मापनी- 2122 2122 , पदांत- पाना, समांत- जीत, ईत स्वर
“गीतिका”
प्यार खोना मीत
पाना
युद्ध को हर जीत
पाना
हो सका संभव नहीं
जग
पार कर हद हीत
पाना॥
दिल कभी भी छल करे
क्या
प्रीत पावन चीत
पाना॥ (चित्त)
जिंदगी कड़वी दवा है
स्वाद मिर्चा तीत
पाना॥ (तीखा)
राग वीणा की मधुर
है
तार जुड़ संगीत
पाना॥
दो किनारों की नदी
बन
क्यों भला जल भीत
पाना॥
आज गौतम दिल दुखा
मत
लग गले प्रति रीत
पाना॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी