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अनकहे किस्से

18 जून 2024

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सागर: मैं डरता हूं कि अगर बता दूंगा तो तुम्हें खो दूंगा।
प्रेम: मतलब?
सागर: अभी इस बात का सही समय नहीं है। जब सही समय आएगा तब बता दूंगा।
प्रेम: सागर, तुम तो ऐसे बोल रहे हो जैसे कोई लड़का किसी लड़की से यह कहने के लिए डर रहा हो कि वह उससे प्यार करता है।
सागर यह सुनकर खामोश हो जाता है और उठकर कार की तरफ जाने लगता है। प्रेम पीछे-पीछे जाता है और कहता है: अरे, मैं मजाक कर रहा था, तुम तो बुरा मान गए। और एक बात, तुम जैसे भी हो, हां थोड़े खडूस ही सही, लेकिन मैं कभी तुम्हें छोड़कर नहीं जाऊंगा।
सागर की आंखें नम हो जाती हैं। यह देखकर प्रेम सागर का हाथ कसकर पकड़ लेता है और खुद भी भावुक हो जाता है। इस पर सागर कहता है: लेकिन तुम्हारा मजाक मेरे लिए मजाक नहीं है। और इसके आगे मुझसे कुछ और मत पूछना। इतना कहकर सागर प्रेम को गले लगा लेता है। 
प्रेम को सही से समझ नहीं आता कि सागर क्या कहना चाहता है, लेकिन उस समय वह सागर को शांत करने की कोशिश करता है। इसी बीच बारिश होने लगती है। प्रेम सागर को कार के पास चलने को कहता है और फिर दोनों कार के पास पहुंच जाते हैं। लेकिन आते-आते दोनों बारिश की वजह से भीग जाते हैं। दोनों कार में बैठ जाते हैं और फिर प्रेम अपनी कही हुई बात को समझने की कोशिश करता है। और फिर सागर से कहता है: मुझे तुमसे कुछ पूछना है।
सागर: मैंने कहा था मुझसे अब कुछ मत पूछना।
प्रेम: तुम कब तक ऐसे खुद को छुपाते रहोगे? जो बोलना है, बोलो। मैं सुनूंगा।
सागर: और उसके बाद क्या?
प्रेम: मुझे जहां तक समझ आ रहा है, अगर मैं सही हूं, लेकिन मैं तुम्हारे मुंह से सुनना चाहता हूं।
सागर: तुम्हें मेरी बात अजीब लगेगी और मुझे नहीं पता इसके बाद तुम मेरे बारे में क्या सोचोगे, लेकिन ठीक है अगर तुम्हें सुनना है तो सुनो। हां, मुझे तुम अच्छे लगते हो। और कोई मामूली वाला अच्छा नहीं, खास वाला अच्छा।
प्रेम: रुको जरा! मतलब तुम?
सागर: मैंने कहा था, तुम मुझे गलत समझ लोगे।
प्रेम: मुझे थोड़ा सोचने का समय दो। मेरा दिमाग हिल गया है, समझ नहीं आ रहा है क्या करूं।
सागर: देखो, तुमने जिद करके पूछा था। मैं बताना भी नहीं चाहता था।
प्रेम: वो बात नहीं है। मैं तो यह सोच रहा हूं कि मुझे इतनी देर हो गई है और मेरे घरवालों को मेरी कोई फिक्र नहीं है। कैसा परिवार मिला है मुझे?
सागर: तुम यह सोच रहे हो तब से?
प्रेम: तो तुम्हें क्या लगा? मैं यह सोचूंगा कि तुम्हें कौन पसंद है और कौन नहीं। अरे, तुम्हें जो पसंद है, वह तुम्हारी चॉइस है, मैं उसमें क्या कर सकता हूं।
सागर: मैं समझ गया। तुम इस बारे में बात ही नहीं करना चाहते। चलो, अच्छा है ये भी।
प्रेम ने अपना फोन जेब से निकालकर देखा तो वह स्विच ऑफ था।
प्रेम: अरे धत तेरी की! फोन तो ऑफ है। मेरे घर वाले परेशान हो रहे होंगे।
सागर: लो, मेरे फोन से घर फोन कर लो।
प्रेम सागर के फोन से प्रिया को फोन लगाता है।
प्रेम: हेलो प्रिया।
प्रिया: भैया, कहां हो? कब से तुम्हारा फोन ट्राय कर रहे हैं सब और तुम्हारा फोन स्विच ऑफ क्यों है? और ये किसके फोन से बात कर रहे हो?
प्रेम: अरे, वो बैटरी लो हो गई है फोन की। अच्छा, तुम घर पर बता दो कि मैं सागर सर के साथ हूं और यह नंबर भी उनका ही है।
प्रिया: सागर सर के साथ?
प्रेम: हां, चल अब फोन रख। टाइम लगेगा आने में। बता देना सबको।
प्रेम सागर का फोन वापस कर देता है।
सागर: तुम मुझे गलत मत समझना।
प्रेम: अब तुम कुछ नहीं बोलोगे और बस कार चलाओगे।
सागर: तुम गीले हो गए हो और बाहर बारिश भी हो रही है। अभी हम कैसे घर जाएंगे?
प्रेम: मुझे नहीं पता। तुम जैसे लेकर आए थे, वैसे लेके चलो।
सागर: ठीक है, चलते हैं।

