प्रेम घर आकर अपने कमरे में बैठा था और सागर के साथ हुई बातचीत के बारे में सोच रहा था। उसे यह अहसास हो रहा था कि सागर सिर्फ एक सख्त बॉस नहीं है, बल्कि उसके अंदर भी संवेदनशीलता और भावनाएं हैं। उधर, सागर अपनी कार चलाते हुए प्रेम की बातों में उलझा हुआ था कि प्रेम किसकी शादी की बात कर रहा था। सागर भी अपने घर पहुंच गया और उसके बाद प्रेम के बारे में सोचने लगा कि क्या प्रेम शादी करने वाला है?
अगले दिन, प्रेम ने सवेरे जल्दी उठकर ऑफिस जाने की तैयारी की। उसने सोचा, "आज का दिन तभी अच्छा होगा जब मैं समय से ऑफिस जाऊंगा।" इसलिए वह बिना नाश्ता किए ऑफिस के लिए निकल गया। आज प्रेम ऑफिस समय से पहले आ गया था।
आज वह खुश था और लिफ्ट में गाना गुनगुनाने लगा। ऑफिस के अंदर भी वह गाना गुनगुनाते हुए अपनी टेबल पर बैठ गया। प्रेम को लग रहा था कि अभी कोई भी ऑफिस नहीं आया है, इसलिए उसने थोड़ा जोर से गाना शुरू कर दिया। तभी पीछे से आवाज आई, "अरे प्रेम, आज तुम जल्दी आ गए?"
प्रेम ने पीछे मुड़कर देखा तो सागर पहले ही ऑफिस आ चुका था।
प्रेम: "जी सर, अगर आज लेट हो जाता तो मुझे फिर देर तक रुकना पड़ता।"
सागर: "अच्छा प्रेम, तुम आ ही गए हो तो बता दूं कि आज मुझे एक मीटिंग के लिए ऑफिस से बाहर जाना है और इसी मीटिंग की तैयारी के लिए मैं आज जल्दी आया हूं।"
प्रेम: "कितने बजे की मीटिंग है?"
सागर: "करीब दोपहर दो बजे मीटिंग होगी।"
प्रेम: "क्या मैं आपकी कोई मदद कर सकता हूं?"
सागर: "हां प्रेम, मैं सोच रहा हूं कि तुम भी मेरे साथ मीटिंग में चलो।"
प्रेम: "लेकिन मुझे आज की मीटिंग के बारे में कुछ नहीं पता।"
सागर: "कोई बात नहीं, मेरे साथ केबिन में चलो, वहीं बैठकर आज की मीटिंग के बारे में तुमको बताता हूं और कुछ रिपोर्ट्स भी तैयार करनी हैं।"
प्रेम: "जी सर, चलिए।"
सागर और प्रेम केबिन में आकर बैठ जाते हैं और मीटिंग की जरूरी बातें करने लगते हैं।
प्रेम: "सर, क्या आपने इन रिपोर्ट्स की प्रेजेंटेशन बनाई है? इससे सामने वाले लोगों को अपनी बात समझाने में आसानी होगी।"
सागर: "नहीं प्रेम, मैंने कोई पीपीटी नहीं बनाई है। मैंने सब पेपर पर रिपोर्ट तैयार की है।"
प्रेम: "तो एक काम करते हैं, इसके लिए पीपीटी बना लेते हैं।"
सागर: "लेकिन प्रेम, मुझे पीपीटी बनानी नहीं आती।"
प्रेम: "कोई बात नहीं, मैं जल्दी से पीपीटी बना देता हूं। आप बस मुझे सारी जानकारी बता दीजिए।"
सागर: "हां ठीक है, लेकिन..."
प्रेम: "मुझे पता है, मैं किसी को नहीं बताऊंगा कि आपको पीपीटी बनानी नहीं आती है, चिंता मत करें सर।"
सागर मुस्कुराते हुए: "हां, मैं यही कहना चाहता था।"
दोनों ने मिलकर थोड़ी देर में मीटिंग के लिए पूरी तैयारी कर ली और लगभग काम खत्म ही करने वाले थे कि मिली केबिन में अंदर आती है।
मिली: "गुड मॉर्निंग सागर सर।"
सागर: "मिली, तुम मुझे सर क्यों बोल रही हो?"
