दोनों ने सवालों का खेल शुरू किया।
सागर: "तो, पहले तुम सवाल पूछो।"
प्रेम: "ठीक है, लेकिन याद रखना, सब सच बोलना होगा। न कोई सवाल बदला जाएगा और न ही जवाब देने से मना किया जाएगा।"
सागर: "चलो ठीक है, पूछो।"
प्रेम: "तो बताओ, तुम्हारे जीवन का सबसे यादगार दिन कौन सा था?"
सागर: "तुम्हारा इंटरव्यू।"
प्रेम: "वो कैसे?"
सागर: "तुमसे पहली बार मिलकर मुझे लगा था जैसे मैं एक ऐसे इंसान से मिल रहा हूँ जो दुनिया से बेफिक्र है, जो अपने अलग अंदाज से अपनी जिंदगी जीना जानता है। इसलिए उस दिन को मैं कभी नहीं भूलना चाहूंगा, क्योंकि मैं खुद तुम्हारे जैसा जीना चाहता था।"
प्रेम: "ठीक है, मुझे तुम्हारा जवाब सही लगा। अब तुम एक गुब्बारा फोड़ सकते हो।"
सागर "ठीक है" कहकर एक गुब्बारा उठाता है और फोड़ देता है। इसके बाद सागर की बारी आती है सवाल पूछने की।
सागर: "अच्छा, मैं सवाल पूछता हूँ। तो बताओ, तुम्हारे जीवन में सबसे खास इंसान कौन है?"
प्रेम: "काफी अच्छा सवाल पूछा है, लेकिन इसका जवाब देने से पहले बता दूं कि मेरे लिए वे सब लोग खास हैं जो मुझे प्यार करते हैं।"
सागर: "तो मैं भी करता हूँ, इसका मतलब क्या हुआ?"
प्रेम: "हां, तुम भी खास हो।"
सागर: "ऐसा कैसे हो सकता है? तुम्हें किसी एक का नाम बताना होगा।"
प्रेम: "अगर बात एक की है, तो वह मेरी मां है।"
सागर: "इसके बाद तो कुछ बताने की जरूरत ही नहीं है, मुझे पता है वह बहुत अच्छी हैं।"
प्रेम: "तो अब मैं गुब्बारा फोड़ सकता हूँ?"
सागर: "हां, बिल्कुल।"
प्रेम भी एक गुब्बारा फोड़ देता है और कहता है: "अब तुम बताओ, तुम्हारी मां के साथ क्या हुआ था?"
सागर: "ये बताना जरूरी है क्या?"
प्रेम: "देखो, अब मुझे जानना है क्योंकि उस दिन तुमने अपने पापा से कहा था कि 'तुम्हारी मां तुम्हारे पापा की वजह से...'"
सागर: "मेरी मां बहुत अच्छी थीं। जब तक वह थीं, मेरी दुनिया खुशियों से भरी हुई थी।"
प्रेम: "तो ऐसा क्या हुआ था?"
