प्रेम अब अच्छे से समझ चुका था कि वह सागर के प्रति अपने प्यार को जबरदस्ती रोक रहा था, जबकि सागर उसे सच्चे दिल से प्यार करता है। इसलिए, प्रेम ने अब मन बना लिया था कि वह सागर से अपने प्यार का इज़हार करके उसके साथ अपने रिश्ते की शुरुआत करे। प्रेम के दिमाग में यही सब बातें चल रही थीं कि सागर को अपने दिल की बात कैसे बताई जाए। तभी दरवाजे की घंटी बजती है।
सागर: लगता है हमारा ऑर्डर आ गया।
प्रेम: तुम रुको, मैं लेकर आता हूँ।
प्रेम जाकर दरवाजा खोलता है और खाने का ऑर्डर लेकर कमरे में वापस आ जाता है। सागर प्रेम के हाथ से खाना लेकर टेबल पर रख देता है और प्रेम को खाने के लिए कहता है।
प्रेम: तुम कब खाओगे?
सागर: तुम खा लो, मुझे अभी भूख नहीं है।
प्रेम: ऐसा कुछ नहीं है, चलो बैठो और पहले खाना खाओ।
सागर: क्या बात है? तुम पहली बार मुझ पर हुक्म चला रहे हो।
प्रेम: जो भी समझो, लेकिन मैं अकेले खाना खाने नासिक नहीं आया हूँ।
सागर: अच्छा, ऐसी बात है तो चलो, खाते हैं।
दोनों खाना खाने के लिए बैठते हैं और खाना शुरू करते हैं। सागर पहला निवाला तोड़कर रुक जाता है और देखता है कि प्रेम खाना नहीं खा रहा है और कुछ सोच रहा है। इस पर सागर प्रेम से पूछता है:
सागर: क्या हुआ? क्या सोच रहे हो?
प्रेम: कुछ नहीं। (कहकर) एक निवाला तोड़कर सागर की तरफ बढ़ाता है।
सागर प्रेम को देखता है और सोचता है कि प्रेम पहली बार बिना बोले अपने हाथ से खाना खिला रहा है।
प्रेम: ज़्यादा मत सोचो, खाओ।
सागर प्रेम के हाथ से खाना खा लेता है और इसी तरह प्रेम और सागर एक-दूसरे को अपने हाथों से खाना खिलाते हैं।
खाना खाने के बाद, दोनों ने बाहर देखा कि बारिश अभी भी हो रही है। अब दोनों ने सोचा कि आज तो बाहर घूमने नहीं जा सकते, तो प्रेम ने सागर से कहा:
प्रेम: चलो, आज यहीं टीवी पर फिल्म देखते हैं।
सागर: फिल्म, वो भी टीवी पर?
प्रेम: हाँ, बिल्कुल।
सागर: कौन सी?
प्रेम: जो टीवी पर आ रही होगी।
सागर: ठीक है, चलो देखते हैं, शायद कोई अच्छी मूवी आ रही हो।
प्रेम ने टीवी चालू किया और फिल्मी चैनलों में कोई अच्छी फिल्म ढूंढने लगा।
प्रेम: तुम कौन सी फिल्में देखते हो?
सागर: कभी-कभी कॉमेडी वाली और कभी रोमांटिक भी।
प्रेम: तो हम अभी कॉमेडी फिल्म देखेंगे।
सागर: तुम कोई भी चला दो, मैं देख लूंगा।
प्रेम एक चैनल पर कॉमेडी फिल्म ढूंढकर देखने लगा। सागर भी थोड़ी देर देखता है, और फिर दोनों को उस फिल्म में रुचि आने लगती है। दोनों बिस्तर पर थोड़ी दूरी पर बैठे थे, लेकिन फिल्म देखते-देखते और हंसते-हंसते दोनों कब एक-दूसरे के पास आ गए, उन्हें पता ही नहीं चला। दोनों इस बात से बेफिक्र थे कि वे एक-दूसरे के बहुत करीब आ गए हैं।
सागर को अचानक याद आया कि वह प्रेम के कुछ ज्यादा करीब आ गया है और कहीं प्रेम असहज न महसूस करने लगे, इसलिए सागर थोड़ा सा प्रेम से दूर खिसकने की कोशिश करता है। लेकिन प्रेम सागर को अपने पास खींच लेता है और वहीं बैठने का इशारा करता है। सागर प्रेम के स्वभाव में बदलाव देखकर खुश होता है और समझ जाता है कि प्रेम भी अब उसे अपनाने के लिए तैयार है। लेकिन अभी उसे इस बात का पक्का यकीन नहीं था, इसलिए वह प्रेम के मुंह से खुद इस बात की पुष्टि करवाना चाहता था।
फिल्म खत्म होते ही सागर बिस्तर से उठकर खिड़की के पास जाकर खड़ा हो गया।
प्रेम: क्या हुआ, तुम वहाँ क्यों खड़े हो गए?
