प्रेम की मां : प्रेम जल्दी उठ जा ऑफिस को लेट हो जाएगा और वैसे भी आज ऑफिस का पहला दिन है उठ जा बेटा ।
प्रेम: बस मां दो मिनट और सोने दो अभी आठ भी नहीं बजे मां।
प्रेम की मां: तू आठ बोल रहा है सही से समय देख नौ बज गए हैं।
प्रेम ने घड़ी की तरफ देखा तो सच में नौ बज रहे थे । अब तो प्रेम सरपट ऑफिस के लिए भागा ।
प्रेम की। मां : खाना तो खाले पहले
प्रेम: नही मां अभी बिल्कुल समय नहीं है तुम बस टिफिन देदो मैं निकलता हूं।
प्रेम सोचते हुए : आज तो पहला दिन है और पहले दिन ही लेट आज तो वो खडूस मेरी जान ले लेगा । हे भगवान आज उससे बचा लेना मैं उससे पहले ऑफिस पहुंच जाऊं जैसे तैसे बस।
प्रेम जैसे तैसे ऑफिस पहुंचता है और वो पंद्रह मिनट लेट हो जाता है वो भागकर ऑफिस की लिफ्ट में घुस जाता है और तभी उसको लिफ्ट की तरफ कोई आता दिखता है ।
प्रेम देखता है की काला चश्मा लगा हुआ और मेरी तरफ कौन आ रहा है उसको पास आता देख प्रेम लिफ्ट को बंद होने से रोक लेता है लेकिन जब तक वो पहचान पाता की वो सागर यानी उसका बॉस है तब तक सागर भी लिफ्ट में आ जाता है ।
प्रेम जिझकते हुए : गुड मॉर्निंग सागर सर।
सागर: गुड मॉर्निंग प्रेम कैसे हो?
प्रेम: ठीक हूं सागर सर। सागर : ठीक हो तो लेट कैसे हो गए ?
प्रेम: अब ब आ वो ट्रैफिक सागर सर आजकल ट्रैफिक बहुत होता है सस्ते में ।
सागर : तो यह ट्रैफिक रोजाना रहेगा क्या?
प्रेम: नही बिलकुल भी नहीं कल से और जल्दी ऑफिस के लिए घर से निकलूंगा सागर सर।
सागर: ओके यह बात ध्यान रखना, और हां मुझे सिर्फ सर बोला करो सागर सर नहीं।
प्रेम फिर मन ही मन में सोचता है ये खडूस फिर से मेरे पीछे पड़ गया हे भगवान बोला था आज बचा लो लेकिन तुमने भी मुझे परेशान करने की कसम खाई है ।
सागर : तुमसे कितनी बार बोला है मुझे खडूस मत बोला करो।
प्रेम फिर से चौंक गया और फिर मन में सोचने लगा कि इसको पता कैसे चलता है की मैं इसको क्या बोल रहा हूं।
तभी प्रेम का फोन बजता है "लड़की ब्यूटीफुल कर गई चुल" सागर की फोन की यह रिंगटोन सुनके हँसी छूट जाती है लेकिन वो खुद को रोक लेता है प्रेम जल्दी से फोन कॉल को कट कर देता है और इतने में। लिफ्ट खुलती है दोनो लिफ्ट से बाहर आते हैं।
सागर: प्रेम जल्दी जाओ और अपना डेस्क सेटअप करके एक घंटे के बाद मेरे से मिलने आना मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है ।
प्रेम: जी सागर सर।
सागर :सिर्फ सर।
प्रेम सारा काम समझकर सागर के केबिन में जाता है ।
प्रेम: मे आई कम इन सर?
सागर : हां अंदर आ जाओ और सुनो दरवाजा बंद कर देना।
प्रेम अब डर चुका था उसको लगा उसको लेट आने की डांट अब पड़ेगी वो अंदर गया और देखा सागर बालकनी में खड़ा था और बाहर की तरफ देख रहा था ।
सागर : प्रेम इधर आओ ।
प्रेम सागर के पास जाता है तब सागर कहता है देखो यह आसमान देखो कितना बड़ा है और यह पंछी देखो जो इन खुले आसमान में उड़ रहे है क्या इनको किसी चीज ने रोका नहीं उड़ने से?
