प्रेम घर जाकर बाइक आंगन में खड़ी कर रहा होता है कि प्रेम की मां, जो प्रेम का इंतजार कर रही थी, उसे आता देख बाहर आ जाती है और पूछती है, "आज तुम देर से घर आ रहे हो, काम ज्यादा था क्या?"
प्रेम: "हां मां।"
प्रेम की मां: "कोई बात नहीं, मैं खाना लगा देती हूं। तू हाथ-मुंह धोकर पहले खाना खा ले।"
प्रेम: "नहीं मां, मैंने खाना खा लिया है।"
प्रेम की मां: "कब और कहां?"
प्रेम: "सागर भी आज देर तक ऑफिस में रुके थे, तो उनके साथ ही खाना खा लिया।"
प्रेम की मां: "लगता है तुम दोनों काफी अच्छे दोस्त बन गए हो। लेकिन मालिकों से दोस्ती ठीक नहीं होती।"
प्रेम: "मां, ये सब बातें मत करो। मैं अभी सोने जा रहा हूं, मुझे बहुत तेज नींद आ रही है।"
दोनों घर के अंदर आ जाते हैं और अपनी मां के साथ प्रेम अपने कमरे की ओर जा रहा होता है। तभी प्रेम की मां कहती है, "प्रेम, तुम्हें पता है आज तुम्हारे पापा टोजो के लिए साइकिल लेकर आए हैं।"
प्रेम: "टोजो के लिए साइकिल? यह तो बहुत अच्छी बात है। टोजो तो आज बहुत खुश होगा।"
प्रेम की मां: "हां, कह रहा था कि प्रेम भैया को अपने साथ साइकिल पर बैठाएगा।"
प्रेम: "टोजो कितना प्यारा है न मां। उसका दिल साफ है, वो सबको प्यार करता है।"
प्रेम की मां: "तो सीखा भी तो तुझे ही है। तुझसे ज्यादा प्यार उसको कोई नहीं कर सकता।"
प्रेम: "जैसे आप प्रिया को करती हो।"
प्रेम की मां: "चल अब तू कपड़े बदल कर सो जा। मैं भी सोने जा रही हूं, मुझे भी सुबह जल्दी उठना है।"
इतना कहकर प्रेम की मां अपने कमरे में चली जाती है और प्रेम अपने में। प्रेम अपने कपड़े बदलकर बेड पर सोने के लिए लेट जाता है। प्रेम अपना फोन देखता है तो उसमें सागर का मैसेज आया हुआ होता है, "आज हमारे बीच जो भी बात हुई है, उस पर ध्यान मत देना। तुम जैसे रहना चाहो वैसे रहो मेरे साथ। दोस्त बनो या जो तुम्हारा मन हो।"
प्रेम मैसेज का जवाब देता है, "ध्यान नहीं देने के लिए ही तुमने मैसेज करके याद दिला दिया। लेकिन तुम मेरे लिए इतने सीरियस क्यों हो?"
मैसेज करते ही सागर का जवाब आता है, "मैं बस तुमको खोना नहीं चाहता।"
प्रेम: "तुम यह कहना चाहते हो कि तुम मेरे लिए भी कर सकते हो।"
सागर: "हां, चाहे तो कोशिश करके देख लो।"
प्रेम: "तो ठीक है, कल तुम मुझे अपनी कार में ऑफिस लेकर जाओगे अपने साथ, वो भी सबके सामने। बताओ, है मंजूर?"
सागर: "बस इतनी सी बात, कल देखो तुम।"
प्रेम: "हवा-हवाई में हां मत बोलो। सोचा है तुम्हारे पापा ने देख लिया तो क्या होगा और ऑफिस का स्टाफ अलग से गप्पे मारेगा।"
सागर: "लेकिन अगर मैंने ऐसा कर दिया तो?"
