सागर: तुम मुझे गलत मत समझना।
प्रेम: अब तुम कुछ नहीं बोलोगे और बस कार चलाओगे।
सागर: तुम गीले हो गए हो और बाहर बारिश भी हो रही है। अभी हम कैसे घर जाएंगे?
प्रेम: मुझे नहीं पता। तुम जैसे लेकर आए थे, वैसे लेके चलो।
सागर: ठीक है, चलते हैं।
दोनों दो घंटे में वापस आ जाते हैं। आते समय न प्रेम कुछ बोला और न सागर। यह पहली बार था कि दोनों इतनी देर तक चुप रहे हों। सागर कार प्रेम के घर के सामने रोकता है। यह देखकर प्रेम कहता है: घर के सामने ही रोकनी जरूरी थी? अब मां बाहर आ जाएगी।
सागर: लो, आ गईं।
प्रेम: मर गए।
प्रेम और सागर कार से बाहर आते हैं। सागर, प्रेम की मां को देखकर: आंटी जी, नमस्ते।
प्रेम की मां: कितनी देर हो गई है? तुम दोनों कहां गए थे? और ऊपर से भीगे हुए भी हो। चलो अंदर और अपने कपड़े बदलो।
सागर: अच्छा, आंटी, मैं घर को चलता हूं।
प्रेम: हां, ठीक है।
प्रेम की मां: क्या ठीक है? सागर, तुम कहीं नहीं जाओगे। इतनी रात हो गई है और तुम भीगे हुए भी हो। तुम अंदर चलो और आज रात यहीं रुको।
प्रेम: मां, ये यहां कैसे?
प्रेम की मां: क्यों, क्या दिक्कत है?
प्रेम: इन्हें हमारे यहां रहने की आदत नहीं है।
सागर: ऐसी कोई बात नहीं है।
प्रेम की मां: बस, तो ठीक है। तुम आज यहीं रहोगे। अपने घर फोन करो और बता दो कि चिंता न करें।
सागर: मेरी चिंता कोई नहीं करेगा।
तीनों घर के अंदर आ जाते हैं। प्रेम की मां कहती हैं: सागर, तुम ये कपड़े बदल लो और प्रेम की अलमारी से कोई भी कपड़े पहन लो।
प्रेम: मां, मेरे कपड़े हैं वो।
सागर: तो क्या हुआ? मुझे कोई परेशानी नहीं है इसमें।
प्रेम की मां: मैं जल्दी से खाना लाती हूं। तुम दोनों खाकर ही सोना। और हां, सागर, तुम आज प्रेम के कमरे में सो जाना।
प्रेम: अब ये सोएंगे भी मेरे ही कमरे में? ये क्या बात हुई?
प्रेम की मां: तुम्हें ज्यादा परेशानी हो रही है तो नीचे हॉल में ही सो जा।
प्रेम: मैं तो अपने कमरे में ही सोऊंगा।
सागर: मैं भी वहीं सोऊंगा।
फिर दोनों कपड़े बदलकर खाना खाते हैं और प्रेम के कमरे में सोने चले जाते हैं।
प्रेम: देखो, मैं बेड पर सोऊंगा और तुम कहां सोने वाले हो?
सागर: मुझे बेड पर ही नींद आती है, तो मुझे बेड पर सोने दो।
प्रेम: ऐसे कैसे?
सागर: मैं तुम्हारा बॉस हूं, इतना तो कर सकते हो मेरे लिए।
प्रेम: बस यही आदत मुझे तुम्हारी पसंद नहीं है। हर जगह अपना बॉस वाला झंडा लेके आ जाते हो। मुझे नहीं करनी ऐसी दोस्ती जिसमें जब मन किया दोस्त बना लिया और जब मन किया खुद बॉस बन गए।
सागर: अरे, अरे, इतना गुस्सा किस बात पर हो?
