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प्यार की शुरुआत

10 जुलाई 2024

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प्रेम घर जाकर बाइक आंगन में खड़ी कर रहा होता है कि प्रेम की मां, जो प्रेम का इंतजार कर रही थी, उसे आता देख बाहर आ जाती है और पूछती है, "आज तुम देर से घर आ रहे हो, काम ज्यादा था क्या?"

प्रेम: "हां मां।"

प्रेम की मां: "कोई बात नहीं, मैं खाना लगा देती हूं। तू हाथ-मुंह धोकर पहले खाना खा ले।"

प्रेम: "नहीं मां, मैंने खाना खा लिया है।"

प्रेम की मां: "कब और कहां?"

प्रेम: "सागर भी आज देर तक ऑफिस में रुके थे, तो उनके साथ ही खाना खा लिया।"

प्रेम की मां: "लगता है तुम दोनों काफी अच्छे दोस्त बन गए हो। लेकिन मालिकों से दोस्ती ठीक नहीं होती।"

प्रेम: "मां, ये सब बातें मत करो। मैं अभी सोने जा रहा हूं, मुझे बहुत तेज नींद आ रही है।"

दोनों घर के अंदर आ जाते हैं और अपनी मां के साथ प्रेम अपने कमरे की ओर जा रहा होता है। तभी प्रेम की मां कहती है, "प्रेम, तुम्हें पता है आज तुम्हारे पापा टोजो के लिए साइकिल लेकर आए हैं।"

प्रेम: "टोजो के लिए साइकिल? यह तो बहुत अच्छी बात है। टोजो तो आज बहुत खुश होगा।"

प्रेम की मां: "हां, कह रहा था कि प्रेम भैया को अपने साथ साइकिल पर बैठाएगा।"

प्रेम: "टोजो कितना प्यारा है न मां। उसका दिल साफ है, वो सबको प्यार करता है।"

प्रेम की मां: "तो सीखा भी तो तुझे ही है। तुझसे ज्यादा प्यार उसको कोई नहीं कर सकता।"

प्रेम: "जैसे आप प्रिया को करती हो।"

प्रेम की मां: "चल अब तू कपड़े बदल कर सो जा। मैं भी सोने जा रही हूं, मुझे भी सुबह जल्दी उठना है।"

इतना कहकर प्रेम की मां अपने कमरे में चली जाती है और प्रेम अपने में। प्रेम अपने कपड़े बदलकर बेड पर सोने के लिए लेट जाता है। प्रेम अपना फोन देखता है तो उसमें सागर का मैसेज आया हुआ होता है, "आज हमारे बीच जो भी बात हुई है, उस पर ध्यान मत देना। तुम जैसे रहना चाहो वैसे रहो मेरे साथ। दोस्त बनो या जो तुम्हारा मन हो।"

प्रेम मैसेज का जवाब देता है, "ध्यान नहीं देने के लिए ही तुमने मैसेज करके याद दिला दिया। लेकिन तुम मेरे लिए इतने सीरियस क्यों हो?"

मैसेज करते ही सागर का जवाब आता है, "मैं बस तुमको खोना नहीं चाहता।"

प्रेम: "तुम यह कहना चाहते हो कि तुम मेरे लिए भी कर सकते हो।"

सागर: "हां, चाहे तो कोशिश करके देख लो।"

प्रेम: "तो ठीक है, कल तुम मुझे अपनी कार में ऑफिस लेकर जाओगे अपने साथ, वो भी सबके सामने। बताओ, है मंजूर?"

सागर: "बस इतनी सी बात, कल देखो तुम।"

प्रेम: "हवा-हवाई में हां मत बोलो। सोचा है तुम्हारे पापा ने देख लिया तो क्या होगा और ऑफिस का स्टाफ अलग से गप्पे मारेगा।"

सागर: "लेकिन अगर मैंने ऐसा कर दिया तो?"

प्रेम: "तो तुम्हारा कोई एक हुकुम मान लूंगा।"

सागर: "अब मजा आएगा।"

प्रेम: "चलो, गुड नाइट, कल मिलते हैं।"

सागर: "ओके, गुड नाइट।"

इसके बाद प्रेम सो जाता है। अगली सुबह हो जाती है और प्रेम अभी भी सो रहा होता है कि प्रेम की मां रसोई से आवाज लगाती है, "प्रेम, उठ जा, ऑफिस को लेट हो जाएगा।"

प्रेम मां की आवाज सुनकर उठ जाता है और जल्दी से नहा कर ऑफिस जाने के लिए तैयार हो जाता है। प्रेम अपने कमरे से निकलकर नीचे आता है तो चौंक जाता है क्योंकि सागर खाने की टेबल पर बैठा हुआ था और नाश्ता कर रहा था। सागर प्रेम को देखकर हाथ से इशारा करके हेलो कहता है।

प्रेम: (सागर को अनदेखा करते हुए) "मां, जल्दी खाना दो, वरना ऑफिस को देर हो जाएगी।"

इतना कहकर खाने की टेबल पर आकर बैठ जाता है।

सागर: "हो गई नींद पूरी?"