सागर: बस ऐसे ही।
प्रेम (बिस्तर पर बैठे हुए): बताओ, क्या सोच रहे हो?
सागर: प्रेम, मैं ये सोच रहा हूँ कि आज का दिन मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा दिन था, और देखो, यह कितनी जल्दी खत्म होने को आया है।
प्रेम: तुम और मैं कितनी भी कोशिश करें, तब भी हम इस समय को नहीं रोक सकते।
सागर: यही तो। हम दोनों कल शाम को फिर अपनी उसी दुनिया में वापस चले जाएंगे, जहाँ मैं बॉस और तुम मेरी कंपनी के एक एम्प्लॉई हो। मेरे बस में होता तो सब छोड़कर तुम्हारे साथ रहता।
प्रेम: तुम क्या चाहते हो, हम दोनों यहीं रहें हमेशा के लिए?
सागर: नहीं, मैं बस ये चाहता हूँ कि तुम और मैं दुनिया के सामने मालिक और कर्मचारी की तरह न रहें।
प्रेम, सागर के पास जाकर खड़ा हो जाता है और कहता है: इतना मत सोचा करो।
सागर: कैसे न सोचूँ? मैं तुमसे प्यार करता हूँ, लेकिन तुम्हें मेरे प्यार की कोई परवाह नहीं है।
प्रेम: ऐसा किसने कहा तुमसे?
सागर समझ गया कि इतना काफी है अभी के लिए और फिर सागर बात को घुमा देता है और कहता है: अगर मेरे प्यार की इतनी ही परवाह है, तो मुझे बेड पर सोने दो।
प्रेम: बस इतनी सी बात है, जाओ सो जाओ, लेकिन मैं कहाँ सोऊँगा?
सागर इसी सवाल का इंतजार कर रहा था कि प्रेम पूछे। सागर मन ही मन यही चाहता था कि प्रेम उसके पास ही सोए, लेकिन प्रेम से उसके दिल की सच्चाई भी तो जाननी थी। इसलिए सागर ने प्रेम से कहा: तुम सोफे पर सो जाओ।
प्रेम को लगा था कि सागर उसे अपने साथ सोने के लिए कहेगा, लेकिन वह ऐसा कुछ नहीं बोला, और प्रेम खुद से बोलने में हिचकिचा रहा था कि उसे भी बिस्तर पर सोना है। लेकिन प्रेम, सागर को कुछ नहीं बोल पाया।
प्रेम (बनावटी ढंग से): हाँ, हाँ, ठीक है। वैसे भी तुम्हारे साथ सोने का मन भी नहीं है।
इतना कहकर प्रेम बिस्तर से एक तकिया और एक चादर लेकर सोफे पर रख देता है। सागर ये सब देखकर चुपचाप बिस्तर पर जाकर लेट जाता है और कहता है:
सागर: बिस्तर पर अकेले सोने का अलग ही मजा है। प्रेम, तुम्हें तो सोफे पर नींद आ जाती होगी?