प्रेम: "तो तुम्हारा कोई एक हुकुम मान लूंगा।"
सागर: "अब मजा आएगा।"
प्रेम: "चलो, गुड नाइट, कल मिलते हैं।"
सागर: "ओके, गुड नाइट।"
इसके बाद प्रेम सो जाता है। अगली सुबह हो जाती है और प्रेम अभी भी सो रहा होता है कि प्रेम की मां रसोई से आवाज लगाती है, "प्रेम, उठ जा, ऑफिस को लेट हो जाएगा।"
प्रेम मां की आवाज सुनकर उठ जाता है और जल्दी से नहा कर ऑफिस जाने के लिए तैयार हो जाता है। प्रेम अपने कमरे से निकलकर नीचे आता है तो चौंक जाता है क्योंकि सागर खाने की टेबल पर बैठा हुआ था और नाश्ता कर रहा था। सागर प्रेम को देखकर हाथ से इशारा करके हेलो कहता है।
प्रेम: (सागर को अनदेखा करते हुए) "मां, जल्दी खाना दो, वरना ऑफिस को देर हो जाएगी।"
इतना कहकर खाने की टेबल पर आकर बैठ जाता है।
सागर: "हो गई नींद पूरी?"
प्रेम: "हां हो गई, लेकिन तुम सुबह-सुबह यहां क्या कर रहे हो? और तुम इतनी सुबह-सुबह घर के अंदर कैसे आए?"
सागर कुछ बोलता उससे पहले प्रिया प्रेम के लिए नाश्ता लेकर आती है और प्रेम को देकर कहती है, "मेरे पास रात को सागर सर का फोन आया था कि वो ताई जी के हाथ का खाना खाना चाहते हैं, फिर मैंने ताई जी को रात को ही बता दिया था कि सागर सर सुबह आएंगे। तो बस सुबह ताई जी ने सारा खाना बना दिया।"
इतना बताकर प्रिया वहां से चली जाती है।
प्रेम: (सागर से पूछता है) "तुमको प्रिया का नंबर कैसे मिला?"
सागर: "बहुत भुलक्कड़ हो तुम। तुमने ही तो उस दिन फोन किया था, उस दिन मेरे फोन से जब बारिश में हम दोनों भीग गए थे।"
प्रेम: "अच्छा, हां, याद आ गया।"
सागर: "तो जल्दी से नाश्ता कर लो फिर मेरे साथ ऑफिस चलो।"
प्रेम: "नहीं, तुम चलो, मैं अपनी बाइक से ही आऊंगा।"
सागर: "तुम कब से इतना डरने लग गए?"
प्रेम: "बड़े सर ने देख लिया तो तुमको और मुझे फिर से सुनना पड़ेगा।"
सागर: "देखो, चलना तो पड़ेगा तुम्हें, बाद में फिर तुम्हें मेरा कोई एक हुकुम भी तो मानना पड़ेगा।"
प्रेम: "सारा डर इसी बात का ही तो है, तुम ना जाने क्या करने को बोलोगे।"
दोनों नाश्ता कर ही रहे होते हैं कि प्रेम की मां सागर के लिए और पराठे लेकर आती है और सागर को खाने के लिए कहती है। सागर बिना शर्माए पराठे ले लेता है और खाने लगता है। प्रेम की मां सागर के सिर पर हाथ फेरती है। सागर प्रेम की मां के ऐसे लगाव से थोड़ा भावुक हो जाता है जिससे सागर के गले में एक निवाला फंस जाता है। इस पर प्रेम की मां जल्दी से सागर को पानी का गिलास पकड़ाती है। सागर पानी पी रहा होता है कि प्रेम की मां कहती है, "तुम दोनों को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे दो भाई हो।"
अपनी मां की ये बात सुनकर प्रेम की हंसी छूट जाती है और सागर को पानी का धक्का लग जाता है। प्रेम की मां यह देखकर सागर की कमर पर हाथ फेरने लगती है और कहती है, "आराम से खाओ, कहां की जल्दी है। और प्रेम, तुझे क्यों हंसी आई?"
प्रेम: "हंसने की बात तो है ही, सागर और मेरा भाई हो ही नहीं सकता।"
सागर: "हां, बिल्कुल आंटी, हम दोनों को दोस्त ही रहने दो, हम दोनों अभी इतना लड़ते हैं तो भाई होते तो क्या करते?"
