रेम अब अच्छे से समझ चुका था कि वह सागर के प्रति अपने प्यार को जबरदस्ती रोक रहा था, जबकि सागर उसे सच्चे दिल से प्यार करता है। इसलिए, प्रेम ने अब मन बना लिया था कि वह सागर से अपने प्यार का इज़हार करके

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