प्रेम: "हां हो गई, लेकिन तुम सुबह-सुबह यहां क्या कर रहे हो? और तुम इतनी सुबह-सुबह घर के अंदर कैसे आए?"

सागर कुछ बोलता उससे पहले प्रिया प्रेम के लिए नाश्ता लेकर आती है और प्रेम को देकर कहती है, "मेरे पास रात को सागर सर का फोन आया था कि वो ताई जी के हाथ का खाना खाना चाहते हैं, फिर मैंने ताई जी को रात को ही बता दिया था कि सागर सर सुबह आएंगे। तो बस सुबह ताई जी ने सारा खाना बना दिया।"

इतना बताकर प्रिया वहां से चली जाती है।

प्रेम: (सागर से पूछता है) "तुमको प्रिया का नंबर कैसे मिला?"

सागर: "बहुत भुलक्कड़ हो तुम। तुमने ही तो उस दिन फोन किया था, उस दिन मेरे फोन से जब बारिश में हम दोनों भीग गए थे।"

प्रेम: "अच्छा, हां, याद आ गया।"

सागर: "तो जल्दी से नाश्ता कर लो फिर मेरे साथ ऑफिस चलो।"

प्रेम: "नहीं, तुम चलो, मैं अपनी बाइक से ही आऊंगा।"

सागर: "तुम कब से इतना डरने लग गए?"

प्रेम: "बड़े सर ने देख लिया तो तुमको और मुझे फिर से सुनना पड़ेगा।"

सागर: "देखो, चलना तो पड़ेगा तुम्हें, बाद में फिर तुम्हें मेरा कोई एक हुकुम भी तो मानना पड़ेगा।"

प्रेम: "सारा डर इसी बात का ही तो है, तुम ना जाने क्या करने को बोलोगे।"

दोनों नाश्ता कर ही रहे होते हैं कि प्रेम की मां सागर के लिए और पराठे लेकर आती है और सागर को खाने के लिए कहती है। सागर बिना शर्माए पराठे ले लेता है और खाने लगता है। प्रेम की मां सागर के सिर पर हाथ फेरती है। सागर प्रेम की मां के ऐसे लगाव से थोड़ा भावुक हो जाता है जिससे सागर के गले में एक निवाला फंस जाता है। इस पर प्रेम की मां जल्दी से सागर को पानी का गिलास पकड़ाती है। सागर पानी पी रहा होता है कि प्रेम की मां कहती है, "तुम दोनों को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे दो भाई हो।"

अपनी मां की ये बात सुनकर प्रेम की हंसी छूट जाती है और सागर को पानी का धक्का लग जाता है। प्रेम की मां यह देखकर सागर की कमर पर हाथ फेरने लगती है और कहती है, "आराम से खाओ, कहां की जल्दी है। और प्रेम, तुझे क्यों हंसी आई?"

प्रेम: "हंसने की बात तो है ही, सागर और मेरा भाई हो ही नहीं सकता।"

सागर: "हां, बिल्कुल आंटी, हम दोनों को दोस्त ही रहने दो, हम दोनों अभी इतना लड़ते हैं तो भाई होते तो क्या करते?"

प्रेम: "और वैसे भी मेरे पास मेरा भाई है।"

पीछे से टोजो अपनी साइकिल पर आता है।

प्रेम: "देखा, नाम लिया और आ गया मेरा भाई।"

सागर: "टोजो, नई साइकिल बहुत अच्छी है।"

टोजो: "हां, ताऊ जी लेकर आए थे।"

प्रेम: "मैंने सुना कि तुम मुझे अपने साथ बैठाकर साइकिल पर घुमाओगे।"

टोजो: "हां भैया, चलो।"

सागर: "अभी नहीं प्रेम, अभी ऑफिस को लेट हो रहा है।"

सागर टोजो से: "टोजो, आपके भैया शाम को वापस आकर आपके साथ साइकिल पर घूमेंगे।"

प्रेम: "हां टोजो, अभी ऑफिस जाना है, मैं शाम को तुम्हारे साथ खेलूंगा, पक्का।"