दोनों दो घंटे में वापस आ जाते हैं। आते समय न प्रेम कुछ बोला और न सागर। यह पहली बार था कि दोनों इतनी देर तक चुप रहे हों। सागर कार प्रेम के घर के सामने रोकता है। यह देखकर प्रेम कहता है: घर के सामने ही रोकनी जरूरी थी? अब मां बाहर आ जाएगी।
सागर: लो, आ गईं।
प्रेम: मर गए।
प्रेम और सागर कार से बाहर आते हैं। सागर, प्रेम की मां को देखकर: आंटी जी, नमस्ते।
प्रेम की मां: कितनी देर हो गई है? तुम दोनों कहां गए थे? और ऊपर से भीगे हुए भी हो। चलो अंदर और अपने कपड़े बदलो।
सागर: अच्छा, आंटी, मैं घर को चलता हूं।
प्रेम: हां, ठीक है।
प्रेम की मां: क्या ठीक है? सागर, तुम कहीं नहीं जाओगे। इतनी रात हो गई है और तुम भीगे हुए भी हो। तुम अंदर चलो और आज रात यहीं रुको।
प्रेम: मां, ये यहां कैसे?
प्रेम की मां: क्यों, क्या दिक्कत है?
प्रेम: इन्हें हमारे यहां रहने की आदत नहीं है।
सागर: ऐसी कोई बात नहीं है।
प्रेम की मां: बस, तो ठीक है। तुम आज यहीं रहोगे। अपने घर फोन करो और बता दो कि चिंता न करें।
सागर: मेरी चिंता कोई नहीं करेगा।

तीनों घर के अंदर आ जाते हैं। प्रेम की मां कहती हैं: सागर, तुम ये कपड़े बदल लो और प्रेम की अलमारी से कोई भी कपड़े पहन लो।
प्रेम: मां, मेरे कपड़े हैं वो।
सागर: तो क्या हुआ? मुझे कोई परेशानी नहीं है इसमें।
प्रेम की मां: मैं जल्दी से खाना लाती हूं। तुम दोनों खाकर ही सोना। और हां, सागर, तुम आज प्रेम के कमरे में सो जाना।
प्रेम: अब ये सोएंगे भी मेरे ही कमरे में? ये क्या बात हुई?
प्रेम की मां: तुम्हें ज्यादा परेशानी हो रही है तो नीचे हॉल में ही सो जा।
प्रेम: मैं तो अपने कमरे में ही सोऊंगा।
सागर: मैं भी वहीं सोऊंगा।