सागर: "मेरे पापा की शादी मेरी मां के साथ जब हुई थी, तब मेरे पापा एक साधारण नौकरी करते थे। जैसे-जैसे उन्होंने पैसा कमाया, वैसे-वैसे उन्होंने मेरी मां का अपने पीहर (मायके) जाने पर रोक लगा दी क्योंकि उन्हें लगता था कि अब मेरी मां के परिवार वाले उनके स्तर के नहीं हैं। फिर उसके बाद पापा ने मां के रहने, कपड़े पहनने, बोलने और यहां तक कि चलने के तरीके को बदलने की कोशिश की। मेरी मां बस पापा की कठपुतली बनकर रह गई थीं। पापा को उन्हें किसी भी पार्टी में साथ ले जाने में शर्म आती थी। मेरी मां ने बहुत कोशिश की थी पापा के हिसाब से खुद को ढालने की, लेकिन पापा दिन-ब-दिन उनके ऊपर और दबाव डालते गए। बात इतनी बढ़ गई कि आए दिन पापा मां पर हाथ उठाने लगे, लेकिन मां बिना कुछ कहे चुपचाप सहती रहीं। जब यह प्रताड़ना सहन नहीं हुई, तो एक दिन उन्होंने खुद को खत्म करना सही समझा। एक दिन जब मैं उनके कमरे में गया, तो वह बिस्तर पर लेटी हुई मिलीं। मैंने बहुत कोशिश की, लेकिन वह नहीं उठीं क्योंकि उन्होंने ज़हर खाकर खुद को खत्म कर लिया था।"
प्रेम सागर को देखता है। सागर की आंखें नम हो गई थीं, और अब उसे थोड़े सहारे की जरूरत थी। प्रेम उठकर सागर के कंधे पर हाथ रखता है और कहता है, "तुम बहुत हिम्मत वाले इंसान हो, जो तुम इतना सब कुछ अकेले सहन कर गए।"
सागर प्रेम से लिपट जाता है, जैसे कोई छोटा बच्चा अपने प्रिय व्यक्ति से लिपट जाता है, और इसके बाद सागर की आंखों से आंसू छलकने लगते हैं। प्रेम भी सागर को बच्चों की तरह दुलार करते हुए कहता है, "मैं तुम्हारा दुख शायद कभी समझ नहीं पाऊंगा, लेकिन कोशिश यही करूंगा कि तुम्हें खुश रखूं।"
सागर प्रेम को देखता है, जिस पर प्रेम सागर की आंखों के आंसू पोंछता है और प्रेम से कहता है, "तुम रोया मत करो, तुम बिलकुल अच्छे नहीं लगते।"
सागर थोड़ा मुस्कुराता है और कहता है, "चलो ठीक, अब तुम सवाल का जवाब दो।"
प्रेम: "पहले गुब्बारा तो..."
सागर: "हां, एक फोड़ देता हूँ।"
इतना कहकर सागर ने एक और गुब्बारा फोड़ दिया।
प्रेम: "अब पूछो, क्या पूछोगे?"
सागर: "जैसा कि तुमने आज तक नहीं बताया कि तुम्हें कौन अच्छा लगता है—लड़की या लड़का? तो बताओ यही।"
प्रेम: "दोनों।"
सागर: "बस इतना सा जवाब? सब खुलकर बताओ।"
प्रेम: "अच्छा, ठीक है। पहले यह समझो कि मुझे लड़के और लड़कियों दोनों के प्रति आकर्षण होता है।"
सागर: "तो मतलब तुम क्या हो?"
प्रेम: "इस तरह के लोगों को बाइसेक्सुअल या उभयलिंगी कहते हैं।"
सागर: "तो मतलब तुम खुद स्वीकार करते हो कि तुम्हें भी मुझ पर प्यार वाला खिंचाव है?"
प्रेम: "हां, बिल्कुल है।"
सागर: "ठीक है, अब तुम एक गुब्बारा फोड़ सकते हो।"
प्रेम ने एक गुब्बारा उठाया और फोड़ दिया।
प्रेम: "अब मेरी बारी है सवाल पूछने की। अब तो कुछ मुश्किल सा सवाल ही पूछूंगा।"
सागर: "पूछो, आज सारे जवाब मिलेंगे तुम्हें।"
प्रेम: तो बताओ, तुम्हारे जीवन का सबसे बड़ा पछतावा क्या है? और अगर तुम्हें एक मौका मिले, तो तुम उसे कैसे बदलोगे?
सागर: रुको, सोचने दो। तुम्हारा सवाल बहुत अच्छा है। हां, तो मेरे जीवन का सबसे बड़ा पछतावा है कि मैंने किसी ऐसे इंसान पर भरोसा किया जिसने मुझे कभी योग्य नहीं समझा।
प्रेम: कौन? किसकी बात कर रहे हो?
सागर: उज्ज्वल की। वही, जिसके बारे में मैंने तुम्हें पहले भी बताया था कि वह मेरे साथ स्कूल में पढ़ता था। मैं उसे चाहता था, और वह भी शायद मुझे पसंद करता था। इसी भरोसे पर मैंने उसे सब बता दिया था कि मैं एक समलैंगिक हूं और मुझे वह पसंद है। लेकिन उसने मेरा और मेरे विश्वास का मजाक बना दिया। जहां तक उस चीज को बदलने की बात है, तो अब शायद उसकी जरूरत नहीं, क्योंकि अब मुझे लगता है कि मैं उससे प्यार करता ही नहीं था। वह बस मेरे लिए एक आकर्षण था।
प्रेम: ठीक है, लेकिन अगर अब वह वापस आकर तुमसे कहे कि वह तुमसे प्यार करता है, तो क्या तुम उसे अपना लोगे?