प्रेम की चाची ऑफिस के लिए लंच पैक करके लाती है और कहती है, "दीदी ने सागर तुम्हारे और प्रेम दोनों के लिए लंच पैक किया है, तो दोनों खाना खा लेना।"

सागर: "आंटी, इसकी क्या जरूरत थी।"

प्रेम (सागर के पास आकर उसके कान में धीरे से बोलता है): "जरूरत तो थी, मेरे साथ खाना खाने की आदत कैसे डालोगे वरना।"

सागर प्रेम की ये बात सुनकर सोच में पड़ गया मगर वहां प्रेम से कुछ पूछ नहीं पाया। प्रेम लंच लेकर सागर के साथ कार में बैठ गया। सागर ने कार चलानी शुरू की और प्रेम से पूछा, "तुम्हारा क्या मतलब था?"

प्रेम: "खुलकर पूछो, क्या पूछना चाहते हो?"

सागर प्रेम से धीमे स्वर में पूछता है, "तुम्हारे साथ खाना खाने की आदत डालनी पड़ेगी, इससे तुम्हारा क्या मतलब था?"

प्रेम सागर का हाथ पकड़कर और आत्मविश्वास के साथ कहता है, "मैं समझ सकता हूं कि तुम पूरी कोशिश कर रहे हो मुझे मनाने की। और मैं साफ-साफ समझ रहा हूं कि तुम मेरी खुशी के लिए कुछ कर सकते हो।"

सागर: "तो?"

प्रेम: "तो मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि शायद मैं तुम्हारे और मेरे बारे में कुछ सोच सकता हूं।"

सागर: "सच?"

प्रेम मुस्कुराकर: "हां, शायद।"

सागर कार रोक देता है और प्रेम से पूछता है, "क्या मैं तुम्हें गले लगा सकता हूं?"

प्रेम सहमति के साथ: "हां, बिल्कुल।"

सागर ये सुनकर प्रेम को कसकर गले लगा लेता है और कहता है, "प्रेम, आज मैं बहुत खुश हूं। तुमने आज जो कहा है, उससे मुझे तुमसे और प्यार हो रहा है।"

प्रेम: "तुमने जब कल बोला था कि तुम्हारे लिए जो भी मैं महसूस करता हूं उसको दबा देता हूं। इसलिए मैंने सोचा है कि आज से तुम्हारे लिए जो महसूस करूंगा, वैसे ही बताऊंगा।"

सागर: "आज का दिन मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा दिन है।"

इतना बोलकर सागर कार स्टार्ट कर देता है और ऑफिस की तरफ जाने लगता है। थोड़ी देर में सागर और प्रेम ऑफिस पहुंच जाते हैं। प्रेम और सागर कार से उतरते हैं तभी अनुज, जो ऑफिस का एक कर्मचारी है, वह प्रेम को सागर की कार से उतरते हुए देख लेता है जिससे वह समझ जाता है कि प्रेम सागर सर के साथ ऑफिस आया है। और वह यह बात जाकर ऑफिस में आग की तरह फैला देता है। सागर और प्रेम ऑफिस में आते हैं। मिली दोनों के पास आकर पूछती है, "प्रेम, क्या तुम सागर के साथ कार से ऑफिस आए हो?"

प्रेम: "हां।"

सागर: "ये बात तुम्हें किसने बताई?"

मिली: "मुझे नहीं, पूरे ऑफिस में सबको पता चल गया है कि आज प्रेम सागर सर के साथ कार में ऑफिस आया है। और थोड़ी देर बाद बड़े सर को भी पता चल जाएगा।"

प्रेम: "मैंने तो मना किया था, लेकिन सागर ने मेरी बात नहीं मानी। अब बड़े सर गुस्सा करेंगे तो सागर को ही सुननी पड़ेगी।"

सागर: "जो होगा, देखा जाएगा।"

इतना कहकर सागर अपने केबिन में चला जाता है और प्रेम भी अपनी जगह पर जाकर अपना काम करने लगता है।


बाकी का अगले भाग में.....
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रचनाएँ
प्रेम का सागर
5.0
ये कहानी एक प्रेम कहानी है जो अन्य सभी कहानी की तरह ही है लेकिन इसके किरदार सामान्य नहीं हैं। इस कहानी में एक ऐसे मुद्दे के बारे में बात की गई है जिसके बारे में ना ही कोई बात करना चाहता है और न कोई लिखना। ये कहानी समलैंगिक प्रेम पर आधारित है और इस कहानी का उद्देश्य समलैंगिकता के प्रति गलत मानसिकता को खत्म करना है । जो भी व्यक्ति इस पुस्तक को अपनी लाइब्रेरी में जोड़े कृपया अपना नाम कॉमेंट में या समीक्षा में अवश्य लिख दे जिससे मुझे प्रोत्साहन मिले
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परिचय.....