प्रेम: "और वैसे भी मेरे पास मेरा भाई है।"
पीछे से टोजो अपनी साइकिल पर आता है।
प्रेम: "देखा, नाम लिया और आ गया मेरा भाई।"
सागर: "टोजो, नई साइकिल बहुत अच्छी है।"
टोजो: "हां, ताऊ जी लेकर आए थे।"
प्रेम: "मैंने सुना कि तुम मुझे अपने साथ बैठाकर साइकिल पर घुमाओगे।"
टोजो: "हां भैया, चलो।"
सागर: "अभी नहीं प्रेम, अभी ऑफिस को लेट हो रहा है।"
सागर टोजो से: "टोजो, आपके भैया शाम को वापस आकर आपके साथ साइकिल पर घूमेंगे।"
प्रेम: "हां टोजो, अभी ऑफिस जाना है, मैं शाम को तुम्हारे साथ खेलूंगा, पक्का।"
प्रेम की चाची ऑफिस के लिए लंच पैक करके लाती है और कहती है, "दीदी ने सागर तुम्हारे और प्रेम दोनों के लिए लंच पैक किया है, तो दोनों खाना खा लेना।"
सागर: "आंटी, इसकी क्या जरूरत थी।"
प्रेम (सागर के पास आकर उसके कान में धीरे से बोलता है): "जरूरत तो थी, मेरे साथ खाना खाने की आदत कैसे डालोगे वरना।"
सागर प्रेम की ये बात सुनकर सोच में पड़ गया मगर वहां प्रेम से कुछ पूछ नहीं पाया। प्रेम लंच लेकर सागर के साथ कार में बैठ गया। सागर ने कार चलानी शुरू की और प्रेम से पूछा, "तुम्हारा क्या मतलब था?"
प्रेम: "खुलकर पूछो, क्या पूछना चाहते हो?"
सागर प्रेम से धीमे स्वर में पूछता है, "तुम्हारे साथ खाना खाने की आदत डालनी पड़ेगी, इससे तुम्हारा क्या मतलब था?"
प्रेम सागर का हाथ पकड़कर और आत्मविश्वास के साथ कहता है, "मैं समझ सकता हूं कि तुम पूरी कोशिश कर रहे हो मुझे मनाने की। और मैं साफ-साफ समझ रहा हूं कि तुम मेरी खुशी के लिए कुछ कर सकते हो।"
सागर: "तो?"
प्रेम: "तो मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि शायद मैं तुम्हारे और मेरे बारे में कुछ सोच सकता हूं।"
सागर: "सच?"
प्रेम मुस्कुराकर: "हां, शायद।"
सागर कार रोक देता है और प्रेम से पूछता है, "क्या मैं तुम्हें गले लगा सकता हूं?"
प्रेम सहमति के साथ: "हां, बिल्कुल।"
सागर ये सुनकर प्रेम को कसकर गले लगा लेता है और कहता है, "प्रेम, आज मैं बहुत खुश हूं। तुमने आज जो कहा है, उससे मुझे तुमसे और प्यार हो रहा है।"
प्रेम: "तुमने जब कल बोला था कि तुम्हारे लिए जो भी मैं महसूस करता हूं उसको दबा देता हूं। इसलिए मैंने सोचा है कि आज से तुम्हारे लिए जो महसूस करूंगा, वैसे ही बताऊंगा।"
सागर: "आज का दिन मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा दिन है।"
इतना बोलकर सागर कार स्टार्ट कर देता है और ऑफिस की तरफ जाने लगता है। थोड़ी देर में सागर और प्रेम ऑफिस पहुंच जाते हैं। प्रेम और सागर कार से उतरते हैं तभी अनुज, जो ऑफिस का एक कर्मचारी है, वह प्रेम को सागर की कार से उतरते हुए देख लेता है जिससे वह समझ जाता है कि प्रेम सागर सर के साथ ऑफिस आया है। और वह यह बात जाकर ऑफिस में आग की तरह फैला देता है। सागर और प्रेम ऑफिस में आते हैं। मिली दोनों के पास आकर पूछती है, "प्रेम, क्या तुम सागर के साथ कार से ऑफिस आए हो?"
प्रेम: "हां।"
सागर: "ये बात तुम्हें किसने बताई?"
मिली: "मुझे नहीं, पूरे ऑफिस में सबको पता चल गया है कि आज प्रेम सागर सर के साथ कार में ऑफिस आया है। और थोड़ी देर बाद बड़े सर को भी पता चल जाएगा।"
प्रेम: "मैंने तो मना किया था, लेकिन सागर ने मेरी बात नहीं मानी। अब बड़े सर गुस्सा करेंगे तो सागर को ही सुननी पड़ेगी।"
सागर: "जो होगा, देखा जाएगा।"
इतना कहकर सागर अपने केबिन में चला जाता है और प्रेम भी अपनी जगह पर जाकर अपना काम करने लगता है।
बाकी का अगले भाग में.....