प्रेम: हाँ, आ जाती है।
सागर समझ जाता है कि प्रेम को अब गुस्सा आ रहा है, इसलिए वह चुप होकर सोने का बहाना करने लगता है।
प्रेम भी बेमन से सोफे पर लेट जाता है। करीब दो घंटे बीत चुके थे, लेकिन दोनों में से किसी को नींद नहीं आ रही थी। दोनों बस एक-दूसरे को दिखाने के लिए सोने का बहाना कर रहे थे। फिर सागर को नींद आ जाती है और वह सो जाता है, लेकिन प्रेम की आँखों से नींद कोसों दूर थी। वह कभी दीवारों को देख रहा था और कभी लेटे-लेटे सागर को।
नींद का इंतजार करते-करते रात के दो बज चुके थे, लेकिन प्रेम की आँखों में नींद नहीं थी। अब प्रेम खुद को रोक नहीं पा रहा था। बाहर बारिश भी तेज हो रही थी। प्रेम सोफे से उठता है और सागर के पास जाकर उसे देखता है। सागर को सोता हुआ देखकर प्रेम को सागर पर बहुत प्यार आता है। उसे सागर सोते हुए बहुत मासूम लग रहा था। उसका मन करता है कि वह सागर के पास सो जाए, लेकिन वह वापस सोफे पर जाकर बैठ जाता है और थोड़ी देर सोचता है कि आखिर सागर भी तो उससे प्यार करता है। अगर मैं उसके पास सो भी जाऊँ, तो भी वह बुरा नहीं मानेगा।
बस इतना सोचकर प्रेम फटाफट अपना तकिया और चादर लेकर बिस्तर पर लेट जाता है। थोड़ी देर लेटे रहने के बाद भी प्रेम को नींद नहीं आ रही थी। उसका ध्यान बार-बार सागर की तरफ ही जा रहा था, जो दूसरी तरफ करवट लेकर सो रहा था। प्रेम खुद को बहुत रोकने की कोशिश करता है, लेकिन आखिरकार हार मानकर सागर को पीछे से बाहों में भर लेता है।
सागर की नींद खुलती है, और वह समझ जाता है कि प्रेम खुद को रोक नहीं पाया। सागर प्रेम के हाथ को अपने हाथ से कसकर पकड़ लेता है और प्रेम का दिल थम सा जाता है।
प्रेम को समझ नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करे। इतने में सागर करवट बदलकर प्रेम की तरफ मुंह करके लेट जाता है। प्रेम सागर के सामने ऐसे दिखाता है जैसे वह सो रहा हो। सागर प्रेम को देखता रहता है और प्रेम के आंख खुलने का इंतजार करता है। प्रेम अपनी एक आंख को हल्की सी खोलकर देखता है तो सागर हंसकर कहता है, “कितने बड़े ड्रामेबाज हो तुम।”
प्रेम: “मैं क्या करूं, मुझे वहां सोफे पर नींद नहीं आ रही थी, इसलिए यहां बिस्तर पर आ गया सोने।”
सागर: “सोने आए थे तो सोते, मुझे क्यों पकड़ रहे थे?”
प्रेम ने सोच लिया कि अब बोलना सही रहेगा, इसलिए वह बोला, “मुझे तुम्हारे साथ सोना था।”
सागर: “मेरे साथ क्यों?”
प्रेम: “क्योंकि तुम मुझे पसंद हो।”
सागर: “ऐसे तो तुम भी मुझे पसंद हो, तो क्या मैंने कभी तुम्हारे साथ ऐसा किया है? बताओ, क्यों किया तुमने ऐसा?”
प्रेम हड़बड़ाहट में बोलता है, “क्योंकि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं और मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहना चाहता हूं।”
सागर प्रेम की यह बात सुनकर खुश हो जाता है और कहता है, “बस यही तो सुनना था तुमसे। आखिरकार, तुमने बोल ही दिया।” सागर प्रेम को गले से लगा लेता है और कहता है, “बस आज के बाद तुम अपने दिल की सारी बात मुझसे कह सकते हो।”
प्रेम को सागर के साथ बहुत अच्छा अहसास हो रहा था, तो प्रेम ने सागर से कहा, “क्या तुम मेरे साथ एक प्यार के रिश्ते में रहना पसंद करोगे?”
सागर: “अरे पागल, ऐसे नहीं पूछते। देख, मैं पूछूंगा, तुम जवाब देना।”
प्रेम: “तुमसे सीधा तू पर आ गए।”
सागर: “हां, थोड़ी देर के लिए तू भी चलेगा। अब सुन, ‘प्रेम, क्या तुम मेरे बॉयफ्रेंड बनोगे?’”
प्रेम: “तो गर्लफ्रेंड कौन होगा?”
सागर: “तू सवाल मत पूछ, जवाब दे।”
प्रेम: “हां, बिल्कुल बनूंगा।”
सागर: “तो मैं तुमसे कहना चाहता हूं कि ‘आई लव यू प्रेम’। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं।”
प्रेम: “मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूं। ‘आई लव यू टू सागर’।”
प्रेम और सागर अपने प्यार का इजहार करने के बाद एक-दूसरे में खो गए। सागर: “एक बात बताओ, ऐसा कौन सा इंसान है जो अपने प्यार का इजहार रात के तीन बजे करता है?”
प्रेम: “हम दोनों करते हैं।”
सागर: “यह यादगार पल है मेरे लिए। क्या मैं तुम्हारे साथ कुछ तस्वीरें ले सकता हूं जो हमारी यादों के लिए रखी जाएं?”
प्रेम: “यह तो मस्त सुझाव है।”
उसके बाद दोनों ने अपनी कुछ यादगार तस्वीरें लीं और एक-दूसरे के साथ सो गए।
बाकी का अगले भाग में......