मिली: "बड़े सर ने कहा था कि ऑफिस स्टाफ के सामने आपको सर बोलना है।"
सागर (प्रेम की तरफ देखते हुए): "मिली, तुमको कितनी बार बोला कि हम बचपन के दोस्त हैं और तुम मुझे सर मत बोला करो।"
मिली: "प्रेम, तुम बताओ, मैं सबके सामने सागर को सर ही तो कहूंगी।"
प्रेम: "अगर आप दोनों दोस्त हैं तो सर बोलना जरूरी नहीं है।"
सागर: "बिलकुल सही प्रेम, आज से तुम मेरी टीम में हो।"
मिली: "ये बात बड़े सर को पता नहीं चलनी चाहिए।"
सागर: "तुम मेरे पापा से इतना क्यों डरती हो?"
मिली (प्रेम की तरफ देखते हुए): "उनकी नाक थोड़ी लंबी है और वो थोड़े खडूस भी हैं, क्यों प्रेम, बात सही है ना?"
सागर: "प्रेम, तुमको क्या लगता है, मिली सही बोल रही है?"
प्रेम: "आपको तो सब पता है, इंटरव्यू में सब बता दिया था।"
सागर: "तुम तो मुझे भी खडूस समझते हो।"
मिली: "प्रेम की बात तो सही है।"
इतना सुनकर तीनों हंसने लगते हैं। थोड़ी देर बाद मिली, प्रेम और सागर अपने-अपने काम में लग जाते हैं। दोपहर के समय प्रेम और सागर मीटिंग के लिए चले जाते हैं।
कार में सागर प्रेम को देखता है कि प्रेम डरा हुआ है।
सागर: "प्रेम, क्या हुआ? तुम परेशान से लग रहे हो।"
प्रेम: "कुछ खास नहीं, बस थोड़ा नर्वस हो रहा हूं।"
सागर: "प्रेम, डरने की कोई बात नहीं है, तुम मेरे साथ हो। तभी तो मुझमें भी हिम्मत है।"
प्रेम सागर की बात सुनकर थोड़ा मुस्कुरा देता है।
मीटिंग में सागर ने सभी लोगों को अपनी बात अच्छे से समझाई और मीटिंग का फैसला सागर के पक्ष में रहा। सब लोगों ने सागर की खूब तारीफ की।
सागर: "आज की मीटिंग सफल बनाने के लिए प्रेम ने भी खूब मेहनत की है, इसलिए मैं चाहता हूं कि आप सब प्रेम को भी इस काम के लिए बधाई दें।"
सब लोगों ने प्रेम की भी खूब तारीफ की और बधाई दी। थोड़ी देर बाद मीटिंग खत्म हो गई। प्रेम सागर को देखकर थोड़ा मुस्कुराया। सागर ने प्रेम के पास आकर धीरे से कहा: "आज तुमने कमाल कर दिया प्रेम, मैं तुम्हारे लिए खुश हूं।"
थोड़ी देर बाद प्रेम और सागर कार में बैठकर वहां से चले गए। रास्ते में, सागर ने प्रेम को देखा कि वह कुछ सोच रहा है।
सागर: "क्या सोच रहे हो प्रेम, मुझे बता सकते हो?"
प्रेम: "सर, आपको एक बात कहनी थी, बोलूं?"
सागर: "अरे हां, हां, बिल्कुल!"
प्रेम: "थैंक यू सर।"
सागर: "थैंक यू किसलिए?"
प्रेम: "अगर आप चाहते तो मीटिंग में मेरा नाम भी नहीं लेते और इससे कुछ खास फर्क नहीं पड़ता, लेकिन आपने सबके सामने मेरा नाम लिया और अपने साथ मुझे जोड़ा, यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है। मुझे आपकी यह आदत अच्छी लगी कि आप सबको अपने साथ लेकर चलते हैं।"
सागर: "अच्छा, वैसे मेरी कौन सी आदत तुम्हें अच्छी नहीं लगती?"
प्रेम: "है तो कुछ आदतें, लेकिन बता नहीं सकता, आप मेरे बॉस हो।"
सागर: "अच्छा, यह सब छोड़ो, यह बताओ तुम्हें भूख नहीं लगी है क्या? मुझे तो जोर से भूख लगी है।"
प्रेम: "हां, मुझे भी लगी है।"
सागर: "चलो, मैं आज तुम्हें ले चलता हूं। पहले हम कुछ खाएंगे, फिर आगे देखेंगे क्या करना है।"
सागर ने कार एक बड़े और महंगे रेस्टोरेंट के सामने रोकी। दोनों कार से उतरकर अंदर गए। वहां का मैनेजर सागर को देखकर भागकर आया और कहने लगा: "अरे सागर बाबू, आइए। आज बड़े दिनों बाद आप आए हैं। बड़े मालिक नहीं आए?"