22 जनवरी 2023
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यह कहानी है दो लडकों की एक का नाम प्रेम और दूसरे का सागर दोनो एक दूसरे से अंजान थे दोनो अपनी जिंदगी को अपने ढंग से जी रहे थे लेकिन तब तक जब तक वो मिले नहीं और जिस दिन मिले तब से दोनो की जिंदगी जीने का

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पहली मुलाकात.....

22 जनवरी 2023
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प्रेम और सागर की पहली मुलाकात सागर के ऑफिस में हुई थी। प्रेम जो एक नौकरी की तलाश कर रहा था वो उस दिन उसी कम्पनी में इन्टरव्यू के लिए जा रहा था जो सागर के पिता की थी। प्रेम सही समय पर ऑफिस पहुंच गया था

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नौकरी का पहला दिन

28 मई 2024
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प्रेम की मां : प्रेम जल्दी उठ जा ऑफिस को लेट हो जाएगा और वैसे भी आज ऑफिस का पहला दिन है उठ जा बेटा ।प्रेम: बस मां दो मिनट और सोने दो अभी आठ भी नहीं बजे मां। प्रेम की मां: तू आठ बोल रहा है सही से

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घर तक का सफर

28 मई 2024
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सागर ने मुस्कुराते हुए कहा : "क्या हुआ? अब चुप क्यों हो गए? बताओ कौन अंधा है? लेकिन पहले तुम कार में जल्दी बैठो, नहीं तो और भीग जाओगे।"प्रेम: नहीं सर आप जाओ मैं चला जाऊंगा। सागर : लगता है त

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प्रेम की पहली मीटिंग

9 जून 2024
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प्रेम घर आकर अपने कमरे में बैठा था और सागर के साथ हुई बातचीत के बारे में सोच रहा था। उसे यह अहसास हो रहा था कि सागर सिर्फ एक सख्त बॉस नहीं है, बल्कि उसके अंदर भी संवेदनशीलता और भावनाएं हैं। उधर, सागर

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खीर का स्वाद

12 जून 2024
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अगली सुबह प्रेम जल्दी उठ जाता है और मां के पास जाकर कहता है, "मां, आपको आपके जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई! आप हमेशा खुश रहो और मेरा हमेशा ध्यान रखो।"प्रेम की मां कहती हैं, "बेटा, मैं कब तक तेरा ध्यान रखू

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खाने का बुलावा

17 जून 2024
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प्रेम की मां बाहर आकर देखती हैं कि प्रेम के साथ कोई आया है। प्रेम की मां प्रेम से पूछती हैं: "ये तुम्हारे सागर सर हैं क्या?" प्रेम: "हाँ, वही हैं।" सागर: "आंटी जी, नमस्ते और हाँ! आपको आपके जन्मदि

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मन की बात....

17 जून 2024
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अगले दिन प्रेम सुबह के नौ बजे तक सो रहा होता है कि प्रिया जोर से आवाज लगाती है: "उठ जाओ आलसी, ऑफिस को लेट हो जाओगे वरना।"प्रेम हड़बड़ाकर उठता है और प्रिया से कहता है: "अरे आज क्या मैं फिर लेट उठा हूं?

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अनकहे किस्से

18 जून 2024
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सागर: मैं डरता हूं कि अगर बता दूंगा तो तुम्हें खो दूंगा।प्रेम: मतलब?सागर: अभी इस बात का सही समय नहीं है। जब सही समय आएगा तब बता दूंगा।प्रेम: सागर, तुम तो ऐसे बोल रहे हो जैसे कोई लड़का किसी लड़की से यह

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अनकहे किस्से भाग _2

19 जून 2024
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प्रेम: इसका मतलब हुआ कि मुझे पीटी टीचर अच्छे लगते थे।सागर: मतलब तुम भी...प्रेम: नहीं, मेरा उनके प्रति बस एक खिंचाव था।सागर: मतलब?प्रेम: वो अच्छे थे, उनसे बात करना मुझे पसंद था। लेकिन उनके लिए कुछ ज़्य

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वृद्धाश्रम में दादी

23 जून 2024
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अगली सुबह होती है। प्रेम और सागर गहरी नींद में सो रहे थे। थोड़ी देर बाद प्रेम की आंख खुलती है। प्रेम सागर को अपने बगल में सोता हुआ देखता है। प्रेम लेटे हुए ही सागर को देखता रहता है और सोचता है कि सागर