सागर: मैंने इस बारे में आज तक सोचा ही नहीं, इसलिए मुझे खुद भी नहीं पता कि मैं क्या करूंगा।
प्रेम: तो अब तुम गुब्बारा फोड़ सकते हो।
सागर: चलो, ठीक है। एक तो फोड़ ही लेता हूं।
(सागर एक और गुब्बारा फोड़ता है और प्रेम से सवाल पूछता है।)
सागर: अगर तुम्हें कभी मुझे छोड़ना पड़े, तो वह किस वजह से होगा?
(प्रेम इस सवाल पर कुछ पल के लिए चुप हो जाता है और फिर कहता है।)
प्रेम: यह कैसा सवाल है? कोई दूसरा सवाल पूछो।
सागर: सवाल बदल नहीं सकते, तो कोशिश करो जवाब देने की।
प्रेम: देखो, मैं अब जो भी बोलूंगा, वह एकदम सच होगा, लेकिन सागर, तुम मेरे सामने मत देखना वरना मैं बता नहीं पाऊंगा।
सागर: तो ठीक है, मैं खिड़की से बाहर का नजारा देखता हूं, और तुम बताओ।
प्रेम: वैसे तो मैं तुम्हें कभी नहीं छोड़ सकता, लेकिन अगर कभी मुझे तुम्हारे और मेरे परिवार में से किसी एक को चुनना पड़े, तो मैं पहले परिवार को चुनूंगा।
(सागर अभी भी खिड़की से बाहर ही देख रहा था और प्रेम से पूछता है।)
सागर: मतलब, तुम जरूरत पड़ने पर अपने प्यार को अपने परिवार के लिए भूल जाओगे?
प्रेम: इतनी आसानी से तो नहीं, लेकिन अगर कभी ऐसी नौबत आई, तो मैं अपने परिवार की खुशी पहले रखूंगा।
सागर: चलो, फिलहाल के लिए तुमने माना तो सही कि तुम मुझसे प्यार तो करते हो।
प्रेम: मैंने ऐसा कब बोला?
सागर (बाहर की ओर देखते हुए): अगर नहीं करते, तो मुझे बाहर देखने को क्यों बोला?
(प्रेम अपने हाथ से सागर का मुंह अपनी तरफ करता है और कहता है।)
प्रेम: तुम्हें खोना मेरे लिए कभी आसान नहीं होगा।
सागर: चलो, इसी खुशी में तुम गुब्बारा फोड़ लो।
(प्रेम ने अगला गुब्बारा भी फोड़ दिया।)
प्रेम: इस खेल में मजा आ रहा है। दिल की सारी बातें पता चल रही हैं। तो मेरा सवाल तुमसे यह है कि क्या तुमने कभी किसी से झूठ बोला है, जिसे तुमने आज तक नहीं बताया? वैसे तुमने ऐसा किया नहीं होगा।
सागर: बोला है।
प्रेम: सच में?
सागर: हां, मैंने अपने आपको मेरे दोस्तों के सामने कूल दिखाने के लिए कहा था कि मेरी एक नहीं, चार गर्लफ्रेंड्स हैं। और वे आज भी यही सोचते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि मैं पैसे वाला हूं, तो लड़कियां तो आगे-पीछे रहती होंगी।
(प्रेम सागर की यह बात सुनकर जोर-जोर से हंसता है और कहता है।)
प्रेम: मतलब, तुम एक नंबर के फेंकू इंसान भी हो।
सागर: ज्यादा हंसी आ रही है? तो बताओ।
प्रेम: हंसने वाली बात ही है। तुम्हें लड़की पसंद ही नहीं है, तो चार गर्लफ्रेंड्स कब बना लीं?
सागर: सोच रहा हूं, अब मेरे सभी दोस्तों को सच बता दूं।
प्रेम: कैसा सच?