सागर: "अरे नहीं, वो अभी किसी काम से देश से बाहर गए हुए हैं। मैं खाना खाने के लिए आया हूं।"
मैनेजर ने उन्हें स्पेशल टेबल के पास ले जाकर बैठने को कहा और खाने के लिए पूछा।
सागर: "प्रेम, तुम क्या खाओगे, बताओ?"
प्रेम झिझकते हुए: "कुछ भी जो आपको पसंद हो।"
सागर: "तो ठीक है फिर, आप एक काम करो, दो मसाला ओट्स भेज दो।"
मैनेजर: "ओके सर।"
प्रेम मन में सोचता है: "ये क्या, इतनी बड़ी जगह आकर ये मसाला ओट्स खाएगा और मुझे भी यही खाना पड़ेगा।"
सागर: "प्रेम, क्या हुआ, क्या सोच रहे हो? क्या तुम्हें ओट्स पसंद नहीं है?"
प्रेम: "नहीं, ऐसी कोई बात नहीं।"
दोनों की टेबल पर मसाला ओट्स आ जाते हैं। सागर खाना शुरू कर देता है, लेकिन प्रेम उसे देखकर मुंह सड़ा लेता है।
प्रेम: "इसको खाकर मैं हॉस्पिटल में भर्ती न हो जाऊं।"
सागर: "प्रेम, खाना शुरू करो।"
प्रेम: "हां, बिल्कुल।"
सागर, प्रेम को देखकर समझ गया था कि उसे यह पसंद नहीं है, लेकिन वह कुछ भी नहीं बोला। वह देखना चाहता था कि प्रेम कुछ बोलता है या नहीं। प्रेम भी बिना कुछ बोले जबरदस्ती ओट्स को खा लेता है और सागर से पूछता है कि, "सर, ये मैनेजर आपको और बड़े सर को कैसे जानते हैं?"
सागर: "मेरे पापा पूरे परिवार को शुरू से यही खाना खिलाने के लिए लाते थे क्योंकि यह उनके दोस्त का रेस्टोरेंट है। तुमको पता है किसका?"
प्रेम: "नहीं।"
सागर: "ये मिली के पापा का रेस्टोरेंट है और मिली के पापा और मेरे पापा बचपन के दोस्त हैं, इसलिए मैं और मिली भी एक-दूसरे को बचपन से जानते हैं।"
प्रेम: "अच्छा, तो सागर सर, मिली आपकी कंपनी में जॉब क्यों करती है?"
सागर: "इसकी भी एक वजह है, किसी और दिन तुम्हें बताऊंगा।" सागर बिल की पेमेंट करके प्रेम को चलने के लिए कहता है। दोनों बाहर आकर कार में बैठ जाते हैं।
सागर: "प्रेम, तुमने बताया क्यों नहीं कि तुम्हें ओट्स पसंद नहीं हैं?"
प्रेम: "ऐसी कोई बात नहीं थी, मैं बस..."
सागर: "देखो, तुम्हें मुझसे डरने की जरूरत नहीं है।"
प्रेम: "अच्छा, तो एक बात बोलूं?"
सागर: "हां, बोलो।"
प्रेम: "सर, कल आपने मुझे घर तक छोड़ा था और यह बात मैंने घर पर बताई थी, तब मां ने कहा था कि किसी दिन आपको घर बुलाऊं। लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि कैसे आपको पूछूं आने के लिए।"
सागर: "अरे, यह तो बहुत अच्छी बात है। मैं आज तो नहीं, लेकिन तुम्हारे साथ किसी दिन जरूर चलूंगा।"
प्रेम: "कल मेरी मां का जन्मदिन है, तो मैं चाहता हूं कि आप कल घर आएं। उनको अच्छा लगेगा।"
सागर: "मैं पूरी कोशिश करूंगा।" सागर कार चला रहा था।
प्रेम: "एक और बात बोलूं, सर?"
सागर: "हां, बोलो।"
प्रेम: "जैसा मैंने आपको पहले दिन सोचा था, आप वैसे नहीं हो।"
सागर: "मतलब? मैं तुम्हें खडूस लगता था और अब नहीं लगता?"