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प्रेम का दूसरा इंटरव्यू

30 जून 2024
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अगली सुबह हुई, सोमवार का दिन था। प्रेम समय से ऑफिस पहुंच गया। मिली भी ऑफिस पहुंच गई थी। प्रेम ने मिली को देखा और उसके पास जाकर बोला: "गुड मॉर्निंग मिली।"मिली: "वैरी गुड मॉर्निंग प्रेम।"प्रेम: "कैसी हो

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दिल की बातें....एक राज़।

9 जुलाई 2024
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सागर के पापा गुस्से में: सागर तुम यहाँ क्या कर रहे हो?सागर: पापा, वो लंच कर रहा हूँ।प्रेम: वो मैंने ही जोर दिया था।सागर के पापा: प्रेम, तुमसे बात पूछी मैंने, और सागर, तुम्हें पता है मुझे ये सब पसंद नह

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प्यार की शुरुआत

10 जुलाई 2024
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प्रेम घर जाकर बाइक आंगन में खड़ी कर रहा होता है कि प्रेम की मां, जो प्रेम का इंतजार कर रही थी, उसे आता देख बाहर आ जाती है और पूछती है, "आज तुम देर से घर आ रहे हो, काम ज्यादा था क्या?"प्रेम: "हां मां।"

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रूठना मनाना

14 अगस्त 2024
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थोड़ी देर बाद सागर के पापा भी ऑफिस आ जाते हैं और अनुज से पता चलता है कि प्रेम आज सागर सर के साथ उनकी कार में ऑफिस आया था। इतना सुनने के बाद वे गुस्से में सागर के पास जाते हैं, जहां प्रेम पहले से ही मौ

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बिखरी खुशियां

14 अगस्त 2024
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प्रेम: "तो चलो मिली, आज मेरे घर चलो। मेरी माँ के हाथ का खाना खाओ, तुम्हें मज़ा आ जाएगा।"सागर: "हाँ मिली, आंटी बहुत अच्छा खाना बनाती हैं, तुम्हें ज़रूर चलना चाहिए।"मिली: "लेकिन..."प्रेम: "लेकिन-वेकिन क

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मीटिंग का दिन

20 अगस्त 2024
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अगली सुबह प्रेम जल्दी उठ जाता है और नासिक जाने के लिए तैयार होता है। उधर सागर भी तैयार होकर प्रेम को फोन करता है। प्रेम फोन उठाकर: "हां सागर, बोलो।"सागर: "नासिक चलने के लिए तैयार हो?"प्रेम: "हां, बिल्

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ख्यालों की दुनियां

21 अगस्त 2024
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होटल पहुंचकर सागर रिसेप्शन से कमरे की चाबी लेता है, जिस पर लिखा होता है "आठवीं मंजिल, कमरा नंबर 86"। सागर चाबी लेकर प्रेम से लिफ्ट में चलने को कहता है और फिर दोनों लिफ्ट से अपने कमरे तक पहुंच जाते हैं

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खेल खेल में......

25 अगस्त 2024
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दोनों ने सवालों का खेल शुरू किया।सागर: "तो, पहले तुम सवाल पूछो।"प्रेम: "ठीक है, लेकिन याद रखना, सब सच बोलना होगा। न कोई सवाल बदला जाएगा और न ही जवाब देने से मना किया जाएगा।"सागर: "चलो ठीक है, पूछो।"प्

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प्यार का इजहार

28 अगस्त 2024
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प्रेम अब अच्छे से समझ चुका था कि वह सागर के प्रति अपने प्यार को जबरदस्ती रोक रहा था, जबकि सागर उसे सच्चे दिल से प्यार करता है। इसलिए, प्रेम ने अब मन बना लिया था कि वह सागर से अपने प्यार का इज़हार करके

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नासिक का दूसरा दिन

2 अक्टूबर 2024
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अगली सुबह सागर की आँख खुलती है। वह देखता है कि प्रेम उसके पास सो रहा है। यह देखकर सागर के मन में एक अनोखी खुशी होती है। वह देखता है कि अब बारिश रुक चुकी है और खिड़की से सुबह की सूरज की किरणें प्रेम के

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ऑफिस में वापसी

4 अक्टूबर 2024
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सुबह सात बजे तक दोनों प्रेम के घर वापस आ जाते हैं। प्रेम देखता है कि उसकी मां खाना बना रही थी, और चाची पूजा करके तुलसी के पौधे में जल चढ़ा रही थीं। प्रेम और सागर को देख कर प्रेम की मां खुश हो जाती हैं

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