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नासिक का दूसरा दिन

2 अक्टूबर 2024

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अगली सुबह सागर की आँख खुलती है। वह देखता है कि प्रेम उसके पास सो रहा है। यह देखकर सागर के मन में एक अनोखी खुशी होती है। वह देखता है कि अब बारिश रुक चुकी है और खिड़की से सुबह की सूरज की किरणें प्रेम के चेहरे पर पड़ रही हैं। सागर जल्दी से उठकर खिड़की की ओर जाता है और पर्दे से उसे ढक देता है। फिर वापस बिस्तर पर आकर दोनों के लिए चाय ऑर्डर करता है। इसके बाद सागर बिस्तर पर कमर टिकाकर बैठ जाता है और अपना फोन चलाने लगता है।

प्रेम की नींद खुलती है और वह देखता है कि सागर पहले से ही जाग चुका है। इसलिए प्रेम बड़े प्यार से सागर की गोद में अपना सिर रख देता है। सागर प्रेम को अपनी गोद में देखकर मुस्कुरा देता है और अपना फोन एक तरफ रखकर प्रेम के सिर पर हाथ फेरते हुए कहता है: "नींद पूरी नहीं हुई अब तक?"

प्रेम: "बस थोड़ी देर ऐसे ही सोना है।"

सागर: "तुम अभी बहुत प्यारे लग रहे हो।"

प्रेम की ओर देखते हुए वह कहता है: "तुम भी।"

सागर: "लेकिन एक बात बताओ, रात के तीन बजे तुम्हें क्या हो गया था?"

प्रेम: "कुछ नहीं, बस जो दिल में था, बता दिया। लेकिन शायद मेरा बताने का तरीका सही नहीं था।"

सागर: "ऐसा कुछ नहीं है, सब सही था। मुझे वही समझ आया जो तुम कहना चाहते थे।"

प्रेम: "तो इसका मतलब अब हम दोनों दोस्त नहीं रहे?"

सागर: "हैं भी और नहीं भी।"

प्रेम: "अभी ये सब समय पर छोड़ देते हैं।"

सागर: "थोड़ी देर में चाय आ जाएगी, तुम जल्दी से उठो और नहा लो।"

प्रेम: "क्यों?"

सागर: "हम थोड़ी देर बाद घूमने चलेंगे।"

प्रेम: "ठीक है।"

इसके बाद दोनों नहा लेते हैं, तैयार होकर चाय पीते हैं और फिर कार में बैठकर होटल से बाहर घूमने निकल जाते हैं। दोनों दिनभर एक-दूसरे के साथ हंसी-मजाक करते हुए घूमते हैं, बहुत सारी तस्वीरें खींचते हैं और वे तस्वीरें प्रिया और मिली को भेजते हैं।

शाम होने पर जब दोनों कार से उतरकर होटल के अंदर लौट रहे होते हैं, तभी एक लड़का प्रेम से टकरा जाता है। सागर प्रेम को संभालता है, लेकिन तब तक वह लड़का प्रेम से लड़ने लगता है।

लड़का: "तुम्हें दिखाई नहीं देता?"

प्रेम: "अजीब इंसान हो, अंधों की तरह तुम चल रहे हो और मुझे बोल रहे हो।"

सागर उस लड़के को देखकर सोचता है कि शायद मैं इससे पहले कभी मिला हूं। फिर सागर प्रेम से कहता है: "शांत हो जाओ, मैं बात करता हूं।"

सागर की आवाज सुनकर वह लड़का सागर को पहचान लेता है और कहता है: "तुम सागर हो, क्या?"

सागर: "हां, और तुम?"

लड़का: "इतनी जल्दी भूल गए? मैं उज्ज्वल।"

सागर उज्ज्वल का नाम सुनकर चौंक जाता है, क्योंकि यह वही उज्ज्वल था, जो उसके साथ स्कूल में पढ़ता था।

सागर (गुस्से में): "तुम्हें कैसे भूल सकता हूँ? तुमने ही सबसे ज्यादा मेरा मजाक उड़ाया था।"

उज्ज्वल: "तुम बचपन की बात अभी तक दिल से लगाए बैठे हो?"