प्रेम: "मेरे कहने का मतलब यह है कि मुझे लगता था कि आपमें बॉस वाला रोब होगा, आप भी अपने आगे किसी को कुछ नहीं समझते होंगे। लेकिन मैं गलत था।"
सागर: "पता है, प्रेम, जबसे मैं तुमसे मिला हूं, मुझे ऐसा लगता है कि मैं तुम्हें काफी सालों से जानता हूं। तुमसे बात करके एक अपनापन सा लगता है। मन करता है दिल की सारी बात तुम्हें बताऊं, क्या बीत रही है और क्या बीत चुकी है।"
प्रेम: "मैं आपकी बात सुनने के लिए तैयार हूं, सर।"
सागर: "प्रेम, मैं तुम्हारा बॉस हूं और यह बात मुझे हमेशा याद आ जाती है, और इसी वजह से मैं तुमसे खुलकर बात नहीं कर पाता।"
प्रेम: "सर, जीवन में एक इंसान ऐसा जरूर होना चाहिए जिससे आप अपनी दिल की सारी बातें बता सको, बिना यह सोचे कि वह मेरे बारे में क्या सोचेगा।"
प्रेम की यह बात सुनकर सागर प्रेम से कहता है, "क्या तुम्हारे पास ऐसा कोई है जिससे तुम सब बातें करते हो?"
प्रेम: "हां, है।"
सागर: "कौन है वो?"
प्रेम: "प्रिया, वह मेरी सारी बात सुनती भी है और समझती भी है।"
सागर: "लगता है, वह बहुत खास है तुम्हारे लिए।"
प्रेम: "हां, जान से ज्यादा प्यारी है वह मेरे लिए।"
सागर को एक अजीब सी जलन होने लगती है प्रिया से।
प्रेम: "सर, आपको भी किसी ऐसे इंसान को ढूंढ लेना चाहिए।"
सागर: "अगर मिलेगा तो बताऊंगा जरूर तुम्हें।" सागर प्रेम से पूछना चाहता था कि तुम वह इंसान बनोगे उसकी जीवन में लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हुई।
सागर और प्रेम ऑफिस में वापस आ गए थे। दोनों अंदर गए तो देखा कि मिली ने दोनों के लिए एक छोटा सा केक मंगवाया हुआ था।
सागर: "मिली, यह किसलिए?"
मिली: "सर, आप भूल गए क्या? आज के दिन ही आपने ऑफिस ज्वाइन किया था।"
प्रेम ने यह सुनकर सागर की तरफ देखा और कहा, "कंग्रेटुलेशन सर और आप हमेशा तरक्की करते रहें।"
फिर सागर ने केक काटा और पहला पीस लेकर प्रेम की तरफ बढ़ाया। प्रेम यह देखकर खुश हो गया। उसको सागर का उसके प्रति इतना लगाव अच्छा लगने लगा लेकिन मिली को यह बात बुरी लगी। मिली को सागर और प्रेम के बीच की दोस्ती गहरी होती दिख रही थी और उसको लग रहा था कि सागर और वह अब अच्छे दोस्त नहीं रहेंगे। सागर ने प्रेम को केक खिलाया और फिर प्रेम ने भी सागर को केक खिलाया। लेकिन जब सागर केक लेकर मिली को खिलाने के लिए गया तो मिली वहां नहीं थी। सागर ने सोचा शायद कुछ काम होगा, थोड़ी देर में वापस आ जाएगी। प्रेम इस बात को समझ गया था कि मिली को यह बात बुरी लगी है लेकिन वह इस समय कुछ नहीं कर सकता था।
थोड़ी देर बाद ऑफिस से जाने का समय हो गया था। मिली आज पहले ही घर जा चुकी थी। सागर और प्रेम भी ऑफिस से बाहर निकल जाते हैं। सागर अपनी कार से जाने लगता है और प्रेम अपनी बाइक से।
सागर: "अरे, तुम बाइक से आते हो?"
प्रेम: "हां, क्यों?"
सागर: "अरे, मुझे बहुत दिन हो गए बाइक नहीं चलाई इसलिए कहा।"
प्रेम: "कोई बात नहीं, जब आपका मन हो चला लेना बाइक।"
सागर: "ओके, तो ठीक है, कल मिलते हैं। बाय।"
प्रेम: "ओके सर। टेक केयर, कल मिलते हैं।"
बाकी अगले भाग में........