प्रेम: मुझे भी पता नहीं। मुझे बस थोड़ा समय दो। इतने कम समय में इतना सब कुछ हो रहा है, इस वजह से मैं ऐसा बर्ताव कर रहा हूं।
सागर: मुझे तुमसे कोई परेशानी नहीं है। लेकिन मुझे बेड पर ही सोना है।
प्रेम: ठीक है, सो जाओ।
सागर: प्रेम को गले लगाकर: थैंक यू सो मच, तुम कितने अच्छे हो।
प्रेम: हां, हां, बस ठीक है।
सागर: ओह, सॉरी, तुमसे दूर रहना है, मैं भूल गया था।
दोनों बिस्तर पर लेट जाते हैं, लेकिन नींद किसी को भी नहीं आ रही थी। दोनों दीवारें देख रहे थे। थोड़ी देर बाद सागर प्रेम से बोलता है: क्या तुम सो गए हो?
प्रेम: अभी नहीं।
सागर: तो क्या सोच रहे हो?
प्रेम: मुझसे तो तुम कुछ ना ही पूछो तो अच्छा होगा।
सागर: क्यों? मैंने क्या किया? तुमने ही तो बोला था जो दिल में है, बताओ।
प्रेम: लेकिन मुझे खुशी है कि तुमने मुझसे सच बोला। मुझमें तो इतनी हिम्मत भी नहीं है कि किसी से सच बोल सकूं।
सागर: मतलब?
प्रेम: कुछ नहीं।
सागर: मैं जिद नहीं करूंगा बताने के लिए। तुम्हें जब मन हो, बता देना।
प्रेम: तुम्हारा क्या मतलब है मैंने जिद करी थी?
सागर: और क्या? वरना मैं कभी तुम्हें नहीं बताता।
प्रेम: कोई बात नहीं। तुम्हें मैं जैसा भी लगता हूं, उससे मुझे मतलब नहीं। मेरे लिए तो तुम मेरे बस बॉस हो।
सागर: और दोस्त?
प्रेम: हां, हो।
थोड़ी देर तक दोनों शांत होकर अपने दिमाग में सोचते रहते हैं। तभी प्रेम सागर से पूछता है: अच्छा, तुम्हें कब पता चला?
सागर: किस बारे में?
प्रेम: यही कि तुम्हें कौन पसंद है?
सागर: जिस उम्र में सबको पता चलता है, उसी समय।
प्रेम: तो तुम्हें अजीब नहीं लगा क्योंकि तुम सब लोगों से अलग थे?
सागर: शुरू-शुरू में मुझे अजीब लगा, लेकिन फिर इसके बारे में पढ़ा, तब समझ आया इसमें कुछ अजीब है ही नहीं।
प्रेम: तो सबसे पहले कौन पसंद आया था?
सागर: जब मैं स्कूल में था तब मेरे साथ एक लड़का था, वह।
प्रेम: क्या मैं उसका नाम जान सकता हूं?
सागर: उसका नाम उज्ज्वल था और वह अब मेरे टच में भी नहीं है।
प्रेम: तो कभी उसे बताया था अपने बारे में?
सागर: वह मेरा एक अच्छा दोस्त था और मुझे उस पर भरोसा था कि वह मेरी बात को समझेगा, इसलिए मैंने हिम्मत करके उसे सब बताया। लेकिन उसके बाद से वह धीरे-धीरे बदलने लगा। उसने बात करना कम कर दिया और फिर एक दिन उसने मुझसे दोस्ती तोड़ ली।
प्रेम: और बताओ उसके बारे में।
सागर: अब मेरी बात मत सुनो, अब तुम अपनी बताओ।
प्रेम: पूछो तुम।
सागर: तुम्हें सबसे पहले कौन पसंद आई थी?
प्रेम: मुझे तो पहला प्यार सेकंड क्लास में ही हो गया था।
सागर: मतलब?
प्रेम: मुझे मेरी क्लास टीचर बहुत अच्छी लगती थी और इसलिए मैं रोज स्कूल जाता था।
सागर: आगे का मुझे पता है कि उनकी शादी हो गई और तुम्हारा दिल टूट गया होगा।
प्रेम: हां, यही हुआ था।
सागर: और उसके बाद कभी दुबारा कोई अच्छी नहीं लगी?
प्रेम: देखो सागर, तुम चौंकना मत। लेकिन क्लास टीचर के बाद जब मैं बारहवीं में था तब मुझे मेरे पीटी टीचर अच्छे लगते थे।
सागर: रुको, रुको जरा। इसका क्या मतलब हुआ?
बाकी अगले भाग में.......