फिर दोनों कपड़े बदलकर खाना खाते हैं और प्रेम के कमरे में सोने चले जाते हैं।
प्रेम: देखो, मैं बेड पर सोऊंगा और तुम कहां सोने वाले हो?
सागर: मुझे बेड पर ही नींद आती है, तो मुझे बेड पर सोने दो।
प्रेम: ऐसे कैसे?
सागर: मैं तुम्हारा बॉस हूं, इतना तो कर सकते हो मेरे लिए।
प्रेम: बस यही आदत मुझे तुम्हारी पसंद नहीं है। हर जगह अपना बॉस वाला झंडा लेके आ जाते हो। मुझे नहीं करनी ऐसी दोस्ती जिसमें जब मन किया दोस्त बना लिया और जब मन किया खुद बॉस बन गए।
सागर: अरे, अरे, इतना गुस्सा किस बात पर हो?
प्रेम: मुझे भी पता नहीं। मुझे बस थोड़ा समय दो। इतने कम समय में इतना सब कुछ हो रहा है, इस वजह से मैं ऐसा बर्ताव कर रहा हूं।
सागर: मुझे तुमसे कोई परेशानी नहीं है। लेकिन मुझे बेड पर ही सोना है।
प्रेम: ठीक है, सो जाओ।
सागर: प्रेम को गले लगाकर: थैंक यू सो मच, तुम कितने अच्छे हो।
प्रेम: हां, हां, बस ठीक है।
सागर: ओह, सॉरी, तुमसे दूर रहना है, मैं भूल गया था।

दोनों बिस्तर पर लेट जाते हैं, लेकिन नींद किसी को भी नहीं आ रही थी। दोनों दीवारें देख रहे थे। थोड़ी देर बाद सागर प्रेम से बोलता है: क्या तुम सो गए हो?
प्रेम: अभी नहीं।
सागर: तो क्या सोच रहे हो?
प्रेम: मुझसे तो तुम कुछ ना ही पूछो तो अच्छा होगा।
सागर: क्यों? मैंने क्या किया? तुमने ही तो बोला था जो दिल में है, बताओ।
प्रेम: लेकिन मुझे खुशी है कि तुमने मुझसे सच बोला। मुझमें तो इतनी हिम्मत भी नहीं है कि किसी से सच बोल सकूं।
सागर: मतलब?
प्रेम: कुछ नहीं।
सागर: मैं जिद नहीं करूंगा बताने के लिए। तुम्हें जब मन हो, बता देना।
प्रेम: तुम्हारा क्या मतलब है मैंने जिद करी थी?
सागर: और क्या? वरना मैं कभी तुम्हें नहीं बताता।
प्रेम: कोई बात नहीं। तुम्हें मैं जैसा भी लगता हूं, उससे मुझे मतलब नहीं। मेरे लिए तो तुम मेरे बस बॉस हो।
सागर: और दोस्त?
प्रेम: हां, हो।
थोड़ी देर तक दोनों शांत होकर अपने दिमाग में सोचते रहते हैं। तभी प्रेम सागर से पूछता है: अच्छा, तुम्हें कब पता चला?
सागर: किस बारे में?
प्रेम: यही कि तुम्हें कौन पसंद है?
सागर: जिस उम्र में सबको पता चलता है, उसी समय।
प्रेम: तो तुम्हें अजीब नहीं लगा क्योंकि तुम सब लोगों से अलग थे?
सागर: शुरू-शुरू में मुझे अजीब लगा, लेकिन फिर इसके बारे में पढ़ा, तब समझ आया इसमें कुछ अजीब है ही नहीं।
प्रेम: तो सबसे पहले कौन पसंद आया था?
सागर: जब मैं स्कूल में था तब मेरे साथ एक लड़का था, वह।
प्रेम: क्या मैं उसका नाम जान सकता हूं?
सागर: उसका नाम उज्ज्वल था और वह अब मेरे टच में भी नहीं है।
प्रेम: तो कभी उसे बताया था अपने बारे में?
सागर: वह मेरा एक अच्छा दोस्त था और मुझे उस पर भरोसा था कि वह मेरी बात को समझेगा, इसलिए मैंने हिम्मत करके उसे सब बताया। लेकिन उसके बाद से वह धीरे-धीरे बदलने लगा। उसने बात करना कम कर दिया और फिर एक दिन उसने मुझसे दोस्ती तोड़ ली।
प्रेम: और बताओ उसके बारे में।
सागर: अब मेरी बात मत सुनो, अब तुम अपनी बताओ।
प्रेम: पूछो तुम।
सागर: तुम्हें सबसे पहले कौन पसंद आई थी?
प्रेम: मुझे तो पहला प्यार सेकंड क्लास में ही हो गया था।
सागर: मतलब?
प्रेम: मुझे मेरी क्लास टीचर बहुत अच्छी लगती थी और इसलिए मैं रोज स्कूल जाता था।
सागर: आगे का मुझे पता है कि उनकी शादी हो गई और तुम्हारा दिल टूट गया होगा।
प्रेम: हां, यही हुआ था।
सागर: और उसके बाद कभी दुबारा कोई अच्छी नहीं लगी?
प्रेम: देखो सागर, तुम चौंकना मत। लेकिन क्लास टीचर के बाद जब मैं बारहवीं में था तब मुझे मेरे पीटी टीचर अच्छे लगते थे।
सागर: रुको, रुको जरा। इसका क्या मतलब हुआ?