सागर: "बचपन की बात? तुमने क्या-क्या नहीं कहा था मुझे।"

उज्ज्वल: "अब बस भी करो। इतने दिनों बाद मिले हैं, ये बताओ, तुम्हारे पापा कैसे हैं?"

सागर: "वो ठीक हैं।"

उज्ज्वल: "तुम यहाँ नासिक में हो और ये तुम्हारे साथ कौन है? तुम्हारा कोई नया बॉयफ्रेंड है क्या?"

प्रेम (गुस्से में): "ये बात करने का कौन-सा तरीका है तुम्हारा?"

सागर: "उज्ज्वल, तू अभी तक नहीं सुधरा।"

उज्ज्वल: "मैंने क्या गलत कहा? तुम्हें लड़के पसंद हैं, तो मुझे लगा कि तुम दोनों के बीच कुछ चल रहा होगा।"

प्रेम (उज्ज्वल से): "देख भाई, तुम्हारा नाम कुछ भी हो, मुझे उससे कोई मतलब नहीं है। लेकिन एक बात ध्यान से सुन लो और समझ लो, सागर को लड़के पसंद हों या लड़कियाँ, ये तुम्हारा मामला नहीं है। और जहाँ तक हमारी बात है, सागर मेरे बॉस हैं और मैं उनकी कंपनी में काम करता हूँ। हम कंपनी की मीटिंग के सिलसिले में नासिक आए हैं, बस और कुछ नहीं।"

उज्ज्वल: "कोई बात नहीं, शायद मुझसे ही समझने में गलती हो गई। लेकिन सागर, तूने पहले अपने बारे में बताया था, तो मुझे लगा अब तक तू सबके सामने आ चुका होगा।"

सागर: "नहीं, ऐसा कुछ नहीं है। वो सब बचपन का बचपना था, और कुछ नहीं।"

उज्ज्वल: "चलो, कोई बात नहीं। मैं भी एक-दो दिन में तुम्हारे शहर ही आ रहा हूँ किसी से मिलने के लिए। फिर मिलते हैं।"

सागर (बेमन से): "ठीक है, मिलते हैं।"

इसके बाद उज्ज्वल वहाँ से चला जाता है।

प्रेम (सागर से): "ये कैसा इंसान था? न बात करने की तमीज़ और न चलने की। ऐसे इंसान पर तुम फिदा थे?"

सागर: "वो शुरू में था, तब इतनी समझ नहीं थी। बस सूरत पर मरता था। लेकिन समय के साथ पता चला कि सूरत से प्यार करना बेकार है, प्यार उसे करो जो तुम्हारे व्यक्तित्व से प्यार करे।"

प्रेम: "बस ज्ञानी बाबा, अब चलो।"

(दोनों अपने होटल के कमरे में वापस आ जाते हैं। दोनों थककर बिस्तर पर लेट जाते हैं।)

सागर: "प्रेम, बस कुछ घंटे और हैं हमारे पास। फिर हमें बात करने के लिए भी समय और जगह ढूँढनी पड़ेगी।"

प्रेम: "तुम तो ऐसे बोल रहे हो, जैसे मैं वहाँ जाकर सब कुछ भूल जाऊँगा।"

सागर: "भूलने भी नहीं दूँगा।"

प्रेम: "अच्छा, एक बात बताओ, ये उज्ज्वल अगर तुम्हारी ज़िन्दगी में फिर से वापस आ गया, तो क्या तुम उसे अपना लोगे?"

सागर: "तुम कैसी अजीब बात पूछ रहे हो? वो मेरे लायक न कभी था और न कभी होगा।"

प्रेम: "तो कौन है लायक?"

सागर (आशिक़ अंदाज़ में): "जो अभी मेरे सामने बैठा है, वो।"

प्रेम: "आशिकी करना कोई तुमसे सीखे।"

सागर: "तुम कोशिश तो करो, तुम भी सीख जाओगे।"

प्रेम: "तो कल हम वापस जा रहे हैं?"

सागर: "अगर तुम कहो तो रुक जाते हैं।"

प्रेम: "नहीं, वापस चलते हैं।"

सागर: "तुम वापस पहुँचकर सब भूल तो नहीं जाओगे?"

प्रेम: "यहाँ तुम्हारे साथ बिताए हर पल को याद रखूँगा।"

सागर: "तो चलो, जाओ सोफे पर और सो जाओ, सुबह जल्दी उठना है।"

प्रेम: "सोफे पर क्यों जाऊँ?"

सागर: "तो क्या रोज मेरे साथ सोने का इरादा है?"

प्रेम (इठलाते हुए): "नवाब साहब, आप जाइए सोफे पर।"

सागर: "मुझे सोफे पर नींद नहीं आएगी।"

प्रेम: "वो तुम जानो और तुम्हारी नींद जाने।"

सागर: "तुम्हें थोड़ा तो मुझ पर तरस खाना चाहिए।"

प्रेम: "जो तुम मुझे सोफे पर सोने को कह रहे हो, उसका क्या?"

सागर: "वो तो बस मजाक था। मैं खुद चाहता हूँ कि तुम कल की तरह मेरे पास ही सो जाओ।"

प्रेम: "सोऊँगा तो मैं भी बिस्तर पर ही, चाहे कुछ भी हो।"

सागर: "बस, कल की तरह आकर मुझसे चिपक मत जाना।"

प्रेम: "ठीक है।"

(इतना कहकर प्रेम दूसरी तरफ करवट लेकर सो जाता है।)

(सागर बिना कुछ कहे प्रेम को पीछे से अपनी बाहों में भर लेता है।)

प्रेम: "अब तुम्हें क्या परेशानी है?"

सागर: "कुछ मत बोलो, मुझे अभी कोई बहस नहीं करनी।"

प्रेम: "ठीक है, सो जाओ।"

(प्रेम और सागर दोनों एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं, लेकिन अपने जज़्बात पूरी तरह से व्यक्त नहीं कर पा रहे थे। थोड़ी ही देर में दोनों गहरी नींद में सो जाते हैं।)

(अगली सुबह सागर जल्दी उठता है और अपना और प्रेम का सारा सामान पैक करने लगता है। पैकिंग की आवाज़ से प्रेम की नींद खुल जाती है। वह घड़ी की ओर देखता है और बिस्तर पर बैठते हुए कहता है।)

प्रेम: "तुम क्या पागल हो? सुबह चार बजे कहां जाने की तैयारी कर रहे हो?"

सागर: "कल बताया तो था, हमें सुबह जल्दी निकलना है घर के लिए।"

प्रेम (बच्चे की तरह मुंह बनाते हुए): "लेकिन इतनी जल्दी क्यों?"

(सागर प्रेम का मुंह देखकर हंसते हुए कहता है।)

सागर: "ऑफिस भी तो समय पर पहुँचना है।"

प्रेम: "तुम बॉस हो कंपनी के। तुम तो कभी भी आओ, कभी भी जाओ। तुम्हें कोई कुछ भी कह सकता है?"

सागर: "तुम ये बकवास बंद करो और जल्दी से तैयार हो जाओ।"

(प्रेम दुबारा लेट जाता है।)

प्रेम: "मुझे नींद आ रही है। मैं बाद में आ जाऊँगा। तुम्हें जाना है तो जाओ।"

(सागर प्रेम के पास आकर लेट जाता है और प्यार जताते हुए कहता है।)

सागर: "अब ऐसे करोगे तो सच में चला जाऊँगा।"

प्रेम (बहाना बनाते हुए): "तुम्हें क्या लगता है, मैं अकेला घर नहीं जा सकता?"

(सागर प्रेम को अपनी ओर खींचता है।)

सागर: "चलो वापस, अब तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह सकता।"

प्रेम: "मेरे होते हुए तुम अकेले रहो, तो बेकार है मेरा प्यार।"

(सागर प्रेम की इस बात पर चौंक जाता है।)

सागर: "क्या बात है, आज तो तुमने भी आशिकी शुरू कर दी।"

प्रेम: "तुमसे ही सीख रहा हूँ। लेकिन अब मुझे जाने दो, वरना लेट हो जाएँगे।"

सागर: "तो रोका किसने है?"

प्रेम: "सही से देखो, तुमने ही तो मुझे पकड़ा हुआ है।"

(सागर प्रेम को छोड़ देता है। प्रेम जल्दी से तैयार हो जाता है। सागर खुद को रोक नहीं पाता और प्रेम के गाल को प्यार से चूम लेता है, जिस पर प्रेम थोड़ी देर के लिए सुन्न पड़ जाता है।)

(प्रेम बिना कुछ बोले अपना फोन उठाता है और कहता है।)

प्रेम: "आओ, नासिक से जाने से पहले एक आखिरी तस्वीर खींच लेते हैं।"

(सागर प्रेम के साथ कुछ तस्वीरें खिंचवाता है, लेकिन प्रेम अब सागर से बात नहीं कर रहा था। सागर को लग रहा था कि उसे प्रेम के गाल पर चूमना नहीं चाहिए था। वह इस बारे में बात करना चाहता था, लेकिन सही समय का इंतज़ार कर रहा था। सागर ने सोचा कि रास्ते में पूछ लूँगा।)

(सुबह छह बजे दोनों नासिक से निकलकर घर के लिए रवाना हो जाते हैं।)

बाकि का अगले भाग में......

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रचनाएँ
प्रेम का सागर
5.0
ये कहानी एक प्रेम कहानी है जो अन्य सभी कहानी की तरह ही है लेकिन इसके किरदार सामान्य नहीं हैं। इस कहानी में एक ऐसे मुद्दे के बारे में बात की गई है जिसके बारे में ना ही कोई बात करना चाहता है और न कोई लिखना। ये कहानी समलैंगिक प्रेम पर आधारित है और इस कहानी का उद्देश्य समलैंगिकता के प्रति गलत मानसिकता को खत्म करना है । जो भी व्यक्ति इस पुस्तक को अपनी लाइब्रेरी में जोड़े कृपया अपना नाम कॉमेंट में या समीक्षा में अवश्य लिख दे जिससे मुझे प्रोत्साहन मिले
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परिचय.....

22 जनवरी 2023
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यह कहानी है दो लडकों की एक का नाम प्रेम और दूसरे का सागर दोनो एक दूसरे से अंजान थे दोनो अपनी जिंदगी को अपने ढंग से जी रहे थे लेकिन तब तक जब तक वो मिले नहीं और जिस दिन मिले तब से दोनो की जिंदगी जीने का

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पहली मुलाकात.....

22 जनवरी 2023
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प्रेम और सागर की पहली मुलाकात सागर के ऑफिस में हुई थी। प्रेम जो एक नौकरी की तलाश कर रहा था वो उस दिन उसी कम्पनी में इन्टरव्यू के लिए जा रहा था जो सागर के पिता की थी। प्रेम सही समय पर ऑफिस पहुंच गया था

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नौकरी का पहला दिन

28 मई 2024
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प्रेम की मां : प्रेम जल्दी उठ जा ऑफिस को लेट हो जाएगा और वैसे भी आज ऑफिस का पहला दिन है उठ जा बेटा ।प्रेम: बस मां दो मिनट और सोने दो अभी आठ भी नहीं बजे मां। प्रेम की मां: तू आठ बोल रहा है सही से

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घर तक का सफर

28 मई 2024
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सागर ने मुस्कुराते हुए कहा : "क्या हुआ? अब चुप क्यों हो गए? बताओ कौन अंधा है? लेकिन पहले तुम कार में जल्दी बैठो, नहीं तो और भीग जाओगे।"प्रेम: नहीं सर आप जाओ मैं चला जाऊंगा। सागर : लगता है त

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प्रेम की पहली मीटिंग

9 जून 2024
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प्रेम घर आकर अपने कमरे में बैठा था और सागर के साथ हुई बातचीत के बारे में सोच रहा था। उसे यह अहसास हो रहा था कि सागर सिर्फ एक सख्त बॉस नहीं है, बल्कि उसके अंदर भी संवेदनशीलता और भावनाएं हैं। उधर, सागर

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खीर का स्वाद

12 जून 2024
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अगली सुबह प्रेम जल्दी उठ जाता है और मां के पास जाकर कहता है, "मां, आपको आपके जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई! आप हमेशा खुश रहो और मेरा हमेशा ध्यान रखो।"प्रेम की मां कहती हैं, "बेटा, मैं कब तक तेरा ध्यान रखू

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खाने का बुलावा

17 जून 2024
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प्रेम की मां बाहर आकर देखती हैं कि प्रेम के साथ कोई आया है। प्रेम की मां प्रेम से पूछती हैं: "ये तुम्हारे सागर सर हैं क्या?" प्रेम: "हाँ, वही हैं।" सागर: "आंटी जी, नमस्ते और हाँ! आपको आपके जन्मदि

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मन की बात....

17 जून 2024
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अगले दिन प्रेम सुबह के नौ बजे तक सो रहा होता है कि प्रिया जोर से आवाज लगाती है: "उठ जाओ आलसी, ऑफिस को लेट हो जाओगे वरना।"प्रेम हड़बड़ाकर उठता है और प्रिया से कहता है: "अरे आज क्या मैं फिर लेट उठा हूं?

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अनकहे किस्से

18 जून 2024
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सागर: मैं डरता हूं कि अगर बता दूंगा तो तुम्हें खो दूंगा।प्रेम: मतलब?सागर: अभी इस बात का सही समय नहीं है। जब सही समय आएगा तब बता दूंगा।प्रेम: सागर, तुम तो ऐसे बोल रहे हो जैसे कोई लड़का किसी लड़की से यह

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अनकहे किस्से भाग _2

19 जून 2024
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प्रेम: इसका मतलब हुआ कि मुझे पीटी टीचर अच्छे लगते थे।सागर: मतलब तुम भी...प्रेम: नहीं, मेरा उनके प्रति बस एक खिंचाव था।सागर: मतलब?प्रेम: वो अच्छे थे, उनसे बात करना मुझे पसंद था। लेकिन उनके लिए कुछ ज़्य

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वृद्धाश्रम में दादी

23 जून 2024
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अगली सुबह होती है। प्रेम और सागर गहरी नींद में सो रहे थे। थोड़ी देर बाद प्रेम की आंख खुलती है। प्रेम सागर को अपने बगल में सोता हुआ देखता है। प्रेम लेटे हुए ही सागर को देखता रहता है और सोचता है कि सागर

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प्रेम का दूसरा इंटरव्यू

30 जून 2024
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अगली सुबह हुई, सोमवार का दिन था। प्रेम समय से ऑफिस पहुंच गया। मिली भी ऑफिस पहुंच गई थी। प्रेम ने मिली को देखा और उसके पास जाकर बोला: "गुड मॉर्निंग मिली।"मिली: "वैरी गुड मॉर्निंग प्रेम।"प्रेम: "कैसी हो

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दिल की बातें....एक राज़।

9 जुलाई 2024
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सागर के पापा गुस्से में: सागर तुम यहाँ क्या कर रहे हो?सागर: पापा, वो लंच कर रहा हूँ।प्रेम: वो मैंने ही जोर दिया था।सागर के पापा: प्रेम, तुमसे बात पूछी मैंने, और सागर, तुम्हें पता है मुझे ये सब पसंद नह

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प्यार की शुरुआत

10 जुलाई 2024
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प्रेम घर जाकर बाइक आंगन में खड़ी कर रहा होता है कि प्रेम की मां, जो प्रेम का इंतजार कर रही थी, उसे आता देख बाहर आ जाती है और पूछती है, "आज तुम देर से घर आ रहे हो, काम ज्यादा था क्या?"प्रेम: "हां मां।"

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रूठना मनाना

14 अगस्त 2024
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थोड़ी देर बाद सागर के पापा भी ऑफिस आ जाते हैं और अनुज से पता चलता है कि प्रेम आज सागर सर के साथ उनकी कार में ऑफिस आया था। इतना सुनने के बाद वे गुस्से में सागर के पास जाते हैं, जहां प्रेम पहले से ही मौ

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बिखरी खुशियां

14 अगस्त 2024
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प्रेम: "तो चलो मिली, आज मेरे घर चलो। मेरी माँ के हाथ का खाना खाओ, तुम्हें मज़ा आ जाएगा।"सागर: "हाँ मिली, आंटी बहुत अच्छा खाना बनाती हैं, तुम्हें ज़रूर चलना चाहिए।"मिली: "लेकिन..."प्रेम: "लेकिन-वेकिन क

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मीटिंग का दिन

20 अगस्त 2024
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अगली सुबह प्रेम जल्दी उठ जाता है और नासिक जाने के लिए तैयार होता है। उधर सागर भी तैयार होकर प्रेम को फोन करता है। प्रेम फोन उठाकर: "हां सागर, बोलो।"सागर: "नासिक चलने के लिए तैयार हो?"प्रेम: "हां, बिल्

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ख्यालों की दुनियां

21 अगस्त 2024
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होटल पहुंचकर सागर रिसेप्शन से कमरे की चाबी लेता है, जिस पर लिखा होता है "आठवीं मंजिल, कमरा नंबर 86"। सागर चाबी लेकर प्रेम से लिफ्ट में चलने को कहता है और फिर दोनों लिफ्ट से अपने कमरे तक पहुंच जाते हैं

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खेल खेल में......

25 अगस्त 2024
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दोनों ने सवालों का खेल शुरू किया।सागर: "तो, पहले तुम सवाल पूछो।"प्रेम: "ठीक है, लेकिन याद रखना, सब सच बोलना होगा। न कोई सवाल बदला जाएगा और न ही जवाब देने से मना किया जाएगा।"सागर: "चलो ठीक है, पूछो।"प्

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प्यार का इजहार

28 अगस्त 2024
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प्रेम अब अच्छे से समझ चुका था कि वह सागर के प्रति अपने प्यार को जबरदस्ती रोक रहा था, जबकि सागर उसे सच्चे दिल से प्यार करता है। इसलिए, प्रेम ने अब मन बना लिया था कि वह सागर से अपने प्यार का इज़हार करके

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नासिक का दूसरा दिन

2 अक्टूबर 2024
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अगली सुबह सागर की आँख खुलती है। वह देखता है कि प्रेम उसके पास सो रहा है। यह देखकर सागर के मन में एक अनोखी खुशी होती है। वह देखता है कि अब बारिश रुक चुकी है और खिड़की से सुबह की सूरज की किरणें प्रेम के

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ऑफिस में वापसी

4 अक्टूबर 2024
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सुबह सात बजे तक दोनों प्रेम के घर वापस आ जाते हैं। प्रेम देखता है कि उसकी मां खाना बना रही थी, और चाची पूजा करके तुलसी के पौधे में जल चढ़ा रही थीं। प्रेम और सागर को देख कर प्रेम की मां खुश हो जाती हैं

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