17 नवम्बर 2021
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जिंदगी की जुस्तजू और मन में उठते भाव, कोई नजरअंदाज करे कोई सुने लेकर चाव, एक प्रसंग पढ़कर ही न विचार बनाइयें, पूरी पुस्तक पढ़कर खुद को तो दोहराइए, जो गुम न हुए खुद में ही तो हमे बताएं, सच कहे क्या इन भावो से आप खुद भी बच पाएं, यदि पसंद आये तो हौसला अफजाई कर, अगली पुस्तक पर भी प्रकाश डाले, हम सबकी जिंदगी कहानी किस्सों सी, जहां खुद ही ढूंढ रहे अंधेरो में उजाले....D
सुन्दर
19 दिसम्बर 2021
बहुत सही
6 दिसम्बर 2021
बहुत बहुत बधाई मीनाक्षी जी👏👏👏
18 नवम्बर 2021
गिरेबा चाक करना क्या है, सीना और मुश्किल है, हर इक पल मुस्कुराकर, अश्क पीना और मुश्किल है| किसी की बेवफाई ने हमें इतना सिखाया हैं, किसी के इश्क में मरने से पीना और मुश्किल है|| आपकी रचना की श्रेष्ठता इस कदर है कि ये समकालीन प्रेम के श्रेस्ठ कवि गुरुदेव कुमार सर की श्रेणी की ओर जाती हुई प्रतीत हो रही है | शब्दों का चयन बहुत ही उम्दा है पर रचना हिंदी साहित्य और व्यकरण कि दृष्टि से काफी गलत है | कविता का तुकांत , मात्राएँ और हिंदी की अशुद्धियां इस श्रेष्ठ रचना को सर्वश्रेस्ठ नही बनने दे रही हैं | आशा है आगे इनका भी ध्यान रखकर आप एक बेहतरीन कवियित्री के रूप में प्रसिद्ध होंगी | शुभकामनाएं 🙏
18 नवम्बर 2021
बहुत ही सुंदर रचना मैंम
18 नवम्बर 2021
Superb 👏👏
17 नवम्बर 2021