बाकी अगले भाग में.......
मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

बहुत सुंदर लिखा है आपने सर 👌 आप मेरी कहानी प्रतिउतर और प्यार का प्रतिशोध पर अपनी समीक्षा जरूर दें 🙏🙏

18 जून 2024

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रचनाएँ
प्रेम का सागर
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ये कहानी एक प्रेम कहानी है जो अन्य सभी कहानी की तरह ही है लेकिन इसके किरदार सामान्य नहीं हैं। इस कहानी में एक ऐसे मुद्दे के बारे में बात की गई है जिसके बारे में ना ही कोई बात करना चाहता है और न कोई लिखना। ये कहानी समलैंगिक प्रेम पर आधारित है और इस कहानी का उद्देश्य समलैंगिकता के प्रति गलत मानसिकता को खत्म करना है । जो भी व्यक्ति इस पुस्तक को अपनी लाइब्रेरी में जोड़े कृपया अपना नाम कॉमेंट में या समीक्षा में अवश्य लिख दे जिससे मुझे प्रोत्साहन मिले
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परिचय.....

22 जनवरी 2023
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यह कहानी है दो लडकों की एक का नाम प्रेम और दूसरे का सागर दोनो एक दूसरे से अंजान थे दोनो अपनी जिंदगी को अपने ढंग से जी रहे थे लेकिन तब तक जब तक वो मिले नहीं और जिस दिन मिले तब से दोनो की जिंदगी जीने का

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पहली मुलाकात.....

22 जनवरी 2023
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प्रेम और सागर की पहली मुलाकात सागर के ऑफिस में हुई थी। प्रेम जो एक नौकरी की तलाश कर रहा था वो उस दिन उसी कम्पनी में इन्टरव्यू के लिए जा रहा था जो सागर के पिता की थी। प्रेम सही समय पर ऑफिस पहुंच गया था

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नौकरी का पहला दिन

28 मई 2024
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प्रेम की मां : प्रेम जल्दी उठ जा ऑफिस को लेट हो जाएगा और वैसे भी आज ऑफिस का पहला दिन है उठ जा बेटा ।प्रेम: बस मां दो मिनट और सोने दो अभी आठ भी नहीं बजे मां। प्रेम की मां: तू आठ बोल रहा है सही से