सागर: यही कि मुझे एक लड़का पसंद है, और वह प्रेम यानी तुम हो।
प्रेम: ऐसा करने के लिए बहुत हिम्मत चाहिए।
सागर: तो तुम्हें क्या लगता है, जरूरत पड़ने पर मैं बताने में पीछे हटूंगा? फिर चाहे तुम्हारे घर वाले मुझे घर में घुसने भी न दें।
प्रेम: चलो-चलो, आशिक मत बनो, गुब्बारा फोड़ो।
(सागर के द्वारा गुब्बारा फोड़ने के बाद सागर प्रेम से मजाकिया तरीके से सवाल पूछता है।)
सागर: तुम्हारे बचपन की ऐसी कौन सी याद है, जिसे तुम चाहकर भी भूल नहीं पाते?
(प्रेम सागर का सवाल सुनकर सीरियस हो जाता है और खिड़की के पास उठ जाता है।)
प्रेम: बस, चलो अब रहने देते हैं, खाना भी आने वाला होगा।
(सागर भी उठकर प्रेम के पास जाता है और उससे पूछता है।)
सागर: तुम्हें अचानक क्या हो गया? अभी तो तुम जोर-जोर से हंस रहे थे, अब इतने उदास क्यों हो गए?
प्रेम: कोई बात नहीं है।
(सागर प्रेम के गाल पर हाथ फेरता है और कहता है।)
सागर: तुमने कहा था, जवाब देना होगा। अब तुम खुद ऐसे कर रहे हो। बताओ, मुझे जानना है कि क्या बात है?
(प्रेम कुछ पल की चुप्पी के बाद बोलता है।)
प्रेम: मेरे बचपन के दो साल बहुत डरावने बीते हैं।
सागर: मतलब?
प्रेम: कैसे बताऊं तुम्हें?
(सागर प्रेम को बेड पर बैठा देता है और खुद घुटनों पर बैठकर प्रेम की तरफ देखता है और कहता है।)
सागर: मैं तुम्हारे साथ हूं, तो तुम सब सच बताओ।
प्रेम: जब मैं 12 साल का था, तब मैं 6वीं क्लास में पढ़ता था। मैं शुरू से ही पढ़ाई में अच्छा था। फिर एक दिन मेरे घर पर मेरे मामा जी के साथ उनका बड़ा बेटा आया, उसका नाम अजीत था। अजीत पढ़ाई के सिलसिले में आया था। मामा उसे हॉस्टल में रखना चाह रहे थे, लेकिन मेरी मां ने मामा से कहा कि अजीत अगर यहां से पढ़ाई करेगा, तो हमारे घर में ही रहेगा। हॉस्टल की कोई जरूरत नहीं है, जिससे उसे घर की याद भी नहीं आएगी।
(इतना बताकर प्रेम फिर चुप हो जाता है। सागर प्रेम को चुप देखकर फिर बोलता है।)
सागर: आगे बताओ।
प्रेम: रिश्ते में बड़ा भाई होने के कारण वह मेरे साथ मेरे कमरे में सोता था। शुरू के कुछ दिन सब ठीक थे, लेकिन एक रात उसने मुझे गलत तरीके से छुआ। मैंने उससे कहा कि आप यह क्या कर रहे हैं, तो उसने मुझे कहा कि अगर किसी को बताया, तो वह मामी यानी मेरी मां से बोलेगा कि प्रेम उसे परेशान करता है और उसे कमरे में नहीं रहने देना चाहता। उस रात को याद करता हूं, तो आज भी डर लगता है। इसके बाद उसने आए दिन मुझे जबरदस्ती अपना शिकार बनाया। मैं इसी डर की वजह से चुप रहता था, कहीं घरवाले मुझे ही गलत न समझ लें, क्योंकि मैं घर में सबसे ज्यादा शैतानी करता था। और अजीत को सब सुधरा हुआ और तमीज वाला लड़का समझते थे। इसलिए उसकी हिम्मत बढ़ती गई और मेरी टूटती गई।
सागर: मतलब तुम्हारे बचपन में शारीरिक शोषण हुआ है, और यह तो अपराध है।
प्रेम: मैं तब छोटा था, मुझे तब इतना सब नहीं पता था। और इसी वजह से वह सब दो साल तक चलता रहा।
सागर: तो दो साल बाद क्या हुआ?
प्रेम: मैंने उससे परेशान होकर अपनी चाची को सब बता दिया।
सागर: चाची को क्यों?
प्रेम: क्योंकि चाची को अजीत की आदत कुछ ठीक नहीं लग रही थी, और मेरा स्वभाव भी बहुत बदल गया था। चाची इन सब बातों पर ध्यान देती थीं, इसलिए उन्होंने मुझसे पूछा और मैंने अपनी सारी आपबीती उन्हें बताई। जिस दिन मैंने चाची को बताया, उसी रात चाची ने सारे घरवालों के सामने अजीत को दो थप्पड़ लगाए और पूरे घर के लोगों को उसकी इस घिनौनी हरकत के बारे में बताया। इसके बाद मामा जी आए और अजीत के किए हुए कर्मों के लिए सबसे माफी मांगी और उसे अपने साथ ले गए।
(सागर यह सब सुनकर गुस्से में भर जाता है और बोलता है।)
सागर: माफी क्या होती है? ऐसे इंसान को तो जेल भेज देना चाहिए। लेकिन प्रेम का यह दर्दनाक अनुभव सुनकर सागर की आंखों में आंसू आ गए। उसने प्रेम का हाथ पकड़ा और कहा, "तुम्हें यह सब अकेले सहना पड़ा, यह सोचकर ही मेरा दिल टूट रहा है। उस अजीत ने तुम्हारे साथ जो किया, उसके लिए माफी बिल्कुल भी पर्याप्त नहीं है। उसे सजा मिलनी चाहिए थी।"
प्रेम ने गहरी सांस ली और कहा, "मुझे भी यही लगता है, लेकिन उस समय मैं बहुत डरा हुआ था। मुझे लगा कि अगर मैं चुप रहूंगा, तो शायद सब कुछ ठीक हो जाएगा। लेकिन अब मैं समझता हूं कि चुप रहना गलत था। मैं तुम्हें यह सब इसलिए बता रहा हूं क्योंकि मैं नहीं चाहता कि हमारे बीच कोई भी राज़ छिपा रहे।"
सागर ने प्रेम को गले से लगा लिया और कहा, "तुमने जो साहस दिखाया, वह किसी भी सजा से बढ़कर है। तुमने अपने डर का सामना किया और सच को सामने लाया। यह हीरोइक है। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं, और जो भी हो, हम मिलकर उसका सामना करेंगे।"
प्रेम ने सागर की आंखों में देखा और कहा, "तुम्हारी यह बातें मुझे बहुत सुकून देती हैं। मैं नहीं जानता था कि इस दर्द को किसी के साथ बांटने से मुझे इतनी राहत मिलेगी।"
सागर ने मुस्कुराते हुए कहा, "यह प्यार की ताकत है। हम एक-दूसरे के लिए हैं, और जब तक हम साथ हैं, कोई भी हमें तोड़ नहीं सकता।"
प्रेम ने सिर हिलाया और कहा, "तुम सही कह रहे हो। अब मैं भी खुद को कमजोर महसूस नहीं करता। मैं जानता हूं कि मेरे पास तुम हो, और यह जानकर मैं और भी मजबूत महसूस करता हूं।"
सागर ने प्रेम के हाथ को कसकर पकड़ते हुए कहा, "चलो, अब बाकी गुब्बारों को फोड़ते हैं और इस खेल को पूरा करते हैं। हम मिलकर हर मुश्किल का सामना करेंगे, और एक-दूसरे के हर राज़ को जानकर एक-दूसरे के और करीब आ जाएंगे।"
प्रेम ने मुस्कुराते हुए सिर हिलाया और आखिरी गुब्बारा फोड़ने के लिए तैयार हो गया। प्रेम ने आखिरी गुब्बारा फोड़ा और इस खेल को खत्म किया। प्रेम सागर का इतना प्यार देखकर समझ गया था कि इससे अच्छा इंसान उसके लिए कोई और नहीं हो सकता और अब वो सागर को अपनाने के लिए तैयार था बस अब प्रेम को इंतजार था सही समय का।
बाकी का अगले भाग में........