प्रेम: सर आसमान बना ही है उड़ने के लिए और इन पंछी को बस सिर्फ उनको उनका डर ही रोक सकता था और डर को इन्होंने हरा दिया और इसलिए यह सब खुले आसमान में उड़ रही हैं।
सागर : हम इंसान क्यूं अपने डर को नहीं हरा पाते? क्यूं इंसान आसमान में उड़ने से पहले ऊंचाई देख कर डर जाता है?
प्रेम: इंसानों को पाने की खुशी से ज्यादा खोने का डर ज्यादा रहता है इसलिए वो खुद उड़ान भरना ही नहीं चाहते
सागर: बात तो तुम्हारी सही है। चलो आओ बैठो कुछ काम की बात करनी थी तुमसे दोनो अपनी जगह पे बैठ जाते हैं। प्रेम: जी सर बताइए ।
सागर : देखो प्रेम मैने तुमको इसलिए सेलेक्ट किया था क्युकी मुझे तुम्हारी सच्चाई अच्छी लगी और काबिलियत तुममें है ही लेकिन एक बात बता दूं जो इंटरव्यू मैने लिया था वो मेरे पापा लेने वाले थे और मुझे पता है और अगर वो इंटरव्यू लेते तो तुमको कभी सेलेक्ट नहीं करते इसलिए मैं तुम्हें बता देना चाहता हूं पापा एक हफ्ते में विदेश से वापस आ रहे हैं और उससे पहले तुमको उनके हिसाब से खुद को ढालना होगा।
प्रेम : और मैं ये कैसे कर सकता हूं?
सागर: देखो प्रेम पापा के आते ही उनकी एक बड़े क्लाइंट के साथ मीटिंग है और मैं चाहता हूं उस मीटिंग की सारी जिम्मेदारी तुम संभालो।
प्रेम: मैं कैसे मुझे अभी सही से पता भी नहीं है।
सागर : ये तुम्हारे लिए पहला और आखिरी मौका है खुद को साबित करने का और मुझे भरोसा है तुम यह कर सकते हो।
प्रेम : मैं ये जरूर करूंगा लेकिन ।
सागर : लेकिन क्या ?
प्रेम: मुझे आज लेट आने की कोई सजा नहीं मिलेगी।
सागर (हंसते हुए): सजा तो मिलेगी और मैं सजा दूंगा।
प्रेम : कैसी सजा?
सागर: आज तुमको 1 घंटा ज्यादा रुकना पड़ेगा । ये सुनके प्रेम फिर सोचने लगा कि ये नहीं सुधरेगा।
सागर: क्या हुआ मेरे बारे में कुछ सोच रहे हो ? जाओ अब अपना काम करो कल मिलते हैं।
प्रेम: ओके सर। सागर : जाते समय दरवाजा बंद करके जाना।
प्रेम सोचे हुए हां हां क्यों नहीं एक तो देर से घर जाना पड़ेगा ऊपर से जनाब के हुकुम खत्म ही नही हो रहे। यह सोचते हुए प्रेम अपने काम पर वापस आ जाता है ।
पूरा दिन काम करने के बाद प्रेम ऑफिस से निकला तो देखता है की बाहर तेज बारिश हो रही है ।
प्रेम: आज का दिन ही खराब है सुबह से कुछ अच्छा नहीं हुआ देर तक रुकना पड़ा सो अलग अब क्या अब ऐसे ही जाना पड़ेगा। प्रेम ऑफिस से निकल जाता है वो थोड़ा आगे जाता है की पीछे से एक कार उसके सामने रुकती है जिससे प्रेम थोड़ा डर जाता है और शीशा नीचे होता है।
प्रेम बिना देखे बोलता है : अंधे हो क्या दिखाई नहीं देता है क्या सड़क पे इतना बड़ा इंसान नहीं दिखता। हेलो मिस्टर तुमसे ही बोल रहा हूं।
कर के अंदर से आवाज आई : प्रेम कार में बैठो। प्रेम कार से आई आवाज को सुनकर फिर चौंक जाता है वो ध्यान से देखता है की वो कोई और नही सागर है ।
शेष अगले भाग में........