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घर तक का सफर

28 मई 2024
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सागर ने मुस्कुराते हुए कहा : "क्या हुआ? अब चुप क्यों हो गए? बताओ कौन अंधा है? लेकिन पहले तुम कार में जल्दी बैठो, नहीं तो और भीग जाओगे।"प्रेम: नहीं सर आप जाओ मैं चला जाऊंगा। सागर : लगता है त

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प्रेम की पहली मीटिंग

9 जून 2024
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प्रेम घर आकर अपने कमरे में बैठा था और सागर के साथ हुई बातचीत के बारे में सोच रहा था। उसे यह अहसास हो रहा था कि सागर सिर्फ एक सख्त बॉस नहीं है, बल्कि उसके अंदर भी संवेदनशीलता और भावनाएं हैं। उधर, सागर

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खीर का स्वाद

12 जून 2024
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अगली सुबह प्रेम जल्दी उठ जाता है और मां के पास जाकर कहता है, "मां, आपको आपके जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई! आप हमेशा खुश रहो और मेरा हमेशा ध्यान रखो।"प्रेम की मां कहती हैं, "बेटा, मैं कब तक तेरा ध्यान रखू

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खाने का बुलावा

17 जून 2024
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प्रेम की मां बाहर आकर देखती हैं कि प्रेम के साथ कोई आया है। प्रेम की मां प्रेम से पूछती हैं: "ये तुम्हारे सागर सर हैं क्या?" प्रेम: "हाँ, वही हैं।" सागर: "आंटी जी, नमस्ते और हाँ! आपको आपके जन्मदि

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मन की बात....

17 जून 2024
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अगले दिन प्रेम सुबह के नौ बजे तक सो रहा होता है कि प्रिया जोर से आवाज लगाती है: "उठ जाओ आलसी, ऑफिस को लेट हो जाओगे वरना।"प्रेम हड़बड़ाकर उठता है और प्रिया से कहता है: "अरे आज क्या मैं फिर लेट उठा हूं?

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अनकहे किस्से

18 जून 2024
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सागर: मैं डरता हूं कि अगर बता दूंगा तो तुम्हें खो दूंगा।प्रेम: मतलब?सागर: अभी इस बात का सही समय नहीं है। जब सही समय आएगा तब बता दूंगा।प्रेम: सागर, तुम तो ऐसे बोल रहे हो जैसे कोई लड़का किसी लड़की से यह

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अनकहे किस्से भाग _2

19 जून 2024
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प्रेम: इसका मतलब हुआ कि मुझे पीटी टीचर अच्छे लगते थे।सागर: मतलब तुम भी...प्रेम: नहीं, मेरा उनके प्रति बस एक खिंचाव था।सागर: मतलब?प्रेम: वो अच्छे थे, उनसे बात करना मुझे पसंद था। लेकिन उनके लिए कुछ ज़्य

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वृद्धाश्रम में दादी

23 जून 2024
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अगली सुबह होती है। प्रेम और सागर गहरी नींद में सो रहे थे। थोड़ी देर बाद प्रेम की आंख खुलती है। प्रेम सागर को अपने बगल में सोता हुआ देखता है। प्रेम लेटे हुए ही सागर को देखता रहता है और सोचता है कि सागर

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प्रेम का दूसरा इंटरव्यू

30 जून 2024
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अगली सुबह हुई, सोमवार का दिन था। प्रेम समय से ऑफिस पहुंच गया। मिली भी ऑफिस पहुंच गई थी। प्रेम ने मिली को देखा और उसके पास जाकर बोला: "गुड मॉर्निंग मिली।"मिली: "वैरी गुड मॉर्निंग प्रेम।"प्रेम: "कैसी हो

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दिल की बातें....एक राज़।

9 जुलाई 2024
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सागर के पापा गुस्से में: सागर तुम यहाँ क्या कर रहे हो?सागर: पापा, वो लंच कर रहा हूँ।प्रेम: वो मैंने ही जोर दिया था।सागर के पापा: प्रेम, तुमसे बात पूछी मैंने, और सागर, तुम्हें पता है मुझे ये सब पसंद नह

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प्यार की शुरुआत

10 जुलाई 2024
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प्रेम घर जाकर बाइक आंगन में खड़ी कर रहा होता है कि प्रेम की मां, जो प्रेम का इंतजार कर रही थी, उसे आता देख बाहर आ जाती है और पूछती है, "आज तुम देर से घर आ रहे हो, काम ज्यादा था क्या?"प्रेम: "हां मां।"

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रूठना मनाना

14 अगस्त 2024
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थोड़ी देर बाद सागर के पापा भी ऑफिस आ जाते हैं और अनुज से पता चलता है कि प्रेम आज सागर सर के साथ उनकी कार में ऑफिस आया था। इतना सुनने के बाद वे गुस्से में सागर के पास जाते हैं, जहां प्रेम पहले से ही मौ

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बिखरी खुशियां

14 अगस्त 2024
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प्रेम: "तो चलो मिली, आज मेरे घर चलो। मेरी माँ के हाथ का खाना खाओ, तुम्हें मज़ा आ जाएगा।"सागर: "हाँ मिली, आंटी बहुत अच्छा खाना बनाती हैं, तुम्हें ज़रूर चलना चाहिए।"मिली: "लेकिन..."प्रेम: "लेकिन-वेकिन क

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मीटिंग का दिन

20 अगस्त 2024
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अगली सुबह प्रेम जल्दी उठ जाता है और नासिक जाने के लिए तैयार होता है। उधर सागर भी तैयार होकर प्रेम को फोन करता है। प्रेम फोन उठाकर: "हां सागर, बोलो।"सागर: "नासिक चलने के लिए तैयार हो?"प्रेम: "हां, बिल्

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ख्यालों की दुनियां

21 अगस्त 2024
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होटल पहुंचकर सागर रिसेप्शन से कमरे की चाबी लेता है, जिस पर लिखा होता है "आठवीं मंजिल, कमरा नंबर 86"। सागर चाबी लेकर प्रेम से लिफ्ट में चलने को कहता है और फिर दोनों लिफ्ट से अपने कमरे तक पहुंच जाते हैं

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खेल खेल में......

25 अगस्त 2024
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दोनों ने सवालों का खेल शुरू किया।सागर: "तो, पहले तुम सवाल पूछो।"प्रेम: "ठीक है, लेकिन याद रखना, सब सच बोलना होगा। न कोई सवाल बदला जाएगा और न ही जवाब देने से मना किया जाएगा।"सागर: "चलो ठीक है, पूछो।"प्

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प्यार का इजहार

28 अगस्त 2024
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प्रेम अब अच्छे से समझ चुका था कि वह सागर के प्रति अपने प्यार को जबरदस्ती रोक रहा था, जबकि सागर उसे सच्चे दिल से प्यार करता है। इसलिए, प्रेम ने अब मन बना लिया था कि वह सागर से अपने प्यार का इज़हार करके

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नासिक का दूसरा दिन

2 अक्टूबर 2024
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अगली सुबह सागर की आँख खुलती है। वह देखता है कि प्रेम उसके पास सो रहा है। यह देखकर सागर के मन में एक अनोखी खुशी होती है। वह देखता है कि अब बारिश रुक चुकी है और खिड़की से सुबह की सूरज की किरणें प्रेम के

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ऑफिस में वापसी

4 अक्टूबर 2024
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सुबह सात बजे तक दोनों प्रेम के घर वापस आ जाते हैं। प्रेम देखता है कि उसकी मां खाना बना रही थी, और चाची पूजा करके तुलसी के पौधे में जल चढ़ा रही थीं। प्रेम और सागर को देख कर प्रेम की मां खुश हो